वाम काली महारानी बिहपुर : जहां आठ घंटे में पूरी होती विसर्जन परंपरा, दूर-दूर से आते श्रद्धालु Bhagalpur News
वाम काली महारानी को दीपावली की रात 12 बजे से बेदी पर विराजमान कराया जाता है। मंदिर में उसी समय से विधिवत मेला लगता है। बेदी पर विराजमान होते ही माता की पूजा-अर्चना शुरू हो जाती है।
भागलपुर [कौशल किशोर मिश्र]। दो सौ साल से बिहपुर की प्रसिद्ध वाम काली महारानी माता मंदिर परिसर में आठ घंटे का मेला और महारानी विसर्जन शोभा यात्रा पूरी हो जाती है। माता की प्रसिद्ध ऐसी कि कोसी-सीमांचल समेत अन्य राज्यों में रह रहे यहां के लोग भी महारानी की पूजा में भाग लेने पहुंचते हैं। साल भर की पूजा की तैयारी और ग्रामीणों की जद्दोजहद और श्रद्धा देखते ही बनती है। कहा जाता है कि बिहपुर के रहने वाले बादर कांति मंडल ने लगभग दो सौ साल पहले काली महारानी की एक छोटी सी प्रतिमा बनाकर बांग्ला विधि से पूजा आरंभ की थी।
स्थानीय बुजुर्ग बताते हैं कि तब एक पाठा की पूजा कर उसकी बली दी उसके बाद से यहां माता की बेदी बनी और धीरे-धीरे मंदिर का निर्माण होता गया। आज 22 फीट उंची प्रतिमा बन रही है। मंदिर की ऊंचाई और काली महारानी की प्रतिमा की ऊंचाई में भी समानता है। प्रतिमा बनाने वाले कारीगर आज तक प्रतिमा निर्माण में ऐसी मिसाल पेश करते आ रहे हैं कि विसर्जन के समय बेदी से मइया की विदाई बेला में जरा भी परेशानी भक्तों को नहीं होती। दो सौ साल पूर्व आरंभ हुए वाम काली महारानी की पूजा का विस्तृत रूप सामने है। माता मंदिर परिसर में आठ घंटे का विशाल मेला लगता है। पूजा अर्चना, मेला और विसर्जन शोभा यात्रा का शांतिपूर्ण संचालन के लिए पूजा समिति करती है। जहां बिहपुर क्षेत्र का बच्चा-बच्चा स्वयं सुरक्षाकर्मियों की भूमिका में होता है। पूजा समिति अध्यक्ष अरुणा देवी, प्रधानमंत्री गौरव शर्मा आदि बताते हैं कि मंदिर परिसर में विधि-व्यवस्था के लिए पुलिस की तैनाती रहती है लेकिन बिहपुर के लोगों की श्रद्धा-मुस्तैदी ऐसी है कि मंदिर परिसर में पूजा-अर्चना, मेला और विसर्जन शोभा यात्रा में कभी किसी किस्म का विघ्न नहीं होता।
12 बजे रात में स्थापना और आठ बजे दिन से विजर्सन की तैयारी
वाम काली महारानी को दीपावली की रात 12 बजे से बेदी पर विराजमान कराया जाता है। मंदिर परिसर में उसी समय से विधिवत मेला लगता है। लोगों को इस बात की बेचैनी होती है कि बेदी पर विराजमान समय में माता की पूजा-अर्चना करें। हजारों की संख्या में लोगों की भीड़ जुट जाती है। बारह बजे रात से आठ बजे दिन तक वहां श्रद्धालुओं की ऐसी भीड़ जमा हो जाती है कि ईंच भर पैर रखने की जगह नहीं होती। यही वाम काली महारानी मंदिर परिसर में लगने वाले मेले की पहचान है। रात बारह बजे से श्रद्धालुओं की जमा हुई इस भीड़ की वापसी विसर्जन शोभा यात्रा में शामिल होने के बाद ही होती है। श्रद्धालुओं की बेचैनी आठ बजे सुबह से ही होने लगती है। पूजा समिति आठ बजे से ही विसर्जन की तैयारी आरंभ कर देती है। माता को मंदिर बेदी से उठाने के बाद वहां से कुछ फर्लांग की दूरी पर मौजूद बिहपुर थाना सरोबर तक ले जाने में एक घंटे लग जाता है।