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CWG 2022: बर्मिंघम में चमके बिहार के शिक्षक चंदन कुमार सिंह, लॉन बाउल्स में सिल्वर मेडल मिलते ही झूम उठा मुंगेर

CWG 2022 कॉमनवेल्थ गेम्स 2022 के 9वें दिन लॉन बाउल्स में चार सदस्यीय भारतीय मेंस टीम ने कमाल करते हुए सिल्वर मेडल पर कब्जा कर लिया। इस टीम को बिहार के लाल चंदन कुमार सिंह थर्ड पोजीशन पर लीड कर रहे थे।

By Shivam BajpaiEdited By: Published: Sun, 07 Aug 2022 12:56 PM (IST)Updated: Sun, 07 Aug 2022 01:40 PM (IST)
CWG 2022: बर्मिंघम में चमके बिहार के शिक्षक चंदन कुमार सिंह, लॉन बाउल्स में सिल्वर मेडल मिलते ही झूम उठा मुंगेर
CWG 2022: बाएं से तीसरे नंबर पर चंदन कुमार सिंह।

CWG 2022, जागरण टीम, मुंगेर। कॉमनवेल्थ गेम्स 2022 के 9वें दिन (Commonwealth Games 2022 Silver Medal Lawn Bowls) बिहार के लाल चंदन कुमार सिंह ने कमाल कर दिया। भारत ने लॉन बाउल्स सिल्वर मेडल जीता। चार सदस्यीय भारतीय टीम में सुनील बहादुर (लीड), नवनीत सिंह (सेंकेड), चंदन कुमार सिंह (थर्ड) और दिनेश कुमार (स्किप) शामिल रहे। सुनील कुमार सिंह मूल रूप से बिहार के मुंगेर जिले के रहने वाले हैं। लॉन बाउल्स में सिल्वर मेडल मिलते ही उनके घर-परिवार में खुशी की लहर दौड़ गई। बधाई देने वालों का तांता लग गया। जागरण संवाददाता उनके घर पहुंचे, तो माता-पिता एकाएक बोल पड़े- आज हमारे चंदन ने कमाल कर दिया, हमें अपने बेटे पर गर्व है।

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चंदन कुमार सिंह के बारे में 

  • मुंगेर के हवेली खड़गपुर के रहने वाले चंदन कुमार सिंह शारीरिक शिक्षक के रूप में मध्य विद्यालय, समदना हथिया में कार्यरत हैं। 
  • बर्मिंघम ( Birmingham) में आयोजित राष्ट्रमंडल खेल प्रतियोगिता में वे दो इवेंट में प्रतिभाग करने पहुंचे। Men Triple और Men Fours में हिस्सा लेने गए।

  • चंदन कुमार का जन्म 5 जून 1985 को हुआ।
  • इससे पहले चंदन कुमार ने एशियन चैंपियनशिप 2017 में गोल्ड और सिल्वर मेडल जीता।
  • एशियन चैंपियनशिप 2016 में गोल्ड, 2014 में सिल्वर मेडल अपने नाम किया।

दादा जी स्वतंत्रता सेनानी

मुंगेर जिला के संग्रामपुर प्रखंड के सुपौर जमुआ गांव के रहने वाले चंदन कुमार सिंह के पिता कृष्ण मोहन सिंह एक पुलिस अधिकारी थे, अब वे रिटायर हो चुके हैं। चंदन का भाई भारतीय सेना का जवान है।

वहीं एथलीट के दादा स्वतंत्रता सेनानी थे। शनिवार की देर शाम जैसे ही चंदन कुमार को लेकर खुशखबरी आई, उनको जानने वाले सभी झूम उठे। धीरे-धीरे ये खबर पूरे मुंगेर में फैल गई। इनके दादा स्व. अर्जुन प्रसाद सिंह महान स्वतंत्रता सेनानी थे। 15फरवरी 1932 को तारापुर थाना पर तिरंगा फहराने के लिए गठित धावादल के सदस्य थे। चंदन दो भाई और एक बहन है। छोटा भाई गुलशन इण्डियन रिजर्व बटालियन रांची में पदस्थापित है।

गांव से निकला बड़ा एथलीट

चंदन ने प्राथमिक शिक्षा गांव के ही विद्यालय से प्राप्त की। वे आदर्श उच्च विद्यालय कुंआगढी से मैट्रिक करने के बाद आगे की शिक्षा के लिए रांची चले गए। जहां मामा के घर रहकर रांची कालेज रांची से पूरी की। पढ़ाई के दौरान कालेज कबड्डी टीम का सदस्य था। धीरे-धीरे चंदन का झुकाव लान बाल की तरफ गया। वर्ष 2008 में रांची में आयोजित राष्ट्रीय चैम्पियनशिप में झारखंड टीम की ओर से भाग लिया। जहां उनकी टीम कांस्य पदक जीतने में कामयाब रही।

चार कामनवेल्थ गेम्स में लिया हिस्सा

चंदन अबतक चार कामनवेल्थ गेम्स में शिरकत किया है। जिसमें स्काटलैंड,ओल्डकास्ट, दिल्ली व बर्मिंघम शामिल है। इसके अलावा एशियन गेम्स 2014 में रजत,2016 में स्वर्ण व 2017 में रजत व कांस्य पदक जीतने में सफल रहा। बर्मिंघम में रजत पदक जीतने पर चंदन के माता पिता,भाई, बहन के साथ साथ ग्रामीणों ने मिठाई खिलाकर खुशी का इजहार किया है।

क्या कहते हैं पिता

पिता कृष्ण मोहन सिंह ने बताया कि चंदन का बचपन से ही खेल से बहुत लगाव था।गांव में कबड्डी व क्रिकेट खेला करता था। रांची जाने पर लान बाल खेलने लगा। 2008 में रांची में आयोजित राष्ट्रीय चैम्पियनशिप में कांस्य पदक जीता था।आज उसकी सफलता गांव समाज को गौरवांवित किया है। माता सुभद्रा सिंह ने बेटे की सफलता पर खुशी का इजहार करते हुए कहा कि बेटे की सफलता पर हर मां बाप को खूनी होती है। वहीं बहन ऋचा सिंह ने कहा कि लाखों एक मेरे भैया हैं।रजत पदक जीतने पर जो खुशी हो रही है,उसका बयान नहीं कर सकती। फिलहाल उनके आगमन का इन्तजार है।

मध्य विद्यालय समदा में शारीरिक शिक्षक

चंदन कामनवेल्थ गेम्स में भाग लेने जाने के कुछ दिन पूर्व ही हवेली खड़गपुर प्रखंड अंतर्गत मध्य विद्यालय समदा में शारीरिक शिक्षक के रुप में योगदान कर बर्मिंघम के लिए रवाना हुए थे। मुखिया सारिका सिंह, समाजसेवी ललन सिंह, धर्मेन्द्र सिंह,टैक्स अध्यक्ष मिथलेश जा,सुच्ची सिंह, गोल्डन सिंह आदि ने खुशी का इजहार किया है।


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