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पॉक्सो एक्ट नहीं लगाया : रखवाले ही कानून को दे रहे दगा, लाभ उठा रहे दागी

आरोपितों को मदद का पुलिसिया तरीका भी अजब-गजब का है। प्राथमिकी की मजमून मजबूत हुई तो केस की प्रकृति को नजरअंदाज कर कमजोर धारा लगा मदद पहुंचाते हैं।

By Dilip ShuklaEdited By: Published: Sun, 07 Apr 2019 03:35 PM (IST)Updated: Sun, 07 Apr 2019 04:25 PM (IST)
पॉक्सो एक्ट नहीं लगाया : रखवाले ही कानून को दे रहे दगा, लाभ उठा रहे दागी
पॉक्सो एक्ट नहीं लगाया : रखवाले ही कानून को दे रहे दगा, लाभ उठा रहे दागी

भागलपुर [कौशल किशोर मिश्र]। कानून के रखवाले अब कानून को ही दगा दे संगीन मामलों के आरोपितों को लाभ पहुंचाने में लगे हैं। एनटीपीसी थानाध्यक्ष की ऐसी ही एक करतूत पॉक्सो के विशेष न्यायाधीश कुमुद रंजन सिंह की अदालत ने पकड़ कर पॉक्सो एक्ट में आरोप गठित कर दिया है। न्यायालय ने पुलिस पदाधिकारियों की ऐसी गतिविधियों को गंभीरता से लिया है। मामला नौवीं कक्षा की एक छात्र को स्कूल से लौटते समय अगवा कर दुष्कर्म करने और बाद में बेच देने से संबंधित है। इसमें सत्तन राय समेत तीन को आरोपित बनाया गया था।

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पीड़िता के नाबालिग होने के बावजूद थानाध्यक्ष ने दुष्कर्म और उसे अगवा कर दूसरे को बेचने के आरोप में मामला दर्ज किया। पॉक्सो एक्ट नहीं लगाया ताकि आरोपितों को जमानत और ट्रायल की प्रक्रिया में लाभ मिल सके। आरोपितों में सत्तन राय और चमेली को जमानत पाने में इस मदद का लाभ मिल भी गया। लेकिन पॉक्सो अदालत के विशेष न्यायाधीश के समक्ष जब मामला आया तो थानाध्यक्ष की होशियारी पकड़ी गई। न्यायाधीश सिंह ने आरोप गठन की प्रक्रिया में आरोपितों के विरुद्ध चार पॉक्सो एक्ट को जोड़ते हुए आरोप गठित कर दिया है। अब आरोपितों को एनटीपीसी थानाध्यक्ष और जांचकर्ता की चतुराई का लाभ नहीं मिल सकेगा। इसके पूर्व जगदीशपुर थाने के थानाध्यक्ष नीरज तिवारी की ऐसी होशियारी पकड़ी गई थी।

टेबल केस डायरी लिख करते हैं मदद

आरोपितों को मदद का पुलिसिया तरीका भी अजब-गजब का है। प्राथमिकी की मजमून मजबूत हुई तो केस की प्रकृति को नजरअंदाज कर कमजोर धारा लगा मदद पहुंचाते हैं। फिर किस्तों में आरोपितों का दोहन करते हैं। केस डायरी हल्का कर देंगे, बस सेवा करते जाइए। अमूमन प्रत्येक थाने में चंद मुकदमे ऐसे मिल जाएंगे जिसमें आरोपित को मदद पहुंचाने के लिए केस डायरी उसके मन मुताबिक लिखी गई है।

इसके लिए टेबल पर ही केस डायरी लिख दी जाएगी। बस दो-चार गवाहों के नाम-पते लिखवा दें, केस डायरी तैयार है। अगर सेवा भाव नहीं दिखाया तो न्यायालय, पीपी, एपीपी की मांग पर भी दो-तीन तिथियों में तो केस डायरी कोर्ट नहीं पहुंच सकता। कमजोर धारा, बेतरतीब केस डायरी का लाभ आसानी से कोर्ट में आरोपित उठा ले रहे हैं। उन्हें जमानत और रिहाई तक की मदद पहुंचाने का काम कायदे से कर गुजरते हैं।

जिले में मोजाहिदपुर, इशाकचक, तातारपुर, कोतवाली, बरारी, हबीबपुर, कजरैली, जीरोमाइल, सबौर, आदमपुर में बीते दस सालों में ऐसे कई मामले सामने आ चुके हैं। जिन सहायक अवर निरीक्षक, अवर निरीक्षकों को केस डायरी कायदे की लिखनी नहीं आती उनकी जवाहर लाल नेहरू अस्पताल के कैंप थाने में रिटायर्ड दरोगा केस डायरी लिखते हैं। इसके लिए बाकायदा पारिश्रमिक और नास्ते-भोजन की व्यवस्था तय होती है।

28 नवंबर 2016 को अगवा हुई थी कहलगांव की छात्र

कहलगांव अनुमंडल क्षेत्र स्थित एक स्कूल से 28 नवंबर 2016 को नवमी कक्षा की एक छात्र को अगवा कर लिया गया था। आरोपित नीलम उसे स्टेशन लेकर चली गई। वहां चमेली देवी साथ हो ली। वहां से ट्रेन पर बैठा कर उसे सुल्तानगंज लाया गया। फोन पर आरोपित किसी से बात कर रही थी कि उसे बेच कर पैसे बांट लेंगे। इस पर वह शोर मचाना चाहा तो उसे मार देने की धमकी दे चुप करा दिया गया।

आरोपितों ने उसे मोतिहारी जिले के कौड़िया मधुबन गांव ले जाकर सत्तन राय के पास 20 हजार रुपये में बेच दिया गया था। सत्तन ने उसे एक साल पांच महीने तक अपने साथ रखा। घर और खेतों का काम कराता था। उसके साथ शराब पीकर गलत काम भी करता था। किसी तरह अपनी सहेली को वह फोन करने में सफल हुई। सहेली के जरिए माता-पिता तक घटना की जानकारी पहुंचाई तब मुक्ति मिली थी। घटना की प्राथमिकी सत्तन, नीलम और चमेली के विरुद्ध दर्ज किया गया।


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