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आगामी सत्र में पास होगा क्लीनिक इस्टब्लिशमेंट एक्ट

रविवार को आइएमए के वार्षिक सम्मेलन में केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण राज्यमंत्री अश्रि्वनी कुमार चौबे ने कहा कि आगामी सत्र में क्लीनिकल इस्टब्लिशमेंट एक्ट पास कर दिया जाएगा। एक्ट में सुधार के लिए डॉक्टरों से भी सुझाव मांगे गए हैं।

By JagranEdited By: Published: Sun, 15 Dec 2019 09:28 PM (IST)Updated: Mon, 16 Dec 2019 02:32 AM (IST)
आगामी सत्र में पास होगा क्लीनिक इस्टब्लिशमेंट एक्ट
आगामी सत्र में पास होगा क्लीनिक इस्टब्लिशमेंट एक्ट

भागलपुर। रविवार को आइएमए के वार्षिक सम्मेलन में केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण राज्यमंत्री अश्रि्वनी कुमार चौबे ने कहा कि आगामी सत्र में क्लीनिकल इस्टब्लिशमेंट एक्ट पास कर दिया जाएगा। एक्ट में सुधार के लिए डॉक्टरों से भी सुझाव मांगे गए हैं।

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उन्होंने कहा कि नेशनल मेडिकल काउंसिल में पटना के डॉ. सहजानंद प्रसाद को भी शामिल किया गया है। देश में 22 हजार हेल्थ वेलनेश सेंटर बनाए जाएंगे। सिविल सर्जन डॉ. विजय कुमार सिंह ने कहा कि भागलपुर में अभी तक मात्र छह नर्सिग होम आयुष्मान भारत योजना से जुड़े हैं। अभी और नर्सिग होम की आवश्यकता है। इसके लिए ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन होता है।

मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डॉ. हेमंत कुमार सिन्हा ने ऐसे कार्यक्रम के आयोजन पर प्रसन्नता व्यक्त की। अस्पताल अधीक्षक डॉ. आरसी मंडल ने कहा कि जो डॉक्टर आइएमए के सदस्य नहीं बने हैं, उन्हें सदस्यता ग्रहण करनी चाहिए। डॉ. सहजानंद प्रसाद ने कहा कि आइएमए की भागलपुर शाखा इस तरह के कार्यक्रम का आयोजन करने में आगे है। अतिथियों का स्वागत डॉ. सोमेन चटर्जी ने किया, धन्यवाद ज्ञापन डॉ. अमिताभ सिंह ने किया। डॉ. संजय सिंह, डॉ. बिहारी लाल ने संबोधित किया। मंच संचालन डॉ. प्रतिभा सिंह और डॉ. वर्षा सिन्हा ने किया। इस अवसर पर डॉ. संजय कुमार, डॉ. सीएम उपाध्याय, डॉ. विनय कुमार झा, डॉ. संदीप लाल, डॉ. राजीव सिन्हा, डॉ. कुमार सुनित, डॉ. पंकज कुमार सहित कई डॉक्टर उपस्थिति थे। नियमित करेंगे व्यायाम तो नहीं होगा कमर दर्द

आइएमए में आयोजित वैज्ञानिक सत्र में कोलकाता अपोलो अस्पताल के ब्रेन और स्पाइनल सर्जन डॉ. विनोद कुमार सिंघानिया ने कहा कि जर्जर सड़क पर वाहन चलाने, अचानक भारी सामान उठाने से स्पाइन में दर्द होता है। इसके अलावा लगातार शराब पीने, कुर्सी या गद्दी पर बैठने से भी कमर में दर्द होने की संभावना रहती है। 45 वर्ष की उम्र के बाद यह परेशानी होने लगती है। उन्होंने कहा कि नियमित व्यायाम करने से यह बीमारी नहीं होगी। गर्भवती महिलाएं शुरू से अपने स्वास्थ्य पर दें ध्यान

पटना की डॉ. मीणा सावंत ने कहा कि गर्भवती महिलाओं को प्रारंभ से ही अपने स्वास्थ्य पर ध्यान देना चाहिए, ताकि खून की कमी न हो। सिजेरियन होने पर अगर ज्यादा ब्लीडिंग होती है तो इसका मुख्य कारण है खून की कमी। मायागंज अस्पताल की डॉ. अनुपमा सिन्हा ने कहा कि गर्भाश्य में टीबी होने पर अनियमित माहवारी, रक्तश्राव आदि होने की संभावना रहती है। बांझपन भी हो सकता है। नियमित दवा खाने से बीमारी ठीक हो जाती है।


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