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भागलपुर चिकित्सा जगत के पितामह और आरएसएस के पुरोधा डॉ लक्ष्मीकांत सहाय का निधन

भागलपुर के जाने-माने आंख नाक कान और गला रोगों के विशेषज्ञ चिकित्सक डॉ लक्ष्‍मीकांत सहाय का निधन हो गया। वे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़े थे।

By Dilip ShuklaEdited By: Published: Mon, 27 Jul 2020 11:36 AM (IST)Updated: Tue, 28 Jul 2020 08:56 AM (IST)
भागलपुर चिकित्सा जगत के पितामह और आरएसएस के पुरोधा डॉ लक्ष्मीकांत सहाय का निधन
भागलपुर चिकित्सा जगत के पितामह और आरएसएस के पुरोधा डॉ लक्ष्मीकांत सहाय का निधन

भागलपुर [दिलीप कुमार शुक्‍ला]। भागलपुर चिकित्सा जगत के पितामह और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के पुरोधा डॉ. लक्ष्मीकांत सहाय का निधन हो गया। वे 89 वर्ष के थे। वे पिछले छह माह से बीमार थे। उनका निधन भागलपुर में 26 जुलाई 2020 की मध्य रात्रि को हो गया। उनके पुत्र राजेश सहाय ने बताया कि 28 जुलाई को बरारी श्‍मशान घाट में उनका दाह संस्‍कार होगा। उनके कुछ स्‍वजनों के आने का इंतजार है।

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चिकित्‍सा जगत में शोक

डॉ सहाय जवाहर लाह नेहरू चिकित्‍सा महाविद्यालय में आंख, नाक, कान और गले संबंधी रोगों के विभागाध्‍यक्ष भी रहे थे। उनके निधन से भागलपुर के चिकित्‍सा जगत में शोक है। आरएसएस सहित उनके अनुशांगिक संगठनों के अलावा कई सामाजिक संगठन के कार्यकर्ताओं ने उनके निधन पर दुख व्‍यक्‍त किया है।

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के काफी करीबी रहे

डॉ लक्ष्‍मीकांत सहाय ने अपना संपूर्ण जीवन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ, उसके अनुशांगिक संगठन और समाज के लिए समर्पित कर दिया था। आरएसएस के प्रति उनका लगाव बचपन से ही था। वे संघ संस्‍थापक आद्य सरसंघचालक डॉ केशव बलिराम हेडगेवार के जीवन से काफी प्रभावित थे। वे हमेशा डॉ हेडगेवार और द्वितीय सरसंघचालक डॉ माधव राव सदाशिव राव गोलवलकर 'गुरुजी' के व्‍यक्तित्‍व का अध्‍ययन करते रहते थे। स्‍वामी विवेकानंद ने भी उनके जीवन पर काफी प्रभाव छोड़ा था।

भागलपुर के तत्‍कालीन विभाग प्रचारक उद्यम चंद्र शर्मा के प्रयास से उन्‍हें संघ में दायित्‍व दिया गया। उसके बाद वे भागलपुर जिला के संघचालक बने। संघ के प्रति निष्‍ठा और समर्पण के कारण उन्‍हें इसके बाद भागलपुर विभाग का संघचालक बना गया। जिसके अंतर्गत भागलपुर और बांका दो जिले आते हैं। वे कई वर्षों तक विभाग संघचालक रहे। संघ के केंद्रीय अधिकारी ने इसके बाद उन्‍हें दक्षिण बिहार का प्रांत संघचालक का दायित्‍व दे दिया। उन्‍होंने लंबे समय तक तीनों संघचालक के रूप में द‍ायित्‍व निभाया। वर्तमान सरसंघचालक डॉ मोहन राव भागवत से उनके काफी मधुर संबंध थे। जब मोहन राव भागवत अखिल भारतीय शारीरिक प्रमुख सह उत्‍तर-पूर्व क्षेत्र प्रचारक थे, उसी समय डॉ सहाय को भागलपुर जिला संघचालक का दायित्‍व मिला था। इस कारण डॉ मोहन राव भागवत और डॉ लक्ष्‍मीकांत सहाय का अक्‍सर कार्यक्रमों और बैठकों में लगातार मिलना-जुलना होता रहता था।

तीन सरसंघचालक का उन्‍हें मार्गदर्शन मिला

डॉ लक्ष्‍मीकांत सहाय को तीन सरसंघचालक का मागदर्शन मिला है। उन्‍होंने संघ के चौथे सरसंघचालक प्रो डॉ राजेंद्र प्रसाद सिंह 'रज्‍जू भैया' के कार्यकाल से संघ कार्य दायित्‍व लेकर करना शुरू किया था। इसके बाद पांचवें सरसंघचालक केएस सुदर्शन और वर्तमान सरसंघचालक डॉ मोहन राव भागवत के नेतृत्‍व में भी उन्‍होंने संघ कार्य किया। उन्‍हें आरएसएस के  द्वितीय सरसंघचालक डॉ माधव राव सदाशिव राव गोलवलकर 'गुरुजी' को भी सुनने का अवसर मिला था। उन्‍होंने संघ की अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा की बैठक में भागलपुर में हिंदुओं पर हुए उत्‍पीड़न के बारे में भी जानकारी संघ के अधिकारियों को दी थी। कुछ वर्ष पहले उन्‍होंने अस्‍वस्‍थ हो जाने के कारण दक्षिण बिहार के सह प्रांत संघचालक का दायित्‍व छोड़ दिया।


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