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सहरसा में डूबती है फसल, स्वास्थ्य सुविधा भी बेहाल, चुनाव के समय समस्‍याओं पर हो रही चर्चा

विधानसभा चुनाव के दौरान राजनीतिक तापमान जहां गरमाने लगा है। इस इलाके की समस्या भी लोगों के जुबां पर आने लगी है। यहां हर साल जलजमाव और सीपेज के पानी के कारण सैंकडों हेक्टेयर में लगी फसल पानी में बर्बाद हो जाता है।

By Dilip ShuklaEdited By: Published: Wed, 07 Oct 2020 01:50 PM (IST)Updated: Wed, 07 Oct 2020 01:50 PM (IST)
सहरसा में डूबती है फसल, स्वास्थ्य सुविधा भी बेहाल, चुनाव के समय समस्‍याओं पर हो रही चर्चा
सहरसा में बाढ़ का पानी, जिससे फसल बर्बाद होती है।

सहरसा, जेएनएन। विधानसभा चुनाव की तिथि की घोषणा होते ही राजनीतिक तापमान जहां गरमाने लगा है। वहीं इस इलाके की समस्या भी लोगों के जुबां पर आने लगी है। सिमरीबख्तियारपुर विधानसभा क्षेत्र में हर साल जलजमाव और सीपेज के पानी के कारण सैंकडों हेक्टेयर में लगी किसान की फसल पानी में डूबकर बर्बाद हो जाता है। तटबंध के अंदर रहने वाले लोगों को स्वास्थ्य सुविधा नही मिल पाती है। आवागमन के लिए सड़कें तो बनती है। किंतु वह बाढ़ के दौरान बह जाता है। बाढ़ नियंत्रण के लिए अब तक कोई ठोस पहल नही की गई है।

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नहीं बन सका डेंगराही पुल

डेंगराही घाट पर पुल निर्माण की मांग को लेकर वहां के लोग पिछले 25 वर्षो से आंदोलन कर रहे हैं। इस पुल के नहीं बनने से इस विधानसभा क्षेत्र के महिषी प्रखंड के चार पंचायत, सलखुआ प्रखंड के अलानी, साम्हरखुर्द, चानन कबीरा एवं सिमरी प्रखंड के बेलवाडा, धनुपरा, कठडुमर एवं धोधसम पंचायत की तीन लाख से अधिक आबादी पूरी तरह प्रभावित है। उक्त पंचायत में सबसे ज्यादा परेशानी प्रसव पीड़ा से तड़पती महिलाओं को झेलनी पड़ती है। तटबंध के अंदर रहने वाले लोगों के सरकार और जनप्रतिनिधियों के द्वारा सुविधा मुहैया कराने के दिशा में आजतक ठोक पहल नहीं हो पाई।

बदहाल है स्वास्थ्य व्यवस्था

विधानसभा क्षेत्र के सलखुआ, सिमरीबख्तियारपुर एवं सोनवर्षाराज प्रखंड के बनमाइटहरी के दस लाख की आबादी के लिए सिमरी अनुमंडलीय अस्पताल तो बनाया गया। लेकिन सात करोड़ की लागत से बने भवन में सुविधा पीएचसी जैसी ही है। 52 की जगह मात्र सात चिकित्सक पदस्थापित हैं। चुनाव में अनुमंडल अस्पताल बनवाने का श्रेय लिया जाता है। ङ्क्षकतु चिकित्सकों के अभाव में मामूली रोगी को भी रेफर कर दिया जाता है। कभी सिमरी विधानसभा को पहला अस्पताल चपरांव कोठी को अस्पताल का दर्जा समाप्त कर उपस्वास्थ्य केंद्र बना दिया गया एवं तटबंध के अंदर बसे लोगो के लिए बेलवाडा का उपस्वास्थ्य केंद्र मवेशी का तबेला बना हुआ है।

नही बना भौरा पुल

सिमरीबख्तियारपुर से बलवाहाट जाने वाली सडक में रिटायर्ड भौरा पुल का नहीं हो सका। जिला मुख्यालस से बरियाही होते हुए सिमरीबख्तियारपुर आने वाली सड़क मार्ग पर भौरा के पास बने लोहे का पुल क्षतिग्रस्त हो हो गया था। विभाग ने इस पुल पर भारी वाहनों के चलने पर रोक लगा दिया। फिर भी इस कांपती हुई पुल पर वाहन चलाना लोगों की मजबूरी बन गई है। इस पुल को बनाने की घोषणा तो हुई परंतु पुल नहीं बन सका।

नहीं दूर हुई किसानों की बदहाली  

जलजमाव और सीपेज के कारण सैंकड़ों हेक्टेयर में लगी किसानों की फसल हर साल होती है। चुनाव से पहले हर बार किसानों के हित की बात की जाती है। किसानों की बदहाली दूर करने का वादा किया जाता है। परंतु किसान हर बार ठगे रह जाते हैं। सिमरी विधानसभा में एक ओर बाढ़ की मार तटबंध के अंदर लोग झेलते है तो दूसरी ओर तटबंध के बाहर के लोगों के लिए जलजमाव मुसीबत बनीं हुई है। 80 गांव के किसान अपनी उपजाउ भुमि पर खेती करने से वंचित रह जाते हैं। जिससे उन्हें अपनी जीविका चलाने के लिए प्रवासी मजदूर बनना पड़ता है। सलखुआ में जल निकासी हेतु नया स्लुइस गेट बनवाने का वादा भी इस बार अधूरा रह गया।

नही बना डिग्री कॉलेज

आज से दस वर्ष पूर्व सिमरीबख्तियारपुर में डिग्री कॉलेज बनवाने का वादा भी अधूरा रह गया। सिमरी बख्तियारपुर को शिक्षा का हब बनवाने की घोषणा सिर्फ घोषणा बनकर रह गया। खंडहर में तब्दील हो चुके पुस्तकालय भवन निर्माण का सपना भी अब तक साकार नही हो पाया है। आइटीआइ कॉलेज के भवन निर्माण कार्य भी अब तक अधूरा है। शिक्षा से इतर शुद्ध पेयजल की सुविधा से विधानसभा के लोग वंचित हैं। आयरनयुक्त पानी पीने को विवश लोग कई बीमारियों से प्रभावित होते हैं। कर पेट जनित कइ रोगो के लोग शिकार हो रहे है।

सड़कों का हाल है बेहाल

सिमरीबख्तियारपुर से सहरसा जाने वाली एवं बलवाहाट से जिला मुख्यालय जाने वाली सड़क जर्जर हो चुकी है। सलखुआ में कईसडक का निर्माण हुआ परंतु संवेदकों की मनमानी पर जनप्रतिनिधि और विभाग अंकुश नहीं लगा सके। जिस कारण बनने के कुछ दिन बाद ही सड़क टूटने लगती है। रेनकट सड़कों के सेहत को खराब कर रहा है। सड़कों के रखरखाव के लिए उपवांटित राशि का बंदरबांट किए जाने से लोगो के लिए जर्जर सड़क पर चलना पड़ता है। तटबंध के अंदर दावे के अनुसार सड़क निर्माण कराए जाने का सपना भी अबतक पूरा नहीं हुआ।


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