भागलपुर में छठ पूजा की रही धूम, श्रद्धालुओं ने उदीयमान सूर्य को दिया अर्घ्य
भागलपुर में लाेक आस्था के महापर्व छठ का समापन उगते सूर्य को अर्घ्य के साथ हो गया। इसके पहले तीसरे दिन मंगलवार को सायंकालीन अर्घ्य दिया गया।
भागलपुर [जेएनएन]। लोक आस्था के महापर्व छठ के अंतिम दिन बुधवार को भागलपुर सहित जिले भर में उगते सूर्य को अर्घ्य देने के लिए बड़ी संख्या में श्रद्धालु उमड़ पड़े। भागलपुर सहित सुल्तानगंज और कहलगांव के अलावा नवगछिया के कुछ क्षेत्रों में श्रद्धालुओं ने गंगा तट पर उपस्थित होकर अर्घ्य दान किया।
सूर्योपासना के प्रमुख व्रत छठ के दौरान व्रती और श्रद्धालु नियम-निष्ठा और स्वच्छता का पूरा ध्यान रखते हैं। भागलपुर शहर के बरारी घाट, सीढ़ी घाट, मुसहरी घाट, एसएम कॉलेज घाट, आदमपुर घाट, कोयला घाट, गोला घाट, खिरनी घाट में लाखों की संख्या में लोग जमा होकर भगवान सूर्य को अर्घ्य दान किया। वहीं कहलगांव के बटेश्वर स्थान गंगा घाट और सुल्तानगंज के अजनबी नाथ गंगा घाट पर उस क्षेत्र के लोगों ने भगवान सूर्य की पूजा की। नवगछिया क्षेत्र के श्रद्धालुओं ने समीपवर्ती दियारा क्षेत्र में गंगा किनारे आकर भगवान सूर्य को अर्घ्य दिया।
गंगा में काफी संख्या में भीड़ रहने के कारण हजारों श्रद्धालुओं ने पोखरों व झील के किनारे भी उपस्थित होकर सूर्योपासना के इस पर्व को मनाया। शहरी क्षेत्रों में कई जगह अपने घरों, मंदिरों और मैदानों में भी पोखर बनाकर भीड़-भाड़ से बचते हुए पर्व मनाया गया।
भगवान सूर्य के उदय होने के पहले सभी जगहों पर व्रती सूप में फल नैवेद्य और पूजन सामग्री लेकर भगवान सूर्य की ओर मुंह करके खड़ी हो गईं। इस दौरान सभी ने भगवान सूर्य का ध्यान करते हुए सूप के किनारे गंगा जल और दूध से अर्घ्य दिया।
इस दौरान पुलिस-प्रशासन और जिला प्रशासन ने संयुक्त रूप से सभी घाटों पर पुख्ता सुरक्षा का इंतजाम किया था। गंगा में एसडीआरएफ की टीम नौका लेकर तैनात थी। कई स्वयंसेवी संस्था श्रद्धालुओं की सेवा में लगे थे। कई संस्थाओं ने दूध व गंगाजल का वितरण किया।
घाटों के मार्ग पर कई स्वयंसेवी संस्थाओं ने शिविर लगाए। श्रद्धालुओं को कोई परेशानी ना हो इसका ध्यान रखा गया।
सूर्य उपासना का महापर्व छठ रविवार से शुरू हुआ है। प्रथम दिन रविवार को नहाए खाए के साथ कद्दू भात का प्रसाद ग्रहण कर व्रत का अनुष्ठान शुरू किया गया। दूसरे दिन सोमवार को इस महापर्व के दूसरे स्वरूप खरना की पूजा हुई। रात्रि में इस दिन खीर, रसिया, पुड़ी का भोग लगाया गया। मंगलवार को तीसरे दिन अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य दिया गया। चौथे दिन बुधवार को उदीयमान सूर्य को अर्घ्य के साथ छठ का चार दिवसीय अनुष्ठान संपन्न हो गया।
यह पर्व लोग काफी श्रद्धा के साथ मनाते हैं। जिनके घर में यह पर्व नहीं होता है, वे दूसरों के घरों में व्रत में सहयोग करते हैं।