महागठबंधन नेताओं ने सरकार की आलोचना की, बोले-किसान विरोधी है केंद्र, जनता को मिल रहा धोखा
किशनगंज के महागठबंधन कार्यकर्ताओं ने किसान नीति का विरोध किया। केंद्र सरकार की आलोचना की। नेताओं ने कहा कि इस सरकार ने गरीबों का भला नहीं किया है। यह अमीरों की सरकार है। कृषि नीति देश हित में नहीं है।
किशनगंज, जेएनएन। कृषि बिल के विरोध में दिल्ली में चल रहे किसानों के आंदोलन के समर्थ में विपक्षी दलों का सुर तेज हो गया है। महागठबंधन में शामिल कांग्रेस के अलावा आम आदमी पार्टी समेत असदुउद्दीन ओवैसी की पार्टी भी केंद्र के खिलाफ मुखर है। कृषि बिल को किसान विरोधी बताते हुए केंद्र सरकार की आलोचना कर रहे नेताओं का कहना है कि भाजपा सरकार उद्याेगपतियों के इशारे पर काम कर रही है। खेत में मेहनत मजदूरी करने वाले अन्नदाताओं की सुध ही नहीं है। सरकार पूरी तरह से किसानों की अनदेखी कर रही है।
किशनगंज के कांग्रेस विधायक इजहारूल हुसैन ने कहा कि किसान विरोधी नए कृषि कानून से बड़ी कंपनियों को जमाखोरी और कालाबाजारी की छूट मिलेगी। खेती किसानी जो अब तक निजीकरण से बची हुई थी, उस पर भी निजी कंपनियोंं का राज होगा। इसे तत्काल वापस लेना चाहिए। किसानों की मांगेे जायज है।
कोचाधामन से एआइएमआइएम के विधायक हाजी इजहार असफी ने कहा कि किसानों की मांगे वाजिब है। सरकार को इस पर गंभीरता से विचार करते हुए किसानों के हक में निर्णय लेना चाहिए। खेती किसानी ही इस देश की मूल पूंजी है, इसलिए हमें किसानों के लिए हमेशा बेहतर करने की जरूरत है। केंद्र सरकार को किसानों की हकमारी नहीं बल्कि उनके हक और अधिकार के बारे में सोचना होगा। सरकार से हमारी गुजारिश है कि किसानों के हित में फैसला लें।
वहीं आम आदमी पार्टी के जिलाध्यक्ष कुमर सिंह ने कहा कि केंद्र सरकार किसान विरोधी बिल लाकर किसानों की हकमारी कर रही है। सरकार को इस बिल को वापस लेना चाहिए। उन्होंने कहा कि मंगलवार को भी जिले में विरोध प्रदर्शन किया गया था। अगर सरकार इस बिल को वापस नहीं करती है तो विरोध प्रर्दशन जारी रहेगा।
इस बिल का कांग्रेस और राजद ने भी काफी विरोध किया है। इन नेताओं का कहना है कि सरकार को किसानों के हित से कोई लेना-देना नहीं है। यह सरकार पूंजीपतियों की सरकार है।