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चिराग-सुमित की दूर हुई कड़वाहट, बदलेगी राजनीतिक समीकरण

जमुई की राजनीति पर भी इसका दूरगामी प्रभाव पड़ने की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता।

By JagranEdited By: Published: Mon, 12 Nov 2018 10:07 PM (IST)Updated: Mon, 12 Nov 2018 10:07 PM (IST)
चिराग-सुमित की दूर हुई कड़वाहट, बदलेगी राजनीतिक समीकरण
चिराग-सुमित की दूर हुई कड़वाहट, बदलेगी राजनीतिक समीकरण

जमुई (जेएनएन)। जेपी आन्दोलन की उपज दो दिग्गज नेता रामविलास पासवान और नरेन्द्र ¨सह के पुत्रों चिराग और सुमित के बीच खाई को जदयू के चाणक्य व राष्ट्रीय उपाध्यक्ष प्रशांत किशोर ने पाट दिया है। बहुत दिनों से दो उदीयमान नेता के बीच की कड़वाहट दूर करने की कवायद हो रही थी। 13 साल पूर्व प्रदेश के दो दिग्गज नेताओं के बीच बढ़ी दूरी भी पुत्रों के मिलाप से कम होने की संभावना बढ़ी है। साथ ही जमुई की राजनीति पर भी इसका दूरगामी प्रभाव पड़ने की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता। जमुई की राजनीति के जानकार की माने तो सांसद चिराग पासवान और पूर्व विधायक सुमित कुमार ¨सह को गले मिलाने में प्रशांत किशोर की भूमिका अहम रही है। हालांकि इसका फायदा पहले चिराग पासवान भले ही मिलता दिख रहा है लेकिन सुमित कुमार ¨सह को भी तत्काल फायदा होगा। कहा जाता है कि सुमित ¨सह की पहले से ही अंग क्षेत्र की राजनीति में दिलचस्पी रही है और प्रशांत किशोर व मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की ओर से भी अंग क्षेत्र की राजनीति में स्थापित करने के ठोस आश्वासन मिलने की बात बताई जा रही है। बहरहाल चिराग, सुमित के मिलन को लेकर चर्चाएं तेज हो गई है। लोग इस मिलन की व्याख्या अपने-अपने हिसाब से कर रहे हैं। कोई राम विलास पासवान को एनडीए खेमा में बनाए रखने की कवायद कह रहे हैं तो कोई आरक्षण और एसएसटी एक्ट को लेकर एनडीए के प्रति अगड़ों की नाराजगी की भरपाई का प्रयास बता रहे हैं। वैसे दोनों युवा नेताओं अलग-अलग रहने का खामियाजा एनडीए पहले भी भुगत चुकी है। इसलिए इस बार कोई जोखिम लेने के मुड में जदयू नहीं था। लिहाजा यह जिम्मेवारी प्रशांत किशोर को सौंपी गई। इधर सुमित कुमार ¨सह ने कहा कि एनडीए एकजुट है। हम सभी का एक मात्र लक्ष्य 2019 के चुनाव में फिर से एनडीए को जीत दिलाना है। यहां यह बताना लाजिमी है कि लोजपा को 2005 में तोड़ने में पूर्व विधायक सुमित कुमार ¨सह के पिता पूर्व मंत्री नरेंद्र ¨सह की भूमिका अहम थी। इस बात को लेकर केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान की नाराजगी का असर दोनों युवातुर्क के रिश्ते पर भी पड़ा था। हालांकि बीते लोकसभा चुनाव में जदयू प्रत्याशी उदय नारायण चौधरी का विरोध करने के चलते चिराग पासवान को ही फायदा हुआ था।

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