AIIMS की तरह अब JLNMCH में कियोस्क मशीन से लिए जाएंगे कोरोना सैंपल
मशीन के अंदर लैब तकनीशियन रहेंगे। इनका दोनों हाथ बाहर रहेगा। जो सीधे मरीज के चेहरे पर उनका हाथ स्पर्श करेगा। सुरक्षा के लिए यह जरुरी है।
भागलपुर, जेएनएन। दिल्ली एम्स की तरह जेएलएनमसीएच में भी कोरोना जांच के लिए कियाेस्क मशीन आ गई है। अब कोरोना संदिग्ध मरीजों की जांच के लिए चिकित्सको को जोखिम उठाना नहीं पड़ेगा। सुरक्षा के लिहाज से चिकित्सको के लिए कियोस्क मशीन बेहतर है। इस मशीन के आ जाने से सैंपल लेने वाले तकनीशियन और चिकित्सकों को पीपीई किट की जरूरत नहीं पड़ेगी। वे सुरक्षा घेरे में रहकर कोरोना वायरस के संदिग्ध मरीजों के सैंपल ले सकेंगे। इससे उन्हें संक्रमण का खतरा कम होगा। अस्पताल अधीक्षक डॉ. आरसी मंडल ने कहा कि कोरोना जांच के लिए यह मशीन काफी उपयोगी है। अधीक्षक ने बताया कि इस मशीन को पहली बार इस्तेमाल केरल में हुआ था। वहां सफल होने के बाद दूसरे जगह भी कियोस्क मशीन लगाई गई। कियोस्क मशीन यह एक छोटे से बूथ की तरह होता है। यह मशीन तीन तरफ से बंद रहता है, जबकि एक तरफ शीशा लगा होता है। बूथ के अंदर एक अल्ट्रावायलेट लाइट लगी होती है। इसके इंस्टॉलेशन का काम अस्पताल में शुरू हो गया है। शनिवार तक यह अस्पताल में स्थापित हो जाएगा।
इस तरह काम करेगी मशीन
अस्पताल अधीक्षक ने बताया कि इस मशीन के अंदर लैब तकनीशियन रहेंगे। इनका दोनों हाथ बाहर रहेगा। जो सीधे मरीज के चेहरे पर उनका हाथ स्पर्श करेगा। तकनीशियन हाथ में ग्लव्स और अन्य जरूरी सुरक्षा के उपकरण पहने रहेंगे। मशीन के अंदर से ही मरीज का सैंपल लिए जाएंगे। इसकी खासियत यह है कि मशीन के अंदर रहने वाले व्यक्ति और मरीज के बीच कोई संपर्क नहीं होगा। जिससे वायरस का शिकार होने का खतरा नहीं होगा। इस मशीन को वॉक इन सैंपल कियोस्क कहा जाता है। ऐसे में जो तकनीशियन पर जो खतरा नहीं होगा। इससे कोरोना संदिग्ध के साथ-साथ चिकित्सक और तकनीशियन को भी जांच में सहूलियत होगी।
मुख्य बातें
- जेएलएनमसीएच पहुंची मशीन, शनिवार तक इंस्टॉल करने का काम होगा पूरा
-तकनीशियन सुरक्षा के घेरे में रहकर कोरोना संदिग्ध मरीजों की करेंगे जांच