तिरंगे में लिपटकर पहुंचा कटिहार का लाल शुभम कुमार, मणिपुर लैंडस्लाइड में हुआ था शहीद
Manipur Landslide में शहीद हुए बिहार के कटिहार के लाल शहीद शुभम कुमार का पार्थिव शरीर उनके पैतृक आवास पर लाया गया। उनका शव जैसे ही गांव-घर पहुंचा। बड़ी संख्या में आसपास के कई गांवों के लोग उमड़ पड़े।
संवाद सूत्र, बारसोई, कटिहार: मणिपुर लैंडस्लाइड में पिछले बुधवार को शहीद हुए गोरखा रायफल्स के जवान शुभम कुमार सिंह का पार्थिव शरीर सोमवार को बारसोई स्थित उनके पैतृक आवास पर पहुंचा। इस वीर सपूत का शव पहुंचते ही उनके अंतिम दर्शन के लिए बारसोई के लोगों का हुजूम उमड़ पड़ा। सांसद दुलाल चंद गोस्वामी, एमएलसी अशोक अग्रवाल, नगर पंचायत बारसोई की मुख्य पार्षद बिमला देवी, मुख्य पार्षद प्रतिनिधि रिंकू सिंह समेत एसडीओ राजेश्वरी पांडे, एसडीपीओ प्रेमनाथ राम आदि ने उनके पार्थिव शरीर पर पुष्प अर्पित कर श्रद्धांजलि दी।
बारसोई एसडीओ व एसडीपीओ की अगुवाई में बलरामपुर से सेना की गाड़ी से उनका पार्थिव शरीर उनके पैतृक आवास पर पहुंचते ही भारत माता की जय एवं बारसोई का लाल अमर रहे के नारे गूंजने लगे। अंतिम दर्शन के लिए लोगों की इतनी भीड़ थी कि साथ आए सेना के जवान ठीक से खड़े नहीं हो पा रहे थे। वहां सेना के जवानों ने उन्हें सलामी दी। इधर आर्मी पुत्र का शव देख माता मंजू देवी बार-बार बेहोश हो रहीं थींं। किसी तरह लोगों ने उनकी दादी को अंतिम दर्शन कराया। एक तरफ लोगों को जहां अपने लाल पर गर्व हो रहा था वहीं परिवार के लोग सदमे में थे।
पत्थर दिल बनी मां ने सहन की दो-दो शोक की घड़ियां
बता दें कि सन्नी सिंह बारसोई बाजार के लोकप्रिय सामाजिक कार्यकर्ता छट्टू सिंह के पौत्र तथा आर्मी जवान स्व जय कुमार सिंह उर्फ लालजी के पुत्र थे। उनके पिता की भी सेना में सेवारत रहते हुए मौत हो गई थी। वहीं पहले पति का शोक और अब पुत्र शोक ने माता मंजू देवी को झकझोर दिया है। शहीद सन्नी सिंह को एक भाई और एक बहन है। आपदा में पोते के आकस्मिक निधन से उनकी बूढ़ी दादी को गहरी चोट लगी है।
शवयात्रा में लगे शुभम कुमार अमर रहे के नारे
फूल माला से सजे सेना के वाहन पर शव को रखकर बारसोई नगर पंचायत का भ्रमण कराया गया। शवयात्रा में हजारों नर-नारी शामिल थे। बारसोई बाजार के व्यवसायियों ने आपनी दुकानें और प्रतिष्ठानों को बंद रखकर अंतिम यात्रा में भाग लिया। लोग भारत माता की जय और शुभम कुमार अमर रहे के नारे लगा रहे थे। पास के मौलानापुर घाट पर राजकीय सम्मान के साथ उनका अंतिम संस्कार किया गया।