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पुआल कूड़ा नहीं खेती का गहना है, इसे न जालाए धरती को बचाएं, जानिए... क्या करें Bhagalpur News

हाल के दिनों से फसल अवशेष को जलाने की नई रिवाज चल पड़ी है। जो न सिर्फ पर्यावरण को प्रदूषित कर रहा है बल्कि हमारी खेतों की मिट्टी भी उपजाऊ होने के बजाय नष्ट हो रही है।

By Dilip ShuklaEdited By: Published: Mon, 12 Aug 2019 11:11 AM (IST)Updated: Tue, 13 Aug 2019 09:20 AM (IST)
पुआल कूड़ा नहीं खेती का गहना है, इसे न जालाए धरती को बचाएं, जानिए... क्या करें Bhagalpur News
पुआल कूड़ा नहीं खेती का गहना है, इसे न जालाए धरती को बचाएं, जानिए... क्या करें Bhagalpur News

भागलपुर [अमरेन्द्र कुमार तिवारी]। पुआल कूड़ा नहीं है यह मिट्टी का गहना है। इसे मिट्टी में मिलाना है, कभी भी खेतों में नहीं जलाना है। तभी हम सभी आत्माओं की जननी धरती को बचाने में कामयाब हो सकते हैं।

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उक्त बातें पृथ्वी दिवस पर खास बातचीत में बिहार कृषि विश्वविद्यालय (बीएयू)के कुलपति डॉ. अजय कुमार सिंह ने कही। उन्होंने कहा पृथ्वी पर हमें अन्न, जल और वायु सब कुछ मिलता है। इसी से इस धराधाम पर सजीव प्राणियों का अस्तित्व है। हमारा यह परम कर्तव्य है कि हम हर हाल में पृथ्वी को बचाए। हरियाली बढ़ाने के लिए पौधरोपण भी करें।

हाल के दिनों से फसल अवशेष को जलाने की नई रिवाज चल पड़ी है। जो न सिर्फ पर्यावरण को प्रदूषित कर रहा है बल्कि हमारी खेतों की मिट्टी भी उपजाऊ होने के बजाय नष्ट हो रही है।

एक टन पुआल से यूं मिलती है मिट्टी को पोषक तत्व

नाइट्रोजन - 20 से 30 किलोग्राम

पोटाश - 60 से 100 किलोग्राम

सल्फर - 05 से 07 किलोग्राम

आर्गेनिक कार्वन- 1600 किलोग्राम

जलाने से क्या होता है नुकसान

-मिट्टी के पोषक तत्वों की क्षति होती है।

-कार्वनिक पदार्थ और सूक्ष्म जीवों का सफाया होता है।

-हानिकारक गैस और एरोसॉल के कण के हवा प्रदूषित होती है।

-60 किलोग्राम कार्बन मोनाक्साइड बनता है।

-1460 किलोग्राम कार्बन डाइक्साइड बनता है।

-आंख, नाक और गले में संक्रमण होता है।

-इसके बावजूद भी अगर खेतों में पुआलों को जलाया जाता है तो यूं कहे कि उसके जलाने से किसानों की किस्मत जल रही है। उनके अरमानों को मिट्टी में मिलाया जा रहा है।

अंतरराष्ट्रीय स्तर पर होगा विचार मंथन

कुलपति ने कहा कि फसल अवशेष प्रबंधन पर बीएयू अगले माह पटना में अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन कर रहा है। इसकी तिथि 14-15 अक्टूबर निर्धारित किया गया है। संगोष्ठी में देश-विदेश के कृषि वैज्ञानिक विचार मंथन करेंगे। संगोष्ठी से जो बातें छन कर आएगी। उस पर ठोस योजना तैयार किया जाएगा।

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