भू-अर्जन कानून के अनुपालन में सुस्ती से करोड़ों की चपत
अररिया (दुर्केश ¨सह)। इंडो-नेपाल रोड का निर्माण उत्तराखंड से सिक्किम तक होना है। अररि
अररिया (दुर्केश ¨सह)। इंडो-नेपाल रोड का निर्माण उत्तराखंड से सिक्किम तक होना है। अररिया जिले में इस रोड की लंबाई 102 किमी से कुछ अधिक है। गत छह वर्षें में बिहार के अंदर के इस रोड की लागत 1655 करोड़ से बढ़कर 2846 करोड़ रुपये हो गई लेकिन भू-अर्जन में सुस्ती बरकरार है। यह स्थिति तब है जबकि भू-अर्जन विभाग को अधिकार है कि रैयत की खाते में या प्राधिकार में राशि जमा करके एजेंसी को भूमि पर कब्जा दिला दे। वहीं भू-अर्जन ??विभाग अररिया नोटिस भेजकर कागजी कोरम गत चार वर्षों से पूरा करने की कवायद कर रहा है लेकिन आवाम को राशि का भुगतान अधर में है। वहीं डीएम हिमांशु शर्मा ने कहा कि भूमि अधिग्रहण कार्य में गति लाने का सख्त निर्देश दिया गया है। इस बाबत सिकटी प्रखंड के कोवाकोह पंचायत के पूर्व पैक्स अध्यक्ष अमरनाथ झा बताते हैं कि रैयत भूमि अधिग्रहण की राशि को मांग को लेकर भू-अर्जन विभाग के कार्यालय का चक्कर काटने को विवश हैं। राशि नहीं मिलने से जिनकी भूमि अधिग्रहण की गई उनमें असंतोष बढ़ रहा है। अधिकांश लोगों का सपना था कि राशि मिलते ही जितनी भूमि का अधिग्रहण इंडो-नेपाल बार्डर रोड में हुआ है उसकी दो गुनी भूमि अगल-बगल क्रय कर लेंगे। इतना ही नहीं लोगों ने इस उम्मीद में राशि का भुगतान हुए बिना ही अपनी भूमि सड़क का निर्माण होने दिया लेकिन उन्हें हाथ मलना पड़ रहा है। इधर तीन वर्ष पूर्व सरकार से मिलने मुआवजा की राशि आज भी यथावत है लेकिन भूमि की कीमत में 10 गुणा से अधिक की वृद्धि हो गई है। रैयत को रुपये देने में भू-अर्जन विभाग और विलंब करेगा तो लोग नये दर से मुआवजे की मांग करने को विवश हो जाएंगे। गौरतलब है कि 20013-14 में पथ प्रमंडल द्वारा भूर्जन विभाग को संपूर्ण राशि आंतरित कर दी गई है। गौरतलब है कि दिसंबर 2019 तक ठेकेदार को 102 किमी सड़क बना देनी थी। लेकिन गत नौ महीने में भूमि अधिग्रहण कार्य लगभग शून्य रहा है। इधर इंडो-नेपाल रोड का कार्य बिहार में पूरा करने अवधि 2020 तक बढ़ा दी गई है।
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कोट
रैयत को मुआवजा नहीं मिलने से ठेकेदार को सड़क निर्माण का कार्य नहीं करने दिया जा रहा है। कानूनी प्रावधान है कि जो लोग सड़क निर्माण कार्य में बाधक बन रहे हैं उनकी भूमि की राशि प्राधिकार में जमा करके ठेकेदार को कब्जा प्रशासन दिला दे। वहीं ठेकेदार का कहना है कि जो लोग तीन वर्ष पहले सड़क निर्माण कार्य करने दे रहे थे, उन्हें मुआवजा नहीं मिलने से अन्य लोग भी सहयोग करना बंद कर दिए हैं।
-घनश्याम मंडल, कार्यपालक अभियंता, आरसीडी, अररिया।