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रबी की समय पर बोआई को बेताब किसान औने-पौने दाम पर बेच रहे धान

खेतों की नमी उड़ने के कारण चिंतित किसान अपने उत्पादित धान को बिचौलिए के हाथ औने पौने दाम में बेचने को विवश हैा सरकार ने धान का न्यूनतम मूल्य 1868 रुपये क्विंटल निर्धारित की है जबकि किसान 1100 से 1150 रुपये क्विंटल बेचने को विवश हैं

By Amrendra TiwariEdited By: Published: Mon, 23 Nov 2020 04:06 PM (IST)Updated: Mon, 23 Nov 2020 04:06 PM (IST)
रबी की समय पर बोआई को बेताब किसान औने-पौने दाम पर बेच रहे धान
अभी तक सरकारी स्तर से धान की खरीद नहीं हुई है शुरूआत किसान परेशान

मुंगेर, जेएनएना धान का कटोरा कहे जाने वाले तारापुर प्रखंड में धान की कटनी शुरू है। किसान तेजी से धान की कटरीा कर रहे हैं, ताकि समय से रबी फसल की बुआई कर सकें। मजदूरों की कमी के कारण हार्वेस्टर तथा अन्य मशीनों द्वारा किसान कटाई कर रहे हैं। साथ ही साथ पछिया हवा चलने के कारण खेतों की नमी को बरकरार रख ट्रैक्टर द्वारा खेत की जुताई कर गेहूं की बुआई का कार्य भी कर रहे हैं । धान की फसल में लगने वाली बड़ी लागत के कारण किसान तंगहाली से गुजर रहे हैं ।

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ढीली है किसानों की जेब

किसानी के साथ-साथ दुर्गा पूजा, दीपावली एवं छठ जैसे महत्वपूर्ण त्योहार के खर्च ने किसानों की जेब ढीली कर दी है। ऐसे में किसान तैयार धान की उपज बेचने के लिए परेशान हैं। किसानों को सरकार द्वारा नवंबर माह से धान खरीद की प्रक्रिया शुरू किए जाने की उम्मीद थी। लेकिन, अभी तक धान की सरकारी खरीद शुरू नहीं हो पाई है।

बिचौलिए के हाथ बेच रहे धान

बाजार से उधार नहीं मिलने के कारण छोटे एवं मध्यम किसान कटे हुए धान की तैयारी कर उसे स्थानीय व्यापारी के हाथ में ओने पौने दामों पर बेचने को मजबूर हो रहे हैं। वर्तमान में गांव के छोटे व्यापारी के द्वारा 1150 से 1250 रुपये प्रति क्विंटल     के दर से धान की खरीद की जा रही है। जबकि सरकार द्वारा 1868 रुपये क्विंटल समर्थन मूल्य तय किया गया है। स्वाभाविक है कि किसान सरकारी दर को प्राप्त करने में असहाय हैं ।स्थानीय जनप्रतिनिधि भी इस मामले में मौन साधे हुए हैं।

रबी की बोआई के लिए  धान बेचना मजबूरी

गनेली  के दिनेश सिंह ने कहा कि धान का फसल तैयार हो गया। रबी फसल की बुआई के लिए पैसे की आवश्यकता थी। बीज एवं जुताई के लिए धान बेचना मजबूरी था। मैंने स्थानीय व्यापारी को 1150 रुपये प्रति क्विंटल की दर से धान बेच दिया। बिहमा के महेंद्र यादव ने भी आवश्यक कार्य के लिए धान को 1160 रुपये प्रति क्विंटल की दर से बेच दिया। किसान अजय झा ने कहा कि पैक्स द्वारा धान खरीद नहीं किए जाने के कारण किसानों को मजबूरी में सात सौ रुपये प्रति क्विंटल का नुकसान उठा कर धान बेचना पड़ रहा है। किसानों से धान खरीद समय पर कैसे हो ,इस संबंध में सरकार को निर्णय लेना चाहिए। सरकारी लाभ वास्तविक रूप से जरूरतमंद किसानों को समय पर नहीं मिल पाता है।

एक पखवारे बाद शुरू होगा धान अधिप्राप्ति 

प्रखंड सहकारिता पदाधिकारी भोला दास ने बताया कि जिला से धान अधिप्राप्ति को लेकर मौखिक आदेश प्राप्त हुआ है, परंतु सारी प्रक्रिया पूर्ण होने के बाद ही धान की खरीदारी हो सकती है। जिसमें न्यूनतम एक पखवारे का समय लग जाएगा। उन्होंने कहा कि गोदामों की साफ सफाई का काम अंतिम चरण में है। सरकार के 1868 रुपये प्रति क्विंटल कीमत निर्धारित की गई है । सभी पैक्स को निर्देश दिए गए हैं कि वे धान अधिप्राप्ति के लिए अपने अपने स्तर से प्रस्ताव भेजें। किसानों के बीच में प्रचारित कराने का काम करें कि अधिक से अधिक किसान सहकारिता विभाग के पोर्टल पर अपना निबंधन करा लें। जितने भी किसान पंजीकृत हो जाएंगे और उनका धान पैक्स की ओर से खरीदे जाएंगे। जो किसान निबंधन नहीं कराएंगे, उनका धान पैक्स नहीं खरीद सकेगा। 


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