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डॉ लक्ष्मीकांत सहाय के निधन से चिकित्सा जगत और संघ परिवार में शोक, लोगों ने दी श्रद्धां​जलि

भागलपुर के आंख नाक कान और गला रोगों के विशेषज्ञ चिकित्सक डॉ एलके सहाय का निधन हो गया। वे आरएसएस के जिला संघचालक विभाग संघचालक और सह प्रांत संघचालक भी रहे थे।

By Dilip ShuklaEdited By: Published: Mon, 27 Jul 2020 05:06 PM (IST)Updated: Tue, 28 Jul 2020 08:53 AM (IST)
डॉ लक्ष्मीकांत सहाय के निधन से चिकित्सा जगत और संघ परिवार में शोक, लोगों ने दी श्रद्धां​जलि
डॉ लक्ष्मीकांत सहाय के निधन से चिकित्सा जगत और संघ परिवार में शोक, लोगों ने दी श्रद्धां​जलि

भागलपुर [दिलीप कुमार शुक्‍ला]। भागलपुर के जाने-माने चिकित्सक एवं राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के पूर्व सह प्रांत संघचालक डॉ. लक्ष्मीकांत सहाय के निधन से हर ओर शोक की लहर है। उनका निधन भागलपुर में 26 जुलाई 2020 की मध्य रात्रि को हो गया। उनके निधन की सूचना मिलने के साथ ही हर ओर शाोक की लहर दौड़ पड़ी। स्‍वयंसेवक इस सूचना से हतप्रभ हो गए।

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राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के दक्षिण बिहार प्रांत संघचालक डॉ ललन सिंह ने कहा कि डॉ लक्ष्‍मीकांत सहाय हमारे के वरिष्‍ठ स्‍वयंसेवक थे। उन्‍होंने कहा उनका उन्‍हें भी मार्गदर्शन मिला है। उन्‍होंने ईश्‍वर से प्रार्थना की है कि इस दुख की घड़ी में उनके स्‍वजन और स्‍वयंसेवकों को दुख सहने से शक्ति प्रदान करे। ईश्‍वर उनकी आत्‍मा को सदगति दे।

भागलपुर जिला संघचालक डॉ राणा प्रताप सिंह ने कहा कि वे हम सबके अभिभावक थे। वे अपनी बात बेबाकी और निर्भिकता से रखते थे। उन्‍होंने एक संस्‍करण सुनाते हुए कहा कि जब भागलपुर नगर के सह संघचालक का दायित्‍व देने के लिए डॉ लक्ष्मीकांत सहाय और शंकर शुक्‍ल मेरे घर पर आए थे, तो उन्‍होंने मेरी पत्‍नी को कहा कि आज मैं आपसे आपके पति को मांगने आया हूं। उस समय डॉ लक्ष्‍मीकांत सहाय सह प्रांत संघचालक थे डॉ शंकर शुक्‍ल जिला संघचालक। यह बात सुनकर डॉ राणा प्रताप सिंह और उनकी पत्‍नी हतप्रभ हो गई। तब डॉ सहाय बोले-जो समय सब काम करने के बाद बचे, उसी समय को संघ कार्य के लिए मैं इनसे मांगने आया हूं। डॉ राणा प्रताप सिंह ने कहा कि अगर डॉ साहब नहीं आते तो संभवत: हम आरएसएस से नहीं जुड़ते और इनकी अच्‍छी सोच, देशभक्ति और अनूठी कार्यपद्धति से परिचित नहीं हो पाते।

शहर के नेत्र रोग विशेषज्ञ सह भागलपुर नगर संघचालक डॉ चंद्रशेखर साह ने कहा कि डॉ सहाय का निधन एक अपूरणीय क्षति है। वे अपने कार्य के प्रति स‍मर्पित थे। एक ईमानदार, सदचरित्र व्‍यक्ति को आज लोगों ने खो दिया। उन्‍होंने कहा कि जब भी चिकित्सा जगत में कोई समस्‍या आती थी, इसके समाधन के लिए सभी डॉ सहाय के पास जाते थे। वहीं, से उपाय मिलता था। वे चिकित्सा जगत के कई संगठनों के प्रमुख पदों पर भी रहे। वे वरिष्‍ठ स्‍वयंसेवक थे। जब तक आरएसएस के दायित्‍व में रहे, उन्‍होंने अपना संपूर्ण समय संघ को दे दिया थे। वे अनुशासन के पक्‍के थे। समय के बड़े पाबंद थे। आज उनके निधन से हम सभी दुखी हैं। उन्‍होंने कहा हम सबने अपने अभिभावक को खो दिया।

दक्षिण बिहार के प्रांत के सह सेवा प्रमुख अंजनी कुमार ने कहा कि डॉ लक्ष्‍मीकांत सहाय मनसा, वाचा और कर्मणा के प्रतिमूर्ति थे। उन्‍होंने कहा कि डॉ लक्ष्‍मीकांत सहाय के व्‍यक्तित्‍व और जीवन से आरएसएस को समझने में उन्‍हें आसानी हुई। वे संघ के प्रतिमूर्ति थे। उन्‍होंने श्रीगुरुजी जन्‍म शताब्दी समारोह में काफी सहयोग किया। अंजनी कुमार उस समय बांका जिला के प्रचारक थे। डॉ सहाय ने अंजनी कुमार को कहा कि बांका में श्रीगुरुजी जन्‍म शताब्दी समारोह में वर्ष भर जितने भी कार्यक्रम होंगे, वे सभी में भाग लेंगे। इसका उन्‍होंने पूरी तरह से पालन किया। संघचालक होने के नाते उनका हमेशा मागदर्शन उन्‍हें मिलता रहता है। उन्‍होंने ईश्‍वर से प्रार्थना कि इस दुख की घड़ी में उनके स्‍वजन और सभी स्‍वयंसेवकों को दुख सहने से शक्ति प्रदान करे।

केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण राज्य मंत्री अश्विनी कुमार चौबे ने कहा कि डॉ लक्ष्‍मीकांत सहाय के निधन से उनकी निजी क्षति हुई है। उन्होंने बताया कि वे एक नेक दिल, दूसरों की सेवा के लिए हमेशा तत्पर रहने वाले मिलनसार व्यक्तित्व थे और लंबे अरसे से उनसे एक परिवारिक संबंध था।

डॉ मथुरा दूबे ने कहा कि आचरण से विविध आयामों के धनी डाॅ लक्ष्मीकांत सहाय हमारे बीच नहीं रहे। डॉ सहाय का हमारे बीच से जाना वास्तविकरूप से एक अपूर्णीय क्षति है। ईएनटी के सुप्रसिद्ध चिकित्सक होने के साथ- साथ डॉ सहाय सार्वजनीन थे। शहर के अनेक गतिविधियों के साक्षी सहाय जी की राष्ट्रभक्ति कमाल की नजर आती थी, जब वे जीवन के तृतीय और चतुर्थ पड़ाव में भी आरएसएस के किसी कार्यक्रम में खाकी के हाफ पैंट और सफेद शर्ट के साथ सिर पर काली टोपी और हाथ में दंड लेकर आते थे तो उन्हें देखकर हर जीवित व्यक्ति के भीतर राष्ट्रभक्ति के भाव जग जाता था। सहाय जी की संस्तुति में जितना भी लिखा या कहा जायेगा, वह अपूर्ण ही रहेगा। डॉ सहाय अपने सौम्य जीवन और  सौजन्यपूर्ण व्यवहार के चलते हमारे जीवन में एक सफल मार्गदर्शक के रूप में सदा अमर रहेंगे।

शहर के वरिष्‍ठ चिकित्‍सक डॉ हेमशंकर शर्मा ने कहा कि डॉ सहाय हमारे पथ प्रदर्शक थे। बहुआयामी व्‍यक्तित्‍व था उनका। वे एक ऐसे शिक्षक थे, जिन्होंने विद्या के साथ—साथ मानवता का पाठ पढ़ाया। उन्होंने हजारों चिकित्सकों को नई दिशा और दशा दी। उनके पदचिह्नों पर लोग आज चलेंगे। उन्होंने कहा हम सभी उनके बहुमूल्‍य योगदान को हमेशा याद रखेंगे।

डॉ रोमा यादव ने कहा कि मैं डॉ लक्ष्मीकांत सहाय की विद्यार्थी रही हूं। वे बहुत ही प्रेम से पढ़ते थे। उनका उन्हें हमेशा पितातुल्य स्नेह मिला है। उनके निधन से चिकित्सका जगत को काफी क्षति हुई। एक युग का अंत हो गया। वे सधे हुए इंसान थे। हमेशा मुस्कुराते रहते थे। सबका मार्गदर्शन करते थे। सभी चिकित्सक उनका आदर करते थे। उन्होंने कहा ईश्वर उनके पवित्र आत्मा को शांति प्रदान करे। उनका आशीर्वाद हमेशा सबपर बनी रहे।

नागपुर में राष्ट्रीय स्‍वयंसेवक संघ के वरिष्‍ठ कार्यकर्ता सुधांशु पाठक ने कहा कि यह वास्‍तव में बिहार के स्‍वयंसेवकों के लिए दुख की घड़ी है। उनके निधन से संघ ही नहीं, बल्कि पूरा समाज मर्माहत है। चिकित्सा जगत में भी शोक है। उन्‍होंने कहा इस दुख की घड़ी में भगवान उनकी आत्‍मा को सदगति प्रदान करे।

डॉ सहाय के काफी करीबी रहे भागलपुर जिला प्रचार प्रमुख हरविंद नारायण भारती ने कहा कि मैंने तो अपने अभिभावक को ही खो दिया। ऐसा कोई दिन होता था कि उनके भेंट ना हो या फोन पर बात नहीं हो। उन्‍होंने कहा कि डॉ सहाय ने जो सानिध्‍य और कृपा हमपर की है, यह जीवनपर्यंत स्‍मरणीय रहेगा। उन्‍होंने कहा आज उनके चले जाने से ऐसा लगता है सब कुछ विरान हो गया हो। हमारा कोई खास हमसे दूर हो गया हो। उन्‍होंने जो भी धन कमाया, वह इसी समाज को समर्पित कर दिया। मरीजों से पैसा कमाने की जगह उन्‍होंने उनकी सेवा की। लगातार मरीजों का निश्‍शुल्‍क उपाचार किया। वे संघ के एक ऐसा कार्यकर्ता थे, जिन्‍होंने ऐसी पहचान बनाई, जो हमेशा संघ के कार्यकर्ताओं को प्रेरणा देता रहेगा। आज उनके आदर्शों पर चलकर लोग संघ कार्य कर रहे हैं। वे विचारों के पूंज थे। ईश्‍वर उनकी पवित्र आत्‍मा को शांति दे।

बिजली विभाग के सेवानिवृत अभियंता सुरेश कुमार सिंह ने कहा कि डॉ सहाय हमारे आध्‍यात्मिक गुरु थे। वे सहृदय इंसान थे। वे जितना बाहर थे उससे कहीं ज्‍यादा भीतर थे। उन्‍हें आत्‍मज्ञान की प्राप्ति थी। वे एक साधक थे। उन्होंने कहा कि आरएसएस में वे और डॉ सहाय समकालीन ही दायित्‍व में आए थे। तत्‍कालीन विभाग प्रचारक उद्यम चंद्र शर्मा ने डॉ लक्ष्‍मीकांत सहाय को आरएसएस में दायित्‍व लेकर काम करने के लिए प्रेरित किया। इसके बाद लंबे समय में डॉ सहाय और सुरेश प्रसाद सिंह एक साथ संघ कार्य करते रहे। सुरेश प्रसाद सिंह ने कहा कि वे अक्‍सर डॉ साहब के पास जाकर बैठते, उनके आध्‍यात्‍म की बात करते थे। वे कई सामाजिक, धार्मिक और सांस्‍कृतिक संगठनों से जुड़े रहे। कई धर्मशालाओं के संचालन समिति में रहे। कई विद्यालयों के संरक्षक थे। जिस समय सुरेश प्रसाद सिंह विभाग कार्यवाह थे, उस समय डॉ सहाय विभाग संघचालक थे। इस कारण संघ की योजनाओं में दोनों की मुख्‍य भूमिका रहती भी। वे भागलपुर के चिकित्‍सा जगत और संघ के रीढ़ थे। सुरेश प्रसाद सिंह ने कहा कि आज मैंने उस व्‍यक्तित्‍व को खो दिया, जो हमारे सबसे करीबी और मार्गदर्शक रहे हैं।

विश्‍व हिंदू परिषद नेता राकेश सिन्‍हा ने कहा कि उनका जीवन आजीवन संघ और समाज के प्रति समर्पित था। उनका जीवन आदर्श रहा है। परमात्‍मा उनकी पवित्र आत्‍मा को मोक्ष प्रदान करे। ऐसे लोग शायद ही कभी-कभार इस धरा पर अवतरित होते हैं।

आनंदराम ढांढनियां सरस्‍वती विद्या मंदिर के प्रधानाचार्य अनंत कुमार सिन्‍हा ने कहा कि डॉ एलके सहाय शहर के सुप्रसिद्ध चिकित्सकों में से एक थे। आरएएसएस और समाज में विभिन्न जिम्मेदारियों को उन्होंने बखूबी निभाया है। स्थापना काल में आनंदराम आनंदराम ढांढनियां सरस्‍वती विद्या मंदिर भागलपुर के उपाध्यक्ष के पद पर भी रहे। इस विद्यालय के निर्माण में उनका बहुत बड़ा योगदान है। इनका निधन संघ, समाज, विद्यालय एवं चिकित्सा जगत की अपूरणीय क्षति है। दुःख की इस घड़ी में पूरा विद्यालय परिवार उनके परिवार के साथ खड़ा है और प्रभु से प्रार्थना करता है कि उनकी आत्मा की अपने परमधाम में स्थान दे। विद्यालय परिवार उन्हें अश्रुपूरित श्रद्धांजलि अर्पित करता है।

गीतकार राजकुमार ने कहा डॉ सहाय के निधन की सूचना से मर्मांतक पीड़ा हुई। उन्‍होंने कहा एक समर्थ एवं वास्तविक अभिभावक आज नजर से ओझल हो गया। वे मात्र एक आंख के प्रसिद्ध चिकित्सक ही नहीं थे, बल्कि अंत:दृष्टि सम्पन्न आध्यात्मिक पुरुष भी थे। आत्मियता उनमें कूट-कूट कर भरी हुई थी। उन्‍होंने कहा जब भी वे उनसे मिले, एक नई ऊर्जा और स्फूर्ति ही उन्‍हें मिली। उनका मुख कभी मलीन नहीं देखा गया। जब भी देखा हंसते/मुस्कुराते हुए ही देखा। किसी के दुख में वे दुखी ही नहीं बल्कि दुख निदान की ओर उनकी दृष्टि रहती। वे कविता सुनने के शौकीन थे। इस कारण जब भी गीतकार राजकुमार से उनकी भेंट होती वे उनकी र‍चना को जरुर सुना करते थे। गीतकार राजकुमार ने कहा कि शहर ही नहीं, अपितु देश ने एक विराट व्यक्तित्व को खो दिया है। उन्‍होंने कहा प्रभु ऐसे सहृदय व्यक्तित्व की विदेही आत्मा को अपनी शरणागति और इनके संपूर्ण विस्तृत परिवार को इस असह्य पीड़ा को सहन करने की क्षमता प्रदान करें।

आकाशवाणी भागलपुर के वरीय उद्घोषक डॉ विजय कुमार मिश्र 'विरजू भाई' ने कहा कि डॉ लक्ष्‍मीकांत सहाय से व्यक्तिगत और पारिवारिक संबंध होने के नाते जिंदगी में उनसे बहुत कुछ सीखने का मौका मिला। वे एक व्यक्ति नहीं, बल्कि एक संस्था थे। नर सेवा से नारायण सेवा, लोकहित और लोक कल्याण हेतु सदा तत्‍पर रहना,  किसी के भी दुख को अपना दुख समझना, ऐसी और भी कई अनगिनत खूबियां उनमें थी। उनके निधन से एक विशाल क्षेत्र की बहुत बड़ी क्षति हुई। सहज व्यक्तित्व, सरल स्वभाव, सहज उपलब्धतता और उसी सहजता से सबके कष्ट को हर लेना की प्रवृत्ति ये सबके वश की बात नहीं। इंसान के रूप में पीड़ित मानवता के लिये वो भगवान स्वरूप ही थे।

विवेकानंद केंद्र कन्‍याकुमारी के प्रांत संपर्क प्रमुख डॉ विजय कुमार वर्मा ने कहा कि डॉ एलके सहाय एक अनुकरणीय व्यक्तित्व, सरल हृदय और कुशल चिकित्सक रहे। उन्‍होंने कहा कि उनसे पहली भेंट उनकी 2007 में स्व. सुरेंद्र घोष जी के आवास पर हुआ था। आरएसएस द्वारा आयोजित लिट्टी चोखा का कार्यक्रम था। डॉ साहब का हंसमुख चेहरा मन को सहज ही आकर्षित करता था। 2011 में विवेकानन्द केन्द्र द्वारा आयोजित विजय ही विजय कार्यक्रम से उनका जुड़ाव विवेकानन्द केन्द्र की ओर गहरा होता गया। स्व सुरेंद्र घोष के आग्रह पर विवेकानन्द केन्द्र भागलपुर शाखा का संरक्षक बने। डॉ साहब अपने आप में प्रतिबद्ध चिकित्सक, सच्चा संगठनकर्ता, कुशल सामाजिक शिल्पी और जीवंत व्यक्तित्व के धनी थे। विवेकानन्द केन्द्र उन्‍हें श्रद्धांजलि अर्पित करता है।

भाजपा जिलाध्‍यक्ष रोहित पांडेय ने कहा कि उनका कई बार उन्‍हें मागदर्शन मिला है। वे अद्वितीय व्‍यक्तित्‍व थे। उनके निधन से चिकित्सा जगह ही नहीं, बल्कि आरएसएस और समाज को काफी क्षति हुई है। ईश्‍वर उनकी आत्‍मा को शांति प्रदान करे और उनके विशाल परिवार को दुख सहने की शक्ति दे।

विधान पार्षद डॉ एनके यादव ने कहा कि डॉ एलके सहाय के निधन से भागलपुर की क्षति हुई है। डॉक्‍टरों के लिए तो यह क्षण काफी दुख भरा है। वे आरएसएस के संघचालक के नाते ही नहीं बल्कि वरिष्‍ठ डॉक्‍टर होने के नाते भी हम सबका मागदर्शन करते थे। इस क्षति की भरपाई करना संभव नहीं है।

भाजपा नेता अर्जित शाश्‍वत चौबे ने कहा कि उनका हमेशा मार्गदर्शन एवं आशीर्वाद उन्‍हें मिलता रहता था। उनका निधन सामाजिक क्षेत्र के लिए अपूरणीय क्षति है। ईश्वर उनकी आत्मा को शांति प्रदान करें एवं शोकाकुल परिवार को इस दुख को सहने की शक्ति दे।

भाजपा नेत्री पूर्व उप महापौर डॉ प्रीति शेखर ने डॉ लक्ष्‍मीकांत सहाय के निधन पर शोक व्यक्त किया है। उन्‍होंने कहा वे उन्‍होंने जीवन पर्यंत समय का पालन किया है। अनुशासन उनकी पहचान थी। ईमानदारी से अपने कर्तव्यों का निर्वहन करने के लिए वे जाने जाते थे। सादा जीवन-उच्च विचार की भावना से ओत-प्रोत उनका जीवन युवाओं के लिए प्रेरणास्त्रोत रहा। उनके निधन से चिकित्सा जगत, आरएसएस सहित कई धार्मिक, सामा‍जिक और सांस्‍कृतिक संगठन को क्षति हुई है।

न्‍यू ईरा एकेडमी के प्राचार्य सरोज वर्मा ने कहा कि डॉ लक्ष्‍मीकांत सहाय के निधन से वे काफी दुखी हैं। वे चिकित्‍सक और आरएसएस के बीच धूरी का भी काम करते थे। स्‍वयंसेवकों में वे काफी प्रिय थे। वे स्‍वयंसेवकों के घरों पर भी जाते थे। उन्‍होंने कहा कि उनके विद्यालय के प्रत्‍येक समारोह में उनका आगमन होता था। वे बच्‍चों का मागदर्शन करते थे। कई बार विद्यालय में श‍िविर लगाकर उन्‍होंने यहां के छात्र-छात्राओं के नेत्रों का जांच किया था। वे इस विद्यालय के संरक्षक थे। उनके निधन से न्‍यू ईरा एकेडमी परिवार दुखी है। उन्‍होंने कहा कि इस दुख की घड़ी में ईश्‍वर उनके स्‍वजनों, चिकित्‍सा जगत, स्‍वयंसेवकों और  श‍िक्षकों को दुख सहने की शक्ति प्रदान करे। उनकी आत्‍मा को शांति दे।

डॉ बहादुर मिश्र, सुबोध विश्‍वकर्मा, प्रो ब्रजभूषण तिवारी, प्रो डॉ विजय कांत दास, पूर्व कुलपति प्रो डॉ क्षमेंद्र प्रसाद सिंह आदि ने डॉ एलके सहाय के निधन पर शोक व्‍यक्‍त किया है।

डॉ सहाय के निधन पर आईडी ए के पूर्व अध्यक्ष डॉ विनोद कुमार, डॉ एस बी शरण, डॉ बसंत, डॉ शुभांकर, डॉ नीरव, डॉ नवीन ,डॉ पंकज आदि ने उन्हें श्रद्धांज‍लि दी।


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