दूसरे की निजी और सरकारी जमीन पर तीस साल से पौधारोपण कर हे दामोदर, अब तक लगा चुके हैं इतने हजार पौधे
30 वर्ष पूर्व महिनाथ नगर बहियार में मजदूरी करते हुए तपती धूप में दामोदर को छांव की जरूरत पड़ी तो कोई पेड़ ही नहीं दिखा। उस दिन उन्होंने हरियाली की चादर बिछाने की ठानी। पहला पौधा महिनाथ नगर बहियार में लगाया। तबसे अनवरत पौधारोपण कर रहे है।
खगडिय़ा [भवेश]। काली कोसी के किनारे महिनाथ नगर गांव में 62 वर्षीय दामोदर रहते हैं। 30 वर्ष पूर्व महिनाथ नगर बहियार में मजदूरी करते हुए तपती धूप में दामोदर को छांव की जरूरत पड़ी, तो कोई पेड़ ही नहीं दिखा। उस दिन उन्होंने हरियाली की चादर बिछाने की ठानी और आज की तारीख में 15 हजार के आसपास पेड़-पौधे लगा चुके हैं। वे सरकारी और निजी जमीन पर बिना लोभ-लालच के पौधारोपण करते हैं। एक-एक पौधे को पुत्र की तरह पालते हैं। दामोदार आज भी मजदूरी कर जीवन-यापन कर रहे हैं।
आग उगलती दोपहरी को आज तक नहीं भूले हैं दामोदर
दामोदर आग उलगती उस दोपहरी को अभी भी नहीं भूले हैं। वे 30 वर्ष पुरानी कहानी को याद कर कहते हैं- महिनाथ नगर बहियार में मजदूरी कर रहा था, आसमान से आग उगल रहा था। सूर्यदेव माथे पर नाच रहे थे। जब बर्दाश्त नहीं हुआ, तो हरे-भरे वृक्षों की तलाश की। लेकिन बहियार में एक भी वृक्ष नहीं मिला। उस दिन संकल्प लिया कि जहां भी जगह मिलेगी वहां पौधे लगाएंगे। एक नहीं कई दामोदर तपती दोपहरी में तपते हैं। सभी को छांव मिलेगी। पहला पौधा महिनाथ नगर बहियार में लगाया। तबसे अनवरत पौधारोपण कर रहा हूं। कोई कहते हैं, तो उनकी निजी जमीन पर भी पौधे लगा देता हूं। देखभाल भी करता हूं। कम से कम आशीर्वाद तो मिलता है। पुण्य का भागी तो बनता हूं। वे कहते हैं, अब तो सरकार भी ध्यान दे रही है। जल जीवन हरियाली योजना के प्रशंसक हैं दामोदर। दामोदर सार्वजनिक जमीन पर मुख्य रूप से पीपल, बरगद लगाते हैं। जबकि निजी जमीन पर आम, लीची, कटहल आदि को प्रमुखता देते हैं।
दूसरे लोग भी हो रहे प्रेरित
दामोदर के पर्यावरण प्रेम को देखकर अब दूसरे लोग भी उनसे प्रेरित हो रहे हैं। वे भी अब अपने आसपास पौधारोपण करते हैं। इसके अलावा दामोदर भी लोगों को पौधारोपण के लिए प्रेरित करते हैं।