अपनों की ठोकर से आहत कोरोना संक्रमित बुजुर्ग ने उठा लिया कुछ ऐसा कदम
जहां एक ओर कोरोना वायरस संक्रमित को स्वस्थ रखने के लिए हौसला बढ़ता जाता है। वहीं दूसरी ओर एक मरीज के स्वजन ने ही ऐसा कुछ कर दिया जिससे मानवता शर्मासार हो गई।
भागलपुर, जेएनएन। जवाहर लाल नेहरू चिकित्सा महाविद्यालय अस्पताल (जेएलएनएमसीएच) अपनों की ठोकर से आहत कहलगांव के बुजुर्ग कोरोना मरीज ने नस काट कर जान देने की कोशिश की। हालांकि, डॉक्टरों ने समय रहते इलाज कर उनकी जान बचा ली। अभी वह इंडोर मेडिसीन विभाग में भर्ती हैं।
बुजुर्ग को 17 जुलाई को जेएलएनएमसीएच में भर्ती किया गया था। 23 जुलाई को जांच रिपोर्ट में उनके कोरोना पॉजिटिव होने की पुष्टि हुई। गंभीर स्थिति में उन्हें आइसीयू में डॉ. राजकमल चौधरी की यूनिट में भर्ती किया गया। उन्हें किडनी रोग और मधुमेह भी है। उनका डायलिसिस भी किया गया। डॉक्टरों के अनुसार वह लगभग स्वस्थ हो चुके थे। उनका ऑक्सीजन लेबल भी ठीक था। इसके बाद उन्हें आइसीयू से इंडोर मेडिसीन विभाग भेजा गया। दिया। क्योंकि ऑक्सीजन लेबल भी ठीक था।
उन्हें डायलिसिस की जरूरत थी। लेकिन, डायलिसिस यूनिट के कर्मचारियों को कोरोना होने पर 27 जुलाई से एक सप्ताह के लिए डायलिसिस यूनिट को बंद कर दिया गया है। मरीज को डायलिसिस करवाने के लिए दूसरी जगह रेफर किया गया। लेकिन, बुजुर्ग के परिजन दोबारा कोरोना की जांच करवाना चाहते थे। जबकि नियम के मुताबिक 12 दिनों तक भर्ती होने के बाद कोरोना संक्रमित की दोबारा जांच नहीं की जानी है। इसके बाद स्वजन बुजुर्ग को अस्पताल में ही छोड़कर चले गए। बुजुर्ग अपनों के इस ठोकर को बर्दास्त नहीं कर सके, दोपहर करीब एक बजे उन्होंने अपनी कलाई की नस काट ली। इसकी जानकारी अस्पताल अधीक्षक और अस्पताल प्रबंधक को दी गई। मेडिसीन विभाग में मरीज को भर्ती कर डॉ. बीके जायसवाल ने ड्रेसिंग की। अब मरीज खतरे से बाहर है। इसकी सूचना बरारी पुलिस को भी दी गई।
डायलिसिस यूनिट बंद रहने से उन्हें रेफर किया गया। लेकिन स्वजन मरीज को छोड़कर चले गए। तनाव में नस काटकर आत्महत्या का प्रयास किया। - डॉ. राजकमल चौधरी, डायलिसिस यूनिट प्रभारी, मायागंज अस्पताल