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नागपंचमी : श्रद्धालुओं ने की नाग की पूजा, जानिए... शुभ मुहूर्त Bhagalpur News

सावन शिव सोमवार सर्प नागपंचमी शुक्‍ल पक्ष पांचवीं तिथि यह सब एक ही दिन अर्थात पांच अगस्‍त 2019... अद्भुत और दुर्लभ संयोग। जानिए इस संबंध में क्या बता रहे पंडित।

By Dilip ShuklaEdited By: Published: Mon, 05 Aug 2019 10:04 AM (IST)Updated: Mon, 05 Aug 2019 01:42 PM (IST)
नागपंचमी : श्रद्धालुओं ने की नाग की पूजा, जानिए... शुभ मुहूर्त Bhagalpur News
नागपंचमी : श्रद्धालुओं ने की नाग की पूजा, जानिए... शुभ मुहूर्त Bhagalpur News

भागलपुर [जेएनएन]। सावन माह शिव को अत्यंत प्रिय है। शिव की पूजा का महत्व सावन में अत्यधिक बढ़ जाती है। सावन में शिव की पूजा करने से वे अपने भक्तों पर अत्यधिक और तुरंत प्रसन्न होते हैं। खासकर सावन माह के सोमवार को तो भगवान शिव का साक्षात आशीर्वाद भक्तों पर रहता है। और सावन की सोमवारी का कहना ही क्या। इस दिन तो भगवान भक्तों को अशीर्वाद बांटते हैं और भक्तों द्वारा शिवलिंग की पूजा से वे तुरंत प्रसन्न हो जाते हैं। इससे भी खास बात अगर सावन माह के सोमवार को नागपंचमी हो जाए तो अद्भुत व दुर्लभ संयोग। सावन माह की सोमवारी और नागपंचमी एक दिन होना यह सुखद संयोग कभी—कभी होता है। जैसा कि इस बार हो रहा है।

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नागपंचमी और सोमवार का दिन अति शुभकारक संयोग बना। नागपंचमी के दिन घर के प्रवेश द्वार पर नागदेव की पूजा करने से घर में समृद्धि आती है।

 सोमवार सुबह से लोग नाग की पूजा कर रहे हैं। अपने घरों में दूध और धान की लावा का भोग नाग को चढ़या। लोग मंदिरों में गए। शिव मंदिर में भगवान शिव के गले में लिपटे हुए नाग की पूजा की। शिवलिंग के पास स्थापित नाग को दूध और लावा का प्रसाद ग्रहण कराया गया। लोग शिव और नाग की एक साथ पूजा कर रहे हैं। जिले में कई नाग के मंदिर में भी वहां अत्यधिक भीड़ रही। नागडीह में लोगों को आना सुबह से ही जारी है। हिन्दू धर्म में नाग को भगवान का अवतार माना जाता है। भगवान विष्णु भी नाग की शैय्या पर सोए हुए रहते हैं। भगवान कृष्ण और नाग में तो बहुत संबंध है। इस धर्मग्रंथों में नाग के अवतार के रूप में कई को दिखाया गया है।

ज्योतिषाचार्य पीएचडी रिसर्चर सचिन कुमार दुबे कहते हैं कि हिन्दू धर्मानुसार श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को नागपंचमी मनाई जाती है। स्कन्दपुराण के अनुसार इस दिन नाग देवता की पूजा करने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती है। सावन के सोमवार को होने वाली नागपंचमी में चार अगस्त की शाम 6:44 से तिथि का प्रवेश हुआ। 5 अगस्त की शाम 3:54 पर समाप्त होगी। इस दिन नागदेवता पर गंगाजल, कच्चा दूध, रोली, अक्षत, पुष्प, दुर्वा आदि चढ़ाना चाहिए। घर के प्रवेश द्वार पर नागदेवता का चित्र बनाकर विधि पूर्वक पूजा अराधना करना चाहिए। नाग की पूजा करने से शिव भी प्रसन्‍न होते हैं।

मां विषहरी पर श्रद्धालुओं ने चढ़ाया 150 डलिया
प्राचीन मनसा विषहरी मंदिर में श्रावण मास के नागपंचमी के अवसर पर सोमवार को नागराज तक्षक व मां मनसा विषहरी की विशेष पूजा अर्चना की गयी। पूजा को लेकर सुबह से देर रात तक आसपास इलाके के श्रद्धालुओं का भीड़ मंदिर मे उमड़ते रही। पुजारी संतोष झा के द्वारा वैदिक मंत्रोच्चार व विधि विधान से मां मनसा विषहरी व नागराज तक्षक की पूजा व भोग लगाया गया । पुजारी ने बताया कि मां मनसा की सबसे प्रिय नाग तक्षक को मंदिर समिति की ओर से 156 मिट्टी की ढकनी मे दूध,लावा, शक्कर,पंचमेवा का भोग लगाया गया। पुजारी द्वारा नागराज की विशेष पूजा व भोग शाम 4 से रात्रि 8 बजे तक किया गया। पुजारी ने बताया कि इसके अलावे आसपास के श्रद्धालुओं द्वारा मां मनसा विषहरी को सुबह 5 से शाम 5 बजे तक डलिया चढ़ाने का दौड़ चलता रहा। भक्तों ने करीब 150 से अधिक डलिया मां मनसा को अर्पित किया। श्रद्धालुओं ने डलिया मे पान सुपाड़ी, जनेऊ, खीरा, भुट्टा, केला,अमरूद, पंचमेवा, दूध लावा सहित अन्य फल व मिठाई चढ़ाकर मनोकामनाएं मांगी।


125 वर्षों के बाद ऐसा संयोग, नागपंचमी और सोमवारी एक ही दिन पुजारी संतोष झा ने बताया कि करीब 125 वर्षों के बाद श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथी यानी नागपंचमी के दिन सोमवारी का संयोग बना है। इस सोमवारी नागपंचमी के दिन नागराज तक्षक व मनसा देवी की पूजा का विशेष महत्व है। खासकर वैसे लोग जिनपर सर्पकाल दोष है। वैसे लोग यदि इस सोमवारी नागपंचमी के दिन चांदी या तांबा के नाग व नागिन बनवाकर और संकल्प कराकर मां मनसा विषहरी को समर्पित करेंगे। वे सर्पकाल दोष से मुक्त हो जायेंगे। इस अवसर पर मंदिर मे समिति अध्यक्ष संजय लाल, सचिव रामशरण दास,कोषाध्यक्ष अशोक लाल, चन्द्रशेखर, महेश, पिन्टू, गौरीशंकर, संजीत राउत आदि मौजूद थे।

सोनवर्षा के बड़ी भगवती मंदिर में चढ़ाए गए 61 चांदी के कलश
बिहपुर प्रखंड के सोनवर्षा गांव स्थित बड़ी भगवती स्थान मंदिर में नागपंचमी पर सोमवार को श्रद्धालुओं का जनसैलाब उमड़ पड़ा। मंदिर कमेटी के सचिव जीवन चौधरी ने बताया कि नागपंचमी पर यहां 350 से अधिक पाठा की बलि दी गई। 55 से अधिक का मुडंन संस्कार संपन्न हुआ। 61 श्रद्धालुओं ने चांदी के कलश चढ़ाए। प्रधानपुजारी राधाकांत झा ने पूजा संपन्न कराया। मंदिर कमेटी के संरक्षक जगदीष ईश्वर ने बताया कि बांका, खगडिय़ा, बेगूसराय, सहरसा, पूर्णिया व कटिहार आदि जिलों से भी बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंचे हैं। इस अवसर पर लगा मेला भी परवान पर है। माता के दरबार को रंगीन बल्बों से आकर्षक तरीके से सजाया गया है। मिलकी, औलियाबाद, बिहपुर, बभनगामा, अमरपुर, नरकटिया, जयरामपुर आदि गांवों के विषहरी मंदिरों में भी नागपंचमी की पूजा अर्चना की गई।

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