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स्टेट डेस्क : सीबीआइ ने तीन अफसरों को दिल्ली बुलाया

सीबीआइ ने कल्याण विभाग की दूसरी प्राथमिकी (115 करोड़ रुपए) की जांच के लिए 28 अगस्त को भागलपुर के तीन अफसरों को दिल्ली तलब किया है। यह प्राथमिकी 23 अगस्त 2017 को दर्ज कराई गई थी। बुलाए गए पदाधिकारी प्राथमिकी दर्ज होने के बाद अवैध निकासी के विभिन्न पहलुओं की जांच के लिए गठित समिति के सदस्य थे।

By JagranEdited By: Published: Tue, 21 Aug 2018 07:09 AM (IST)Updated: Tue, 21 Aug 2018 07:09 AM (IST)
स्टेट डेस्क : सीबीआइ ने तीन अफसरों को दिल्ली बुलाया
स्टेट डेस्क : सीबीआइ ने तीन अफसरों को दिल्ली बुलाया

भागलपुर। सीबीआइ ने कल्याण विभाग की दूसरी प्राथमिकी (115 करोड़ रुपए) की जांच के लिए 28 अगस्त को भागलपुर के तीन अफसरों को दिल्ली तलब किया है। यह प्राथमिकी 23 अगस्त 2017 को दर्ज कराई गई थी। बुलाए गए पदाधिकारी प्राथमिकी दर्ज होने के बाद अवैध निकासी के विभिन्न पहलुओं की जांच के लिए गठित समिति के सदस्य थे।

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पूर्व डीएम आदेश तितरमारे ने कमेटी बनाई थी। कमेटी के अध्यक्ष एडीएम हरिशंकर प्रसाद थे और जिला लेखा पदाधिकारी राजेंद्र कुमार चंद्रवंशी सदस्य थे। एडीएम का भागलपुर से तबादला हो गया है, अभी वे किशनगंज में जिला लोक शिकायत निवारण पदाधिकारी हैं। तीसरे पदाधिकारी जिला पंचायत राज पदाधिकारी अपूर्व कुमार मधुकर हैं, जिन्होंने डीडब्ल्यूओ के प्रभार में रहते दूसरी प्राथमिकी दर्ज कराई थी।

इसके साथ ही सीबीआइ ने दूसरी प्राथमिकी से संबंधित सभी कागजात भी कल्याण विभाग से मांगा है। यह वर्ष 2014 से 2016 की अवधि का है। जब घोटाले के आरोपित अरुण कुमार जिला कल्याण पदाधिकारी थे। अब तक कल्याण ने दो प्राथमिकी दर्ज कराई थी। पहली 12 अगस्त को छह करोड़ की अवैध निकासी की दर्ज हुई थी। सीबीआइ ने दूसरी प्राथमिकी से जुड़े दस्तावेज भी मांगे हैं जिसे लेकर कल्याण के कर्मचारी दिल्ली जाएंगे। स्थानीय अधिकारियों ने सीबीआइ से पटना या सबौर कैम्प कार्यालय में पूछताछ के लिए उपस्थित होने का आग्रह किया था। लेकिन सीबीआइ के अधिकारी नहीं माने। सूत्रों ने बताया कि एजी की ऑडिट टीम ने कुल 222 करोड़ की अवैध निकासी का प्रतिवेदन दिया था। इसके आधार पर शेष 101 करोड़ की राशि के लिए तीसरी प्राथमिकी दर्ज नहीं कर दूसरी प्राथमिकी में ही इसे अटैच करने का अनुरोध सीबीआइ से किया गया था। दिल्ली में जांच के क्रम में सीबीआइ को फिर उस पत्र की कॉपी भी भेजी गई है जिसमें दूसरी प्राथमिकी में ही इसे अटैच करने का अनुरोध किया गया था।


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