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शंकर सिंह हत्याकांड में दो पुलिस पदाधिकारियों पर वारंट

- 8 साल से गवाही देने नहीं आ रहे दो अनुसंधानकर्ता - कोर्ट ने एसएसपी को दी गवाही के लिए उपस्थित कराने की जवाबदेही - जहर खिलाकर मार डाला गया था रामसर निवासी शंकर सिंह ------------------------ जागरण संवाददाता

By JagranEdited By: Published: Tue, 11 Sep 2018 09:17 PM (IST)Updated: Tue, 11 Sep 2018 09:17 PM (IST)
शंकर सिंह हत्याकांड में दो पुलिस पदाधिकारियों पर वारंट
शंकर सिंह हत्याकांड में दो पुलिस पदाधिकारियों पर वारंट

भागलपुर। शंकर सिंह हत्याकांड की सुनवाई के दौरान सोमवार को प्रथम अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश कुमुद रंजन सिंह ने लंबे समय से गवाही देने नहीं आने वाले दो पुलिस पदाधिकारियों के विरुद्ध जमानती वारंट जारी कर दिया है। न्यायाधीश श्री सिंह ने मामले में भागलपुर एसएसपी आशीष भारती को अनुसंधानकर्ता अवर निरीक्षक महेश प्रसाद श्रीवास्तव और सहायक अवर निरीक्षक शशिभूषण श्रीवास्तव को गवाही के लिए उपस्थित कराने की जवाबदेही दे दी है। न्यायालय में सरकार की ओर से अपर लोक अभियोजक ओमप्रकाश तिवारी ने अभियोजन पक्ष रखा। न्यायालय ने दोनों पुलिस पदाधिकारियों को गवाही के लिए उपस्थित कराने की तिथि 27 सितंबर 2018 की तिथि मुकर्रर कर दी है।

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कोतवाली में कोर्ट के आदेश पर हत्या की दर्ज हुई थी प्राथमिकी

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रामसर निवासी शंकर सिंह की शादी नीतू देवी से 8 फरवरी 2003 में हुई थी। लेकिन शंकर का पत्‍‌नी के साथ रिश्ते में खाई आने लगी थी। पत्‍‌नी का व्यवहार सही नहीं था। लेकिन शंकर पत्‍‌नी को काफी मानता था। अपर लोक अभियोजक के मुताबिक इस बीच शंकर से दूरी बनाए रहने वाली नीतू समेत बीरू कुमार आदि ने साजिश रचकर 17 नवंबर 2003 को यह कहकर बुलावा भेजा कि उसकी पत्‍‌नी नीतू की हालत खराब है, वह अस्पताल में भर्ती है। शंकर पैसे का इंतजाम कर 12 हजार रुपये के साथ वहां पहुंचा। लेकिन वहां हालात कुछ और था। पत्‍‌नी बीमार नहीं थी। फिर उसे कब्जे में लेकर जहरीला पदार्थ पिला दिया गया। उसके रुपये, गले में पड़ी चेन, घड़ी आदि छीन लिए गए। शंकर की मौत की सूचना 19 नवंबर को उसके घर वालों को दी। तब तक शंकर का पोस्टमार्टम भी हो चुका था। शंकर की मां मीना देवी ने बेटे की हत्या की जानकारी पर थाने में प्राथमिकी दर्ज कराने गई लेकिन उसकी थाने में तब सुनी नहीं गई। मीना देवी हार नहीं मानी। तब सीजेएम की अदालत का दरवाजा खटखटाया। सीजेएम ने कोतवाली थानाध्यक्ष को मामले में प्राथमिकी दर्ज करने का आदेश दिया था। कोतवाली में 16 दिसंबर 2003 को कोर्ट कंप्लेंट केस संख्या 1732-2003 की तहरीर पर प्राथमिकी दर्ज की गई। शंकर की मां ने तब बेटे की हत्या में उसकी पत्‍‌नी नीतू देवी के अलावा बीरू कुमार, वीरेंद्र राम, आरती देवी, मुकेश राम, पप्पू राम को आरोपित बनाया था। कोतवाली पुलिस ने तब अनुसंधान के क्रम में 14 जून 2006 को एकमात्र आरोपित बीरू कुमार के विरुद्ध आरोप पत्र दाखिल करते हुए शेष बचे पांच आरोपितों के विरुद्ध अनुसंधान जारी रखने की बात कही।

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12 साल से पत्‍‌नी समेत पांच आरोपितों पर पुलिस कर रही अनुसंधान

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इस कांड में पुलिस प्राथमिकी दर्ज करने के बाद 12 साल से शंकर की पत्‍‌नी नीतू समेत पांच के विरुद्ध अनुसंधान ही कर रही है। ऐसा अनुसंधान जिसका अंत अभी तक नहीं हो पाया है। अनुसंधानकर्ता भी पोस्टमार्टम रिपोर्ट अबतक जमा नहीं कर सके और ना ही किसी डॉक्टर को ही गवाह बनाया।


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