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CM Nitish Kumar inaugurated Mandar Ropeway: रोप-वे का परिचालन आज से नियमित, बुधवार को बंद रहेगा, आप भी आइए मंदार

ब‍िहार के मुख्‍यमंत्री नीतीश कुमार ने रोप-वे का उद्घाटन किया। बांका के मंदार पर्वत की ऊपरी श‍िखर तक पहुंचने के लिए अब लोगों को परेशानी नहीं होगी। आज से आम लोग भी रोप-वे से मंदार पर जा सकेंगे। बुधवार को पर‍िचालन नहीं होगा।

By Dilip Kumar ShuklaEdited By: Published: Wed, 22 Sep 2021 11:35 AM (IST)Updated: Wed, 22 Sep 2021 11:35 AM (IST)
CM Nitish Kumar inaugurated Mandar Ropeway: रोप-वे का परिचालन आज से नियमित, बुधवार को बंद रहेगा, आप भी आइए मंदार
ब‍िहार के मुख्‍यमंत्री नीतीश कुमार ने रोप-वे के बारे में जिलाध‍िकारी से ली जानकारी।

संवाद सहयोगी, बौंसी (बांका)। मंदार रोप-वे उद्घाटन के साथ ही 22 सितंबर 2021 से परिचालन नियमित रूप से भी शुरू हो गया। मंदार प्रभारी संजीव कुमार ने बताया कि रोप-वे का परिचालन नियमित रूप से शुरू हो गया है। इसके लिए इंजीनियर सहित दस लोगों की ड्यूटी लगाई गई है। लोअर स्टेशन पर तीन, मीडिल पर दो, अपर पर दो, टिकट काउंटर पर एक एवं स्पेयर में दो कर्मियों की ड्यूटी लगाई गई है। किराया एक यात्री का आने जाने के लिए 80 रुपये रखी गई है। पर्वत शिखर से एक यात्री की लोअर स्टेशन तक सिर्फ उतरने का किराया 40 रुपये रखी गई है। रोप-वे परिचालन का समय सुबह नौ बजे से 12 बजे तक एवं दोपहर दो बजे से शाम पांच बजे तक की जाएगी। बीच के दो घंटे समय में रोप-वे का मेंटेनेंस किया जाएगा। इसके अलावा बुधवार को परिचालन मेंटेनेंस के लिए पूर्णता बंद रहेगा। रविवार को परिचालन जारी रहेगा। इधर, रोप-वे परिचालन से मंदार में पर्यटकों की संख्या में इजाफा होने लगी है।

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डबल सर्किट लाइन से चलेगा रोपवे

मंदार का रोपवे डबल सर्किट लाइन से चलेगा। इस कारण इसके बीच में रूकने की संभावना कम है। इसके लिए पर्वत के नीचे 200 केवी और पर्वत शिखर पर 100 केवी का ट्रांसफार्मर लगाया गया है। विद्युतिकरण करने वाली एजेंसी बिजनेक्सट इंफ्रा सोल्युसंस प्राइवेट लिमिटेड के देवराज चौधरी और प्रोजेक्ट मैनेजर एससी त्रिपाठी ने बताया कि रोपवे में एलटीपी, आइटीपी और यूटीपी डबल सर्किट लाइन दिया गया है।

मंदार का परिचय

मंदार पर्वत के बारे में कई कहानियां प्रचलित हैं। इनमें से एक कहानी ऐसी है कि देवताओं ने अमृत प्राप्ति के लिए दैत्यों के साथ मिलकर मंदार पर्वत से ही समुद्र मंथन किया था, जिसमें हलाहल विष के साथ 14 रत्न निकले थे। यहां स्थित पापहरणी तालाब के बारे में कहा जाता है कि कर्नाटक के एक कुष्ठपीडि़त चोलवंशीय राजा ने मकर संक्रांति के दिन इस तालाब में स्नान किया था, जिसके बाद से उनका स्वास्थ ठीक हुआ। तभी से इसे पापहरणी के रूप में जाना जाता है। पहाड़ पर स्थित सीताकुंड के बारे में कहा जाता है कि यहां कभी मां सीता ने छठ किया था। यहां प्रत्येक साल मकर संक्राति पर चार दिनों का राजकीय मेला का भी आयोजन होता है।


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