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मिसेज इंडिया अर्थ के फाइनल में पहुंची बिहार की बेटी, बच्चों के लिए छोड़ी थी नौकरी

बिहार के मुंगेर की बेटी रो‍हिणी मिसेज इंडिया अर्थ के फाइनल में पहुंची हैं। उन्होंने 48 सुंदरियों के बीच अपनी जगह बनायी है। वे रैंप पर कैटवाक करती नजर आएंगी।

By Ravi RanjanEdited By: Published: Sat, 09 Sep 2017 03:28 PM (IST)Updated: Sun, 10 Sep 2017 06:42 PM (IST)
मिसेज इंडिया अर्थ के फाइनल में पहुंची बिहार की बेटी, बच्चों के लिए छोड़ी थी नौकरी
मिसेज इंडिया अर्थ के फाइनल में पहुंची बिहार की बेटी, बच्चों के लिए छोड़ी थी नौकरी

मुंगेर [जेएनएन]। मुंगेर की इमा रोहणी मिसेज इंडिया अर्थ के फाइनल में पहुंची हैं। अब वे देश की 48 सुंदरियों के बीच रैंप पर कैटवॉक करेंगी। प्रतियोगिता में इमा बिहार की एकमात्र प्रतिभागी हैं। इमा ने बच्चों की परवरिश के लिए बैंक की नौकरी छोड़ दी है। वे मुंगेर की ‘तरुमित्र’ संस्था से जुड़कर पर्यावरण संरक्षण में भी उल्लेखनीय योगदान दे रही हैं।

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मिसेज इंडिया अर्थ प्रतियोगिता का ग्रांड फिनाले 6 अक्टूबर को दिल्ली में होगा। मुंगेर की बिटिया ईमा रोहिणी बिहार की एकमात्र प्रतिभागी हैं। सौंदर्य और मेधा की अद्भूत संगम ईमा का एक बैंक अधिकारी से सौंदर्य प्रतियोगिता की मजबूत प्रतिभागी बनने की कहानी भी कम दिलचस्प नहीं है। ईमा ने अपनी बच्ची की बेहतर परवरिश के लिए बैंक की नौकरी छोड़ दी। 


बचपन से ही मेधावी रहीं ईमा 

ईमा रोहिणी बचपन से ही मेधावी छात्रा रही हंै। मुंगेर नेट्रोडेम एकेडमी से प्रारंभिक शिक्षा प्राप्त करने के बाद ईमा ने दिल्ली विश्वविद्यालय से स्नातक की डिग्री हासिल की। इसके बाद इन्होंने आइबीएस हैदराबाद से प्रबंधन में स्नातकोत्तर की पढ़ाई पूरी की। वर्ष 2008 में ओरियंटल बैंक आफ कामर्स में विपणन प्रबंधक (मार्केटिंग मैनेजर) पद पर योगदान दिया। उसकी शादी बेंगलुरु में सॉफ्टवेयर कंपनी में कार्यरत प्रमोद शुक्ल से हुई।

एक बच्ची की मां बनने के बाद ईमा ने नौकरी छोडऩे का निर्णय लिया, ताकि वह अपनी बेटी की बेहतर परवरिश कर सके। उनके परिजनों ने हर कदम पर उनकी हिम्मत बढ़ाई। ईमा कहती हैं, सौंदर्य की पहचान नख-शिख व नयन से नहीं बल्कि स्वार्थ रहित मानवीय मूल्यों से किया जाना चाहिए। 

पर्यावरण संरक्षण का संदेश देती हैं ईमा 

मुंगेर की बिटिया ईमा रोहिणी छात्र जीवन से ही तरुमित्र जैसी संस्था से जुड़ी रहीं। वे खुद पौध रोपण अभियान में शिरकत करती हैं और दूसरों को भी पौधे लगाने के लिए प्रेरित करती हैं। वह कहती हैं कि अगर पर्यावरण संरक्षण के प्रति अब भी सचेत नहीं हुए, तो आने वाली पीढ़ी हमें कभी भी माफ नहीं करेगी। वह स्वच्छ भारत अभियान में भी बढ़-चढ़ कर हिस्सा लेती हैं।


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