... आखिर क्यों नहीं पकड़ में आ रहे साइबर अपराधी, पुलिसिया तंत्र पर ही उठने लगे प्रश्न Bhagalpur News
हाल ही में साइबर ठगों का आतंक जिले में बढ़ गया है। हर दिन विभिन्न थाना व पुलिस चौकी इलाके में आम लोग ठगी के शिकार हो रहे हैं।
भागलपुर [संजय सिंह]। भागलपुर में साइबर अपराधियों की गतिविधियां बढ़ती ही जा रही है। पिछले चार दिनों में अपराधियों ने पांच लोगों के खाते से आठ लाख रुपये उड़ा दिए। लेकिन, पुलिस किसी अपराधी को पकड़ नहीं पाई है। पिछले आठ महीने में साइबर अपराधियों ने 85 से ज्यादा लोगों को चूना लगाया है। अधिकांश मामलों में पुलिस के हाथ अपराधियों के गिरेबान तक नहीं पहुंच पाए हैं। पिछले वर्ष भी ठगी के दो सौ से ज्यादे मामले दर्ज किए गए। ज्यादातर मामलों में पुलिस ने घटना को सत्य, लेकिन सूत्रहीन बताते हुए जांच फाइल को ठंडे बस्ते में डाल दिया।
इन तरीकों से खाते में लगाते हैं सेंध
साइबर ठग ग्राहकों को बैंक अधिकारी बनकर फोन करते हैं। झांसा दिया जाता है कि उनका खाता आधार कार्ड या पैन कार्ड से लिंक नहीं है। इस कारण खाता बंद कर दिया जाएगा। घबराकर लोग गोपनीय जानकारी दे देते हैं। जानकारी मिलते ही ठग आसानी से ग्राहकों को चूना लगा देते हैं। ग्राहकों को यह भी बताया जाता है कि आपके क्रेडिट कार्ड में रिवार्ड प्वाइंट का पैसा जमा नहीं हुआ। इसके बाद ठग बैंकों से जुड़ी कई जानकारियां मांगता है, ग्राहक लोभ में फंसकर बैंक और क्रेडिट कार्ड से जुड़ी गोपनीय जानकारी ठगों को उपलब्ध करा देते हैं, जिसका फायदा उठाकर ठग खाते से रुपये गायब कर देते हैं। ग्राहकों को किसी बड़े कंपनी का अधिकारी बनकर भी फोन किया जाता है। बताया जाता है कि कंपनी की ओर से बड़ा उपहार दिया जाएगा। लोग भी लालच में आकर मोटी राशि उनके खाते में स्थानांतरित कर देते हैं। राशि स्थानांतरित होते ही ठग अपना मोबाइल बंद कर लेता है। इसके अलावा साइबर ठग मोबाइल पर अलग अलग लिंक भेजते हैं। इस लिंक पर मोटी धनराशि जीतने की बात लिखी होती है। लोग मोटी रकम जीतने के झांसे में आ जाते हैं। इस कारण लिंक पर दिए निर्देश का पालन करते हुए बैंक खाते से जुड़ी गोपनीय जानकारी शेयर कर देते हैं और ठगे जाते हैं।
एक इंस्पेक्टर के सहारे साइबर सेल
भागलपुर जिले में एक इंस्पेक्टर और दो-तीन पुलिस कर्मियों के भरोसे साइबर सेल चल रहा है। इस सेल का काम जांच पदाधिकारी को सीडीआर उपलब्ध कराना भर रह गया है। सीडीआर लेने के बाद अनुसंधान कर्ता भी हाथ पर हाथ रखकर बैठ जाते हैं। कुछ दिनों बाद वरीय अधिकारियों से पर्यवेक्षण रिपोर्ट मिलने के बाद घटना को सत्य और सूत्रहीन बताकर अपनी रिपोर्ट न्यायालय में पेश कर देते हैं। साइबर अपराधियों को पकडऩे में उनकी कोई दिलचस्पी नहीं रह जाती है। जांच के नाम पर सिर्फ खानापूर्ति की जाती है।
केवल वीआइपी मामले में पकड़े जाते हैं अपराधी
यदि साइबर अपराधियों ने किसी अति विशिष्ट लोगों को चूना लगाया है तो उस मामले में अपराधी पकड़े भी जाते हैं। हाल ही में पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरेंद्र सिंह की सांसद पत्नी परिणीत कौर को साइबर अपराधियों ने सात अगस्त को 23 लाख रुपये का चूना लगाया था। मामले अति विशिष्ट व्यक्ति का था। परिणाम स्वरूप पुलिस सक्रिय हुई और इस मामले में मु.अताउल अंसारी (जामताड़ा, झारखंड) पकड़ा गया। इसके पूर्व भागलपुर के शिक्षा विभाग के अधिकारी फूलबाबू चौधरी को भी साइबर अपराधियों ने दस लाख का चूना लगाया था। इस मामले में भी जामताड़ा के ही एक व्यक्ति को पकड़ा गया था।
आसान नहीं है ठगों को पकडऩा
साइबर ठगों को पकडऩा आसान नहीं है। अधिकांश ठगी के मामले में राशि खाते में न जमा करने के बजाए ऑन लाइन शॉपिंग में लगा दी जाती है। संबंधित ऑन लाइन कंपनी को सामानों की आपूर्ति करने का ऑर्डर दिया जाता है। कुछ घंटे के बाद उस ऑर्डर को रद कर दूसरी कंपनी को ऑर्डर दिया जाता है। इस तरह एक दिन के भीतर तीन-चार कंपनियों को ऑर्डर देना फिर रद कर मामले को इस तरह उलझा दिया जाता है कि पुलिस का वहां तक पहुंच पाना संभव नहीं हो पाता।
जामताड़ा से ही पूरे देश में की जाती है ठगी
साइबर ठगी का सबसे बड़ा गैंग झारखंड का जामताड़ा जिला है। यहां भिलवा, मस्तटांड, काशीटांड, करवांटांड आदि इलाके में गिरोह के सदस्य सक्रिय हैं। जामताड़ा की तत्कालीन एसपी जया राय ने इन अपराधियों पर नकेल कसने में सफलता हासिल की थी। उनके तबादले के बाद फिर से यह गिरोह सक्रिय हो गया है।
ईडी के निशाने पर साइबर ठग
साइबर ठग ईडी के भी निशाने पर हैं। इस धंधे में लगे 10 अपराधियों की पहचान की गई है। दो लोगों की संपत्ति जब्त की गई है। आगे की कार्रवाई की जा रही है।
साइबर ठगों पर लगाम लगाने के लिए पुलिस पूरी तरह सक्रिय है। बैंक ग्राहकों को भी जागरूक करने का काम किया जा रहा है। कई मामले में अपराधी पकड़े भी गए हैं। - आशीष भारती, वरीय आरक्षी अधीक्षक भागलपुर
इस तरह बरतें सावधानियां
-अपना एटीएम कार्ड व उसका पासवर्ड किसी से साझा न करें।
-पासवर्ड को अल्टीमेट फॉरमेट में बनाएं। स्पेशल कैरेक्टर शामिल करें।
-जब एटीएम में पैसा निकालने के लिए जाएं तो किसी दूसरे व्यक्ति के सामने पैसा न निकालें।
-स्वयं ही एटीएम से पैसा निकालें किसी दूसरे व्यक्ति की मदद न लें।
यह भी रखें ध्यान
-यदि आपको एटीएम मशीन से पैसा निकालना नहीं आता है तो किसी परिचित व्यक्ति को ही साथ ले जाएं
-एटीएम से लेनदेन पूरा होने के बाद मशीन में कैंसिल का बटन अवश्य दबा दें
-फोन पर किसी भी व्यक्ति को गोपनीय कोडवर्ड की जानकारी न दें
-यदि एटीएम कार्ड गुम या चोरी हो जाए तो कस्टमर केयर पर फोन कर तत्काल सेवाएं बंद कराएं
-समय समय पर अपने एटीएम का पासवर्ड बदलते रहें
-यदि एटीएम से पैसा निकालने की पूरी प्रक्रिया हो जाए और पैसा न निकले तो तुरंत वापस न जाएं
-पैसा निकालते समय एटीएम पर चेक करें कि जिस जगह कार्ड डाल रहे हैं वहां कोई डिवाइस तो नहीं लगी है
-पैसा निकालने से पहले कीबोर्ड को अच्छी तरह हिलाकर देखें कि डुप्लीकेट कीबोर्ड तो नहीं लगा है।
-एटीएम में जाने के बाद देखें कि कोई ऐसा कैमरा तो नहीं लगा जो आपका पासवर्ड कैद कर सके।
-यदि आपके पास किसी शॉपिंग साइट का लिंक आता है तो उसका इस्तेमाल न करें।