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घर बैठे लोगों के खातों में सेंध लगा रहे साइबर अपराधी, रुपये ठगने के लिए अपनाते हैं कई तकनीक

साइबर अपराधियों से लडऩे के लिए पुलिस के पास संसाधनों की घोर कमी है। इसमें तकनीकी रूप से दक्ष जांच करने वाले पुलिसकर्मियों की जरूरत है।

By Dilip ShuklaEdited By: Published: Tue, 12 May 2020 07:42 AM (IST)Updated: Tue, 12 May 2020 07:42 AM (IST)
घर बैठे लोगों के खातों में सेंध लगा रहे साइबर अपराधी, रुपये ठगने के लिए अपनाते हैं कई तकनीक
घर बैठे लोगों के खातों में सेंध लगा रहे साइबर अपराधी, रुपये ठगने के लिए अपनाते हैं कई तकनीक

भागलपुर, जेएनएन। साइबर अपराध रोकना पुलिस के लिए बड़ी चुनौती साबित हो रहा है। लॉकडाउन के दौरान घर में बंद लोगों के खातों से लगातार साइबर अपराधी रुपये उड़ा रहे हैं। पुलिस चाहकर भी उन पर लगाम नहीं लगा पा रही है। कभी बैंककर्मी तो कभी कस्टमर केयर सर्विस, कभी खरीद बिक्री से संबंधित बात तो कभी जनधन खाते के नाम पर ठग लोगों को फोन करते हैं। आम लोग सीधे उनके झांसे में आ जाते हैं और गोपनीय जानकारी ठगों को दे देते हैं। जिसका फायदा उठाकर ठग आराम से लोगों के खाते से लाखों रुपये उड़ा लेते हैं।

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पुलिस के पास नहीं है बेहतर संसाधन

साइबर अपराधियों से लडऩे के लिए पुलिस के पास संसाधनों की घोर कमी है। इसमें तकनीकी रूप से दक्ष जांच करने वाले पुलिसकर्मियों की जरूरत है। इसके अलावा साइबर अपराधियों का पता लगाने के लिए अच्छे सॉफ्टवेयर की जरूरत है। हालांकि एसएसपी आशीष भारती द्वारा साइबर क्राइम यूनिट इसी काम के लिए बनाया गया है, लेकिन ऐसे मामलों की जांच करने वाले अफसर तकनीकी रूप से दक्ष नहीं है। जिस वजह से ऐसे मामले फाइलों में दब जाती है।

लॉकडाउन में ज्यादा प्रयोग हो रहा इंटरनेट

लॉकडाउन के दौरान घर में रह रहे लोग पहले से ज्यादा इंटरनेट का उपयोग कर रहे हैं। जिससे हमेशा अलग-अलग लिंक आते हैं। कुछ लोग बैंकिंग खाते का लेनदेन भी करते थे। जिससे लोगों को निशाना काफी आसान हो गया था। लोग अपनी जरूरत को जल्द पूरा करने के चक्कर में गलत लिंक के झांसे में आ जाते हैं और साइबर ठगों के निशाने पर आ जाते हैं।

हर दिन एक नया मामला

लॉकडाउन के दौरान शुरू में कुछ दिनों में मामले में कमी आई, लेकिन अचानक साइबर अपराध के मामलों में बढ़ोत्तरी हुई है। हर दिन एक नए मामले सामने आते हैं। कई सारे साइबर अपराध के मामलों में पुलिस केस दर्ज करने से भी परहेज करती है।

साइबर अपराध के मामलों के लिए साइबर क्राइम यूनिट बनाई गई है। लोगों को इससे बचने के लिए जागरूक होना होगा, तभी हम ऐसे ठगी से बच सकते हैं। हमें बैंक से जुड़ी सारी जानकारियों को गोपनीय रखना चाहिए। किसी अनजान को कभी भी इसे शेयर नहीं करना चाहिए। - आशीष भारती, एसएसपी भागलपुर

पांच मई : डीआइजी कार्यालय में तैनात महिला सिपाही का ठगों ने 39 हजार रुपये उड़ा लिए थे। इस मामले में उन्होंने इशाकचक थाने में केस दर्ज कराया है।

चार मई : टिफिन सर्विस का काम करने वाली गौरी भारती को खाने के भुगतान करने के नाम पर ठगों ने निशाना बनाया लिया था। उन्होंने जीरोमाइल थाने में केस दर्ज कराया था।

तीन मई : ऑनलाइन शॉपिंग के नाम पर शिक्षिका शर्मिला रोजारियो से साइबर अपराधियों ने 83 हजार रुपये की ठगी कर ली थी। उन्होंने जोगसर चौकी में केस दर्ज कराया है।

एक मई : साइबर अपराधियों ने शिक्षिका मीरा सिंह के खाते से 10 किश्तों में 93 हजार उड़ा लिए थे। उन्होंने जोगसर चौकी में अज्ञात अपराधियों के विरुद्ध केस दर्ज कराया था।

साइबर ठगों ने खाते से उड़ाए 66 हजार

बरारी इलाके के मायागंज निवासी राजेश कुमार उत्साही के बैंक खाते से साइबर ठगों ने करीब 66 हजार रुपये उड़ा लिए। इस मामले में उन्होंने शनिवार को बरारी चौकी में अज्ञात साइबर ठगों के विरुद्ध केस दर्ज कराया है। बरारी चौकी इंचार्ज नवनीश कुमार ने केस दर्ज कर मामले की जांच शुरू करा दी है।

सिपाही का साइबर ठगों ने उड़ाया 39 हजार

साइबर ठगों ने डीआइजी कार्यालय में तैनात महिला सिपाही प्रीती कुमारी से करीब 39 हजार रुपये ठग लिए। उन्होंने इशाकचक थाने में एफआइआर दर्ज कराई है। अपनी शिकायत में उन्होंने कहा है कि उन्हें तीन मई को कई नंबरों से फोन आए। फोन करने वाले ने कहा कि वह कस्टमर केयर से बोल रहा है, जो रुपये उनके एकाउंट में फंसा है, वह दूसरे खाते में स्थानांतरित हो जाएगा। इसके बाद दो किश्तों में रुपये की निकासी कर ली। इशाकचक पुलिस ने केस दर्ज कर मामले की जांच शुरू कर दी है।


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