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कहां गुम हो गई चंपा : चंपा के अस्तित्व पर संकट, कूड़ा से भर गई नदी की पेटी

कूड़ा गिराकर नगर निगम पर्यावरण को नुकसान तो पहुंचा ही रहा है साथ ही लोगों की आस्था के साथ भी खिलवाड़ कर रहा है। महापर्व छठ और अन्य धार्मिक अनुष्ठान इसी नदी किनारे ही करते हैं।

By Dilip ShuklaEdited By: Published: Mon, 02 Dec 2019 01:08 PM (IST)Updated: Mon, 02 Dec 2019 01:08 PM (IST)
कहां गुम हो गई चंपा : चंपा के अस्तित्व पर संकट, कूड़ा से भर गई नदी की पेटी
कहां गुम हो गई चंपा : चंपा के अस्तित्व पर संकट, कूड़ा से भर गई नदी की पेटी

भागलपुर [जेएनएन]। भागलपुर में सभ्यता और समृद्धि लाने वाली चंपा अपना अस्तित्व खोती जा रही है। पिछले दस वर्षों से नदी की पेटी को शहर भर के कूड़े से पाटा जा रहा है। अगर यही हाल रहा तो कुछ वर्षों में ही यह नदी धरती की कोख में विलीन हो जाएगी। लुप्त हो जाएगी इसके आसपास की जैव-विविधता। भूगर्भ जल भी पाताल चला जाएगा।

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नदी किनारे कूड़ा गिराने से स्थानीय लोग तो बीमारी के शिकार हो ही रहे हैं। जलीय जीवों पर भी संकट मंडराने लगा है। चंपा पुल से लेकर दोगच्छी तक एनएच-80 किनारे करीब डेढ़ किलोमीटर तक रोज 250 एमटी (मीट्रिक टन) कूड़ा गिराया जा रहा है। यह सिलसिला पिछले 10 वर्षों से चल रहा है। यानी अब तक में 10 लाख एमटी कूड़ा चंपा में गिराया जा चुका है। नतीजतन यह नाला जैसी दिखने लगी है।

हवा भी हो रही दूषित

चंपा नदी के तटवर्ती क्षेत्र में कूड़ा गिराने से आसपास की हवा प्रदूषित हुई है। आए दिन शरारती लोग कूड़े की ढेर में आग लगा देते हैं। कूड़ा गिराने से नदी की चौड़ाई भी कम हो रही है। चंपा नदी के किनारे चंपानगर ठाकुरवाड़ी, बंगाली टोला घाट, मुसहरी घाट, बूढ़ानाथ घाट, मानिक सरकार घाट आदि क्षेत्र में नदी संर्कीण हो गई है। प्रवाह रुक जाने के कारण हाल में आई बाढ़ का पानी शहर में प्रवेश कर गया था। नदी का तट भरने से अब लोग अतिक्रमण करने की सोचने लगे हैं।

आस्था के साथ भी खिलवाड़

कूड़ा गिराकर नगर निगम पर्यावरण को नुकसान तो पहुंचा ही रहा है, साथ ही लोगों की आस्था के साथ भी खिलवाड़ कर रहा है। यह इसलिए कि स्थानीय लोग महापर्व छठ और अन्य धार्मिक अनुष्ठान इसी नदी किनारे ही करते हैं।

मिर्जापुर और पुरानी सराय के लोग हो चुके प्रभावित

नाथनगर में चंपा पुल से लेकर दोगच्छी के बीच सड़क किनारे कूड़ा गिराने से जनजीवन पर असर पड़ा है। पुरानी सराय और मिर्जापुर के लोगों को सांस संबंधी बीमारी की समस्या है। स्थानीय सीताराम मंडल ने बताया कूड़े की वजह से चर्म रोग और दस्त, बुखार से लोग परेशान है। गांव के चापाकल से भी दूषित जल निकल रहा है। कूड़े ही वजह से दो दर्जन विशालकाय पेड़ सूख गए हैं। दोगच्छी बाइपास के किनारे वन विभाग द्वारा लगाए गए 400 से अधिक पौधे को कूड़े में दबा दिया गया है।

फसलें हो रहीं बांझ

फसलें बांझ हो रही हैं। दियारा क्षेत्रों में मकई की फसल में दाने नहीं आ रहे हैं। गंदे पानी के जीवाणु बीज के अंकुरण को बर्बाद करने के साथ फसल को भी नुकसान पहुंचा रहे हैं। कूड़े में मौजूद रसायन कौवे, बगुले और अन्य जीवों की जान ले रहे हैं।

चंपा किनारे बसे लोगों की औसत आयु दो वर्ष तक हो गई कम

टीएमबीयू के रासायणशास्त्र विभाग के पूर्व विभागाध्यक्ष विवेकानंद मिश्र ने बताया कि चंपा में कूड़ा गिराए जाने से आसपास के लोगों की औसत आयु दो वर्ष तक चुकी है। न तो प्रशासन सचेत हैं और न ही जनता जागरूक हो रही है। कूड़े में मौजूद बैक्टीरिया हवा में मिलकर खाद्य पदार्थ और सांस नली के माध्यम से शरीर में जाते हैं। इससे लोगों की जान तक जा सकती है। कूड़े से मिथेन गैस निकलता है। इसमें आग लगाने से कार्बन डाईआक्साइड, कार्बन मोनोआक्साइड, सल्फर डाईआक्साइड, नाइट्रोजन डाईआक्साइड आदि गैसें निकलती हैं। यह शरीर के लिए हानिकारक हैं। सल्फर डाईआक्साइड से खांसी, कार्बन डाईआक्साइड से गला संबंधी बीमारी होती है। आस-पास के क्षेत्रों में पीलिया, डायरिया, ट्यूमर आदि बीमारियां पानी की वजह से ही फैल रही हैं। कूड़ा निस्तारण के प्रति निगम को सख्त कदम उठाना होगा।


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