Cyber crime : बधाई हो सर, आपकी तो लाटरी निकल गई... बोल दे रहे झटका
Cyber crimes लाटरी लगने एटीएम कार्ड ब्लाक हो जाने की बात कह ठगने वाले अब क्रेता-विक्रेता बता लोगों के बैंक अकाउंट ही साफ कर दे रहे हैं। क्यूआर कोड को अमोघ अस्त्र बना लिया है।
भागलपुर [कौशल किशोर मिश्र]। शार्टकट में लाखों बना लेने की जुगत में साइबर शातिर तरह-तरह की तरकीब निकाल रहे हैं। आप अपने काम में मगन हैं, इस बीच आपके मोबाइल पर कॉल आ जाता है। फोन करने वाला कहता है बधाई हो सर, आपकी तो लाटरी ही निकल गई है। अब 25 लाख की लाटरी निकल गई है, कुछ कोरम पूरे करने होंगे। आपका दिमाग आगे कुछ काम करेगा कि वह ऐसे-ऐसे सब्जबाग दिखाने लगेगा कि आप खुद को ठगा महसूस नहीं बल्कि अगले से अनचाहा लाभ लेने में धीरे-धीरे पांच हजार से पचपन हजार तक निकाल कर उसके खाते में ट्रांसफर करने लगेंगे। साइबर शातिर अब नया माइंड गेम खेल आपकी जेब से लाखों निकलवा लेंगे। जब तक आप अपने करीबी लोगों से इसकी पड़ताल करने की सोचेंगे तब तक आपकी जेब काफी ढीली हो चुकी होंगी। एक-दो सज्जन ऐसे भी मिले जो ऐसे फोन काल आने पर साइबर शातिर को दो-टूक बोल उनकी कलई खोल दी। गलत जगह पंगा लेने की बात कहने पर शातिर अपना असली रूप दिखा काल ही काट दिया। वर्ष 2020 में भागलपुर, बांका, नवगछिया में ऐसे दर्जनों लोगों को साइबर ठगी का शिकार बनाया जा चुका है। भागलपुर में एसएसपी आशीष भारती के निर्देश पर साइबर सेल ऐसे गिरोह को दबोचने में कोई कसर नहीं छोड़ रखी है। अबतक आधा दर्जन मामले का उद्भेदन किया जा चुका है। आठ आरोपितों की गिरफ्तारी भी हो चुकी हे। लेकिन साइबर शातिर सक्रिय हैं।
क्यूआर कोड को बनाया अस्त्र
लाटरी लगने, एटीएम कार्ड ब्लाक हो जाने की बात कह ठगने वाले अब क्रेता-विक्रेता बता लोगों के बैंक अकाउंट ही साफ कर दे रहे हैं। इन दिनों क्यूआर कोड को अमोघ अस्त्र बना लिया है। लोगों को विक्रेता बनकर भुगतान के लिए क्यूआर कोड भेजकर स्कैन करने को कहते हैं। क्यूआर कोड स्कैन करते ही खाते में मौजूद रकम साइबर शातिर के खाते में झटके में पहुंच जा रही है। ऐसे में यदि कोई व्यक्ति आपको क्यूआर कोड भेजकर उसे स्कैन करने को कहे तो आपको सावधान हो जाने की जरूरत है। क्योंकि क्यूआर कोड रकम के भुगतान में ही सिर्फ इस्तेमाल होता है, रकम प्राप्त करने के लिए नहीं। विक्रेता ने क्यूआर कोड को स्कैन किया नहीं कि पल में विक्रेता लुट जाता है। उसकी सारी जमा पूंजी गायब हो जाती है। रकम के ट्रांजक्शन को खरीदार की तरफ से एक क्यूआर कोड जेनरेट कर भेजा जाता है। विक्रेता को महसूस होता है कि उस कोड के जरिए उसे आसानी से रकम मिल जाएगी। इसलिए वह खरीदार के झांसे में आकर क्यूआर कोड अपने मोबाइल पर। गूगल पर या यूपीआई पर स्कैन करता है, उसके खाते में रकम आने के बजाय झटके में पहले से मौजूद रकम भी शातिर झाड़ लेते हैं।
2020 में ये भी हुए साइबर ठगी के शिकार
बांका निवासी प्रकाश चंद्र घोष, दीपक कुमार दुबे, भागलपुर के जीरोमाइल निवासी व्यवसायी भवेश कुमार, कजरैली निवासी हिमांशु शेखर, नवगछिया निवासी हेमंत कुमार साइबर ठगी के शिकार हो चुके हैं।
किसी अनचाहे काल पर तुरंत एक्शन मोड में नहीं आए। लाटरी खेली ही नहीं तो फंसी कैसे? सच जानने की कोशिश करें। क्यूआर कोड केवल रकम के भुगतान में इस्तेमाल होता है। इस कोड की स्कैनिंग से लोगों को बचना चाहिए। इसके लिए आसान उपाय है कि संदिग्ध पते से आई ई-मेल, व्हाट्स एप मेसेज, टेक्स्ट मेसेज का जवाब ही नहीं दें। अनचाहे लिंक को स्वीकार ना करें ना ही क्यूआर कोड को स्कैन ही करें। -इंजीनियर साकेत कुमार पांडेय, साइबर एक्सपर्ट, भागलपुर