कलम-किताब से नाता रखने वाले बेटे को भी ढकेला जुर्म की राह, तैयार कर रखी है शूटरों की फौज Bhagalpur News
खरीक उत्तरी के जिला परिषद सदस्य गौरव राय के बड़े भाई कुमार रितुध्वज उर्फ सोनू राय की हत्या का ताना बाना बुनने के पीछे फिलहाल कुख्यात राकेश राय का नाम ही सामने आया है।
भागलपुर [कौशल किशोर मिश्र]। दूध, केला, मछली और कलाई की मलाई से संपन्न हुए गंगा पार के किसानों के बीच से निकल कर कुछ लड़के जुर्म की दुनियां के कुख्यात बन गए। ऐसे शातिर जरायम की दुनियां में अपने वजूद को बनाए रखने के लिए कत्ल के खेल खेलने लगे। कत्ल का खेल इनका शगल नहीं बल्कि वजूद मिट जाने। रास्ते से हटा दिए जाने के सता रहे भय से करते हैं। गंगा पार की जरायम दुनियां से छन कर कुछ ऐसी ही बातें आती रही है। हत्या का दौर वर्षों से चला आ रहा है। कभी जलकर पर कब्जा जमाने की जंग में दर्जनों लाशें गिरी तो खीर खिलाकर एक गिरोह के दर्जन भर अपराधी मार दिए गए। बाहुबली विनोद यादव को रास्ते से हटाने में कई शातिर एकजुट हुए। वर्दी में रहने वाले एक-दो ऐसे शख्स भी पर्दे के पीछे खड़े रहे जो विनोद के जिंदा रहते वसूली नहीं कर पाते थे। इस तरह वजूद के लिए कत्ल का खेल चलता आ रहा है।
पर्दे के पीछे से और आएंगे सामने
खरीक उत्तरी के जिला परिषद सदस्य गौरव राय के बड़े भाई कुमार रितुध्वज उर्फ सोनू राय की हत्या का ताना बाना बुनने के पीछे फिलहाल कुख्यात राकेश राय का नाम ही सामने आया है। लेकिन जैसे-जैसे जांच का दायरा बढ़ेगा कुछ और लोग भी पर्दे के पीछे से सामने आएंगे। गौरव राय की राजनीतिक वजूद को कायम रखने में सरल स्वभाव वाले सोनू राय की अहम भूमिका थी। किसी ठेके की बात हो या केले की खेती की। कहीं किसी प्रापर्टी को खरीदना है या पूंजी निवेश करना है, इसकी एबीसीडी सोनू राय ही तय करता था। हां राजनीतिक ककहरा वह सिर्फ अपने छोटे भाई के लिए ही छोड़ रखा था।
तुलसीपुर के ही कुख्यात राकेश राय का घर सोनू के घर के पिछवाड़े ही है। ग्रामीण राजनीति में उसे इस बात की खुन्नस तो पहले से ही रही। गांव में भी हत्या का दौर पुश्तैनी रहा है। इलाकाई तनातनी भी जगजाहिर रही है। डोर कभी लीडर सनगही, कभी नुनु राय तो कभी राकेश राय के हाथों में आती रही। जमुनियां इलाके के शैलो सिंह ने भी दबंगई दिखाई लेकिन जरायम की दुनियां से गौरव या उसके बड़े भाई सोनू राय का ताल्लुक नहीं रहा। हां चुनावी राजनीति में इलाकाई दबंगों से सामंजस्य बनाए रखने के लिए दुआ-सलाम होती रही। इसके लिए सोनू राय का सरल और सहज स्वभाव काम आता था। सबका भैया-भैया कहकर आसानी से समर्थन ले लेता था। ऐसे में सोनू राय का कत्ल हो जाना जरायम दुनियां में होने वाले उतार-चढ़ाव की जानकारी रखने वाले पंडितों के भी कान खड़े कर दिए। कहा जा रहा है कि जिला पार्षद गौरव राय के कम उम्र में तेजी से मिल रहे राजनीतिक उभार और बढ़ते कद से नाराज तबका राकेश राय के पक्ष में खड़ा होने लगा। यह भी चर्चा है कि राकेश का नाम जिन हत्याकांडों में आया उनके गवाहों की गवाही को लेकर उसे भड़काने का खेल खेला गया था। यानी राकेश को यह विश्वास दिलाया गया कि उसके विरुद्ध होने वाली गवाही में मददगार सोनू राय ही है। पुलिस के वरीय अधिकारी इन तमाम बिंदुओं पर गौर कर रहे हैं। राकेश पर हत्या और जानलेवा हमले के कई मामले दर्ज हैं, उनमें कुछ में गवाहों के सामने नहीं आने का उसे लाभ मिला और वह बरी भी हुआ। 12 अप्रैल 1996 में गोलू कुंवर की हत्या हुई थी जिसमें उसका नाम पहली बार चर्चा में आया था। फिर नवीन कुंवर पर 12 जननवरी 2011 को कातिलाना हमला हुआ। गोलीबारी में जख्मी नवीन बच गए। राकेश मधेपुरा के चौसा में 28 फरवरी 2011 को हथियार के साथ गिरफ्तार कर लिया गया। जेल में रहते उसने जिंदा बच गए नवीन कुंवर को 7 मार्च 2011 को फिर अपने शूटरों से निशाना बनवाया। नवीन तब भी बच गए। पहले हमले में राकेश को अदालत ने सात साल की सजा सुनाई। राकेश के विरुद्ध 7 सितंबर 2011 को सरोज कुंवर की हत्या का आरोप लगा। सरोज जब अपने बच्चे को स्कूल की गाड़ी तक छोडऩे पहुंचा था तभी जमुनियां बाजार में उसे बच्चे के सामने खींच कर गोली मार देने का आरोप था। साक्ष्य के अभाव में वह बरी हो गया। लेकिन राकेश और उसके गिरोह के वारदात का सिलसिला थमा नहीं। 15 मार्च 2016 को अधिवक्ता प्रमोद राय की हत्या कर दी गई। इस हत्याकांड में भी राकेश का नाम सामने है।
इस बात का भी अंदेशा है कि अभी एक-दो चौंकाने वाले नाम पुलिस जांच में सामने आ सकते हैं। क्योंकि आसन्न विधानसभा चुनाव में सोनू राय अपने छोटे भाई गौरव राय को चुनाव लड़ाने की तैयारी कर रहा था। इसको लेकर वह अंदर ही अंदर इलाकाई गोलबंदी में जुटा था। पुलिस सोनू हत्याकांड में राकेश के बेटे मुरली राय को गिरफ्तार कर लिया है। कलम-किताब से नाता रखने वाले मुरली की हत्याकांड में गिरफ्तारी कई सवाल छोड़ रहा है। सोनू राय की तरह वह भी गांव से आकर आदमपुर थाना क्षेत्र में ही रहता था। पुलिस मान रही है कि हत्या में शामिल बदमाशों के साथ मुरली भी भागलपुर से ही सोनू का पीछा कर रहा था। जानने वाले इस बात से वाकिफ हैं कि राकेश पैसे के बूते शूटरों की फौज तैयार कर रखी है।