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अगले साल और महंगी हो जाएगी बच्चों की पढ़ाई

नए साल में आपके बच्चों की पढ़ाई और महंगी हो जाएगी। स्कूल इसकी तैयारी कर रहे हैं।

By JagranEdited By: Published: Thu, 15 Nov 2018 11:18 AM (IST)Updated: Thu, 15 Nov 2018 11:18 AM (IST)
अगले साल और महंगी हो जाएगी बच्चों की पढ़ाई
अगले साल और महंगी हो जाएगी बच्चों की पढ़ाई

भागलपुर। नए साल में आपके बच्चों की पढ़ाई और महंगी हो जाएगी। मार्च से शुरू हो रहे प्राइवेट स्कूलों के नए सत्र में फीस में 10 से 15 प्रतिशत तक की बढ़ोतरी होगी। नामांकन फॉर्म की बिक्री शुरू होने वाली है। इसकी तैयारी शुरू हो गई है। अगले एक-दो इसकी तिथि भी घोषित हो जाएगी। चार्ज बढ़ाने का मसौदा तैयार कर लिया गया है। बस प्रबंधन का अंतिम मुहर लगना बाकी है।

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नामांकन चार्ज बढ़ेगा

नर्सरी में होने वाले नामांकन के लिए स्कूल की ओर से पुराने शुल्क को रिवाइज किया जा रहा है। नए सत्र में फीस बढ़ाने का कारण महंगाई बताई जा रही है। स्कूल प्रबंधन की मानें तो इस बार प्राइवेट स्कूलों में प्रवेश लेने वाले व अगले क्लास में नामांकन लेने वाले बच्चों की कॉपी-किताबों में भी फिर से 1000-1500 रुपये तक की वृद्धि की जाएगी। यही नहीं स्कूल ड्रेस की कीमत भी बढ़ जाएगी।

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आइसीएसई और सीबीएसई के नियमों का पालन नहीं

आइसीएसई और सीबीएसई ने शिक्षा की दुकानदारी बंद करने के लिए स्कूलों में पुस्तक, स्टेशनरी व ड्रेस की बिक्री नहीं करने का निर्देश दिया है। हालांकि इस वर्ष निर्देश का पालन कुछ स्कूलों ने किया। लेकिन आइसीएसई स्कूल प्रबंधन ने कॉपी और किताब बेचने की जिम्मेदारी एक किताब दुकानदार को दे दी। जिसके कारण अभिभावकों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ा। जिले के कई निबंधित स्कूलों में किताब और कॉपियों की बिक्री पर रोक नहीं लग पाई है।

अभिभावकों की मानें तो आइसीएसई और सीबीएसई के पास देश भर के स्कूलों की निगरानी के लिए मुकम्मल तंत्र नहीं है। नियम-परिनियम का अनुपालन कराने के लिए जिलावार सिटी को-ऑर्डिनेटर की जिम्मेदारी निबंधित स्कूल के प्राचार्य को दे दी जाती है। एक आदमी से जिले के सभी स्कूलों की निगरानी संभव नहीं है।

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सस्ती है कॉलेज की पढ़ाई

उच्च शिक्षा का सपना देख रहे छात्रों के लिए यह जानकारी सुकून देने वाली होगी कि महंगी होती शिक्षा के दौर में भी सरकारी डिग्री कालेजों में पढ़ाई जेब के अनुकूल बैठती है। प्राइवेट स्कूलों के नर्सरी और केजी से भी यह खर्चा कम है।

टीएनबी कॉलेज और सुन्दरवती महिला कालेज में स्नातक की सालाना फीस उतनी भी नहीं जितनी किसी निजी स्कूल में कक्षा एक के लिए प्रतिमाह चुकानी पड़ती है। सुंदरवती महिला कालेज में नामाकन के लिए सबसे अधिक छात्राओं की भीड़ जुटती है। यहा बीएससी, बीकॉम और बीए की सालाना फीस क्रमश: 1194, 1151 और 1131 रुपये है। इसी तरह नैक से ए ग्रेड प्राप्त टीएनबी कालेज में भी दाखिले के लिए मारामारी मचती है। यहा स्नातक में दाखिले का सालाना शुल्क बीए-बीकाम के लिए 1198 और बीएससी के लिए मात्र 1214 रुपये है। इसी में एडमिशन, ट्यूशन फी, लैब, मेडिकल डेवलपमेंट समेत सभी खर्चे शामिल हैं। टीएनबी कॉलेज में भी फीस बहुत कम है। भागलपुर ही नहीं दिल्ली विवि से जुड़े कालेजों तक में स्नातक की पढ़ाई का खर्च अपेक्षाकृत बहुत कम है। दिल्ली के नामचीन कॉलेजों में भी यह सालाना 12-15 हजार से कम ही होता है। जेएनयू में तो यूं समझें कि छात्रों को नि:शुल्क शिक्षा दी जा रही है। हा इन शिक्षण संस्थानों में दाखिला मेरिट के आधार पर होता है और देशभर के छात्रों में प्रतिस्पर्धा रहती है। बताने की जरूरत नहीं कि निजी स्कूलों में जहा साल दर साल फीस में अनाप-शनाप बढ़ोत्तरी की जा रही वहीं नर्सरी और केजी में प्रवेश दिलाने में ही अभिभावकों की जेब ढीली हो रही है। मिशनरी स्कूलों में भी यह पढ़ाई सस्ती नहीं रही। नर्सरी व केजी के दाखिले में 20-30 हजार रुपये तक लगते हैं। चार-पाच सालों से प्रतिवर्ष नामाकन के नाम पर मोटी रकम ली जाने लगी है। अगर किताब-कॉपी, ड्रेस आदि जोड़ लें तो यह खर्च और बढ़ जाता है।

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सीबीएसई स्कूलों में एनसीईआरटी की ही अधिकतर पुस्तकों से पढ़ाई की जाती है। उपलब्धता नहीं होने पर बच्चों को बेहतर प्रकाशन की पुस्तकें क्रय करने को कहा जाता है।

संजय कुमार, निदेशक दीक्षा इंटरनेशनल।

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स्कूल प्रबंधन चाहती है कि बच्चे बेहतर से बेहतर प्रकाशन की पुस्तकें पढ़े ताकि लक्ष्य हासिल करने में उन्हें कोई कठिनाई नहीं हो। एनसीईआरटी की पुस्तकों को भी प्राथमिकता दी जाती है।

भूषण प्रसाद तिवारी, प्राचार्य, ज्ञान निकेतन


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