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सृजन घोटाला : 27 आरोपितों के खिलाफ आरोप पत्र दायर, जानिए Bhagalpur News

आरोप के अनुसार इंडियन बैंक व बैंक ऑफ बड़ौदा में भागलपुर के विभिन्न जिला कार्यालयों का बैंक खाता था। विभिन्न सरकारी योजनाओं की राशि सरकारी खातों में सरकार भेजती थी।

By Dilip ShuklaEdited By: Published: Wed, 08 Jan 2020 07:27 AM (IST)Updated: Wed, 08 Jan 2020 07:27 AM (IST)
सृजन घोटाला : 27 आरोपितों के खिलाफ आरोप पत्र दायर, जानिए Bhagalpur News
सृजन घोटाला : 27 आरोपितों के खिलाफ आरोप पत्र दायर, जानिए Bhagalpur News

भागलपुर, जेएनएन। सृजन घोटाला मामले में दर्ज प्राथमिकियों के आलोक में सीबीआइ ने विशेष न्यायिक दंडाधिकारी की अदालत में 27 आरोपितों के खिलाफ आरोप पत्र दायर कर दिया। जिनके खिलाफ आरोप पत्र दायर किया गया वे हैं, सृजन महिला विकास सहयोग समिति बैंकिंग संस्थान की तत्कालीन प्रबंधक सरिता झा, सृजन संस्थान की तत्कालीन सचिव रजनी प्रिया, सृजन की पूर्व संयोजक मनोरमा देवी के पुत्र अमित कुमार, मनोरमा के सहयोगी रहे नालू परिमल राजू एवं विपिन कुमार, भागलपुर स्थित इंडियन बैंक के तत्कालीन मुख्य प्रबंधक देव शंकर मिश्रा, तत्कालीन सहायक प्रबंधक प्रवीण कुमार, राम कृष्ण झा, दिनकर टिग्गा, हरेकृष्ण अड़क, संजीव कुमार, प्रबंधक सुमित कुमार, वरीय प्रबंधक सुरजीत राहा, प्रबंधक अशोक अस्थाना, तत्कालीन क्लर्क एजाज अहमद अंसारी व अजय कुमार पाण्डेय, भागलपुर बैंक ऑफ बड़ौदा के तत्कालीन मुख्य प्रबंधक नवीन कुमार साहा, सुजीत कुमार श्रीवास्तव, प्रेम कुमार सिन्हा व सुजीत कुमार साहा, तत्कालीन संयुक्त प्रबंधक वरुण कुमार, प्रबंधक आनंद चंद्रा, शंकर प्रसाद दास व तपन कुमार दास, क्लर्क संत कुमार सिन्हा, भागलपुर स्थित उप विकास आयुक्त कार्यालय के तत्कालीन नाजिर अरुण कुमार और अमरेंद्र कुमार यादव। आरोप पत्र में मनोरमा देवी को मृत दिखाया गया है।

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आरोप के अनुसार इंडियन बैंक व बैंक ऑफ बड़ौदा में भागलपुर के विभिन्न जिला कार्यालयों का बैंक खाता था। विभिन्न सरकारी योजनाओं की राशि सरकारी खातों में सरकार भेजती थी। बैंक के अधिकारी- कर्मचारी व डीडीसी कार्यालय के नाजिरों की मिलीभगत सृजन के पूर्व संयोजक मनोरमा देवी से थी। बैंक के सभी आरोपित व डीडीसी कार्यालय के नाजिर षड्यंत्र के तहत सरकारी खातों से रुपये सृजन बैंकिंग के खाते में चेकों से फर्जी तरीके से भिजवा देते थे। बाद में सृजन के खाता से धीरे-धीरे कर सभी रुपये निकाल कर आरोपित लोग आपस में बांट लेते थे। इस तरह सिर्फ इस प्राथमिकी के आरोपितों ने सरकार का 23.74 करोड़ रुपये का गबन किया। इस घोटाले का खुलासा तब हुआ जब सरकारी चेक असली लाभुक को दिया गया और सरकारी खाते में रुपये नहीं रहने के कारण चेक बाउंस होने लगा। सीबीआइ ने इस प्राथमिकी के आरोपितों के खिलाफ 12 जून 2018 को प्राथमिकी दर्ज कर जांच शुरू की थी। इसके पहले हाल में ही सीबीआइ सृजन घोटाला के ही दो प्राथमिकी के 13 आरोपितों पर आरोप पत्र दायर कर चुकी है।


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