Move to Jagran APP

बंदूकें छोड़ थामा हल और कुदाल-बन गए कुशल किसान, मुंगेर के नक्सल प्रभावित क्षेत्र की बदलती तस्वीर

बिहार के मुंगेर जिले के नक्सल प्रभावित क्षेत्रों की तस्वीर अब बदलने लगी है। पहले जो नक्सली बंदूके लिए जंगलों में छिपे रहते थे। अब उन्होंने बंदूकें त्याग दी हैं और खेती किसानी कर रहे हैं। उनके हाथों में हल और कुदाल है।

By Rajnish KumarEdited By: Shivam BajpaiPublished: Wed, 28 Sep 2022 04:27 PM (IST)Updated: Wed, 28 Sep 2022 04:27 PM (IST)
बंदूकें छोड़ थामा हल और कुदाल-बन गए कुशल किसान, मुंगेर के नक्सल प्रभावित क्षेत्र की बदलती तस्वीर
मुंगेर में कई नक्सलियों ने किया आत्मसमर्पण।

शशिकांत कुमार, मुंगेर : कभी नक्सल प्रभावित इलाके से चर्चित मुंगेर जिले के धरहरा प्रखंड की सूरत अब बदल गई है। एक समय था जब यहां के लोग बंदूक और गोलियों के साथ खेलते थे। अब वह हल-कुदाल थाम कर कुशल किसानों की श्रेणी में आ गए हैं। मुख्य धारा से जुड़ने के बाद दो दर्जन से ज्यादा नक्सली किसान बन गए हैं। खेती-किसानी कर समाज में नई मिसाल पेश कर रहे हैं। इनसबों को मलाल इस बात का है कि आत्मसमर्पण कर मुख्य धारा से जुड़ने के बाद जो सहायता मिलनी थी, वो नहीं मिली।

loksabha election banner

दरअसल, वर्ष 2012 में धरहरा प्रखंड के महेश यादव, अधिक यादव ,देवन यादव और मनोज साव सहित दो दर्जन लोगों ने तत्कालीन प्रमंडलीय आयुक्त और डीएम के समक्ष एक साथ आत्मसर्पण किया था। इसके बाद 10 वर्षों से सभी मुख्यधारा से जुड़कर खेती किसानी में जुटे हैं। पट्टे पर खेत लेकर खेती कर रहे हैं। खेती कर अबे अच्छे किसान बन गए हैं। गलत संगत में फंसे लोगों को शिक्षित और पैरों पर खड़ा रहने के लिए नसीहत दे रहे हैं। अब दूसरे लोग भी प्रेरित होकर जुड़ रहे हैं।

सहायता का है इंतजार

मुख्य धारा से जुड़ने वाले किसानों का कहना है कि उस वक्त प्रशासन की ओर से तीन लाख रुपये और हर माह दो से तीन हजार रुपये देने की बात कही गई थी। इसका लाभ नहीं मिला। प्रशासन की ओर से रोजगार से जुड़ने के लिए दुधारू पशु कुछ लोगों को दिए गए थे। सभी ने प्रशासन और सरकार से सहायता राशि दिए जाने की मांग की है।

केस स्टडी-1: महेश यादव ने बताया कि मुख्यधारा से जुड़ने के बाद किसानी कर परिवार का भरण-पोषण कर रहा हूं। आज सुकून की जिंदगी गुजर-बसर कर रहा हूं। किसानी से जीवोपकार्जन हो रहा है। दूसरे को भी जागरूक कर रहे हैं।

केस स्टडी-2: अधिक यादव ने बताया कि सरकार की ओर से जो सहायता मिलनी चाहिए थी, वह पूरी तरह नहीं मिला। आज किसानी कर परिवार को आजीविका चला रहे हैं। परिवार के साथ खुशहाल जिंदगी गुजार रहे हैं।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.