Move to Jagran APP

वाम काली महारानी बिहपुर : जहां आठ घंटे में पूरी होती विसर्जन परंपरा, दूर-दूर से आते श्रद्धालु Bhagalpur News

वाम काली महारानी को दीपावली की रात 12 बजे से बेदी पर विराजमान कराया जाता है। मंदिर में उसी समय से विधिवत मेला लगता है। बेदी पर विराजमान होते ही माता की पूजा-अर्चना शुरू हो जाती है।

By Dilip ShuklaEdited By: Published: Mon, 28 Oct 2019 12:16 PM (IST)Updated: Mon, 28 Oct 2019 12:16 PM (IST)
वाम काली महारानी बिहपुर : जहां आठ घंटे में पूरी होती विसर्जन परंपरा, दूर-दूर से आते श्रद्धालु Bhagalpur News
वाम काली महारानी बिहपुर : जहां आठ घंटे में पूरी होती विसर्जन परंपरा, दूर-दूर से आते श्रद्धालु Bhagalpur News

भागलपुर [कौशल किशोर मिश्र]। दो सौ साल से बिहपुर की प्रसिद्ध वाम काली महारानी माता मंदिर परिसर में आठ घंटे का मेला और महारानी विसर्जन शोभा यात्रा पूरी हो जाती है। माता की प्रसिद्ध ऐसी कि कोसी-सीमांचल समेत अन्य राज्यों में रह रहे यहां के लोग भी महारानी की पूजा में भाग लेने पहुंचते हैं। साल भर की पूजा की तैयारी और ग्रामीणों की जद्दोजहद और श्रद्धा देखते ही बनती है। कहा जाता है कि बिहपुर के रहने वाले बादर कांति मंडल ने लगभग दो सौ साल पहले काली महारानी की एक छोटी सी प्रतिमा बनाकर बांग्ला विधि से पूजा आरंभ की थी।

loksabha election banner

स्थानीय बुजुर्ग बताते हैं कि तब एक पाठा की पूजा कर उसकी बली दी उसके बाद से यहां माता की बेदी बनी और धीरे-धीरे मंदिर का निर्माण होता गया। आज 22 फीट उंची प्रतिमा बन रही है। मंदिर की ऊंचाई और काली महारानी की प्रतिमा की ऊंचाई में भी समानता है। प्रतिमा बनाने वाले कारीगर आज तक प्रतिमा निर्माण में ऐसी मिसाल पेश करते आ रहे हैं कि विसर्जन के समय बेदी से मइया की विदाई बेला में जरा भी परेशानी भक्तों को नहीं होती। दो सौ साल पूर्व आरंभ हुए वाम काली महारानी की पूजा का विस्तृत रूप सामने है। माता मंदिर परिसर में आठ घंटे का विशाल मेला लगता है। पूजा अर्चना, मेला और विसर्जन शोभा यात्रा का शांतिपूर्ण संचालन के लिए पूजा समिति करती है। जहां बिहपुर क्षेत्र का बच्चा-बच्चा स्वयं सुरक्षाकर्मियों की भूमिका में होता है। पूजा समिति अध्यक्ष अरुणा देवी, प्रधानमंत्री गौरव शर्मा आदि बताते हैं कि मंदिर परिसर में विधि-व्यवस्था के लिए पुलिस की तैनाती रहती है लेकिन बिहपुर के लोगों की श्रद्धा-मुस्तैदी ऐसी है कि मंदिर परिसर में पूजा-अर्चना, मेला और विसर्जन शोभा यात्रा में कभी किसी किस्म का विघ्न नहीं होता।

12 बजे रात में स्थापना और आठ बजे दिन से विजर्सन की तैयारी

वाम काली महारानी को दीपावली की रात 12 बजे से बेदी पर विराजमान कराया जाता है। मंदिर परिसर में उसी समय से विधिवत मेला लगता है। लोगों को इस बात की बेचैनी होती है कि बेदी पर विराजमान समय में माता की पूजा-अर्चना करें। हजारों की संख्या में लोगों की भीड़ जुट जाती है। बारह बजे रात से आठ बजे दिन तक वहां श्रद्धालुओं की ऐसी भीड़ जमा हो जाती है कि ईंच भर पैर रखने की जगह नहीं होती। यही वाम काली महारानी मंदिर परिसर में लगने वाले मेले की पहचान है। रात बारह बजे से श्रद्धालुओं की जमा हुई इस भीड़ की वापसी विसर्जन शोभा यात्रा में शामिल होने के बाद ही होती है। श्रद्धालुओं की बेचैनी आठ बजे सुबह से ही होने लगती है। पूजा समिति आठ बजे से ही विसर्जन की तैयारी आरंभ कर देती है। माता को मंदिर बेदी से उठाने के बाद वहां से कुछ फर्लांग की दूरी पर मौजूद बिहपुर थाना सरोबर तक ले जाने में एक घंटे लग जाता है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.