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कर्ज में दबे बुनकर, नौ माह से है सब्सिडी का इंतजार

रेशमी नगर के बुनकर योजना से जुड़ कर ठगे महसूस करने लगे हैं। उन्हें समय से सब्सिडी का लाभ नहीं मिल पा रहा है।

By JagranEdited By: Published: Fri, 16 Nov 2018 08:42 PM (IST)Updated: Fri, 16 Nov 2018 09:33 PM (IST)
कर्ज में दबे बुनकर, नौ माह से है सब्सिडी का इंतजार
कर्ज में दबे बुनकर, नौ माह से है सब्सिडी का इंतजार

भागलपुर। रेशमी नगर के बुनकर योजना से जुड़ कर ठगे महसूस करने लगे हैं। केंद्रीय वस्त्र मंत्रालय बुनकरों के पावरलूम को अपग्रेड करने के लिए इन सीटू अपग्रेडेशन योजना लेकर आई। ताकि पावरलूम पर डिजाइन वाले कपड़े तैयार किया जा सके। योजना का लाभ लेने के चक्कर में बुनकर महाजन के चुंगल में फंस गए। चंपानगर के बुनकर मिथलेश कुमार वर्तमान दौर में महाजन के कर्ज से दबे जा रहे हैं। दो पावरलूम में डॉबी जकार्ड लगाने के लिए 50 हजार रुपया कर्ज लिया था। अब कमाई का अधिकांश हिस्सा ब्याज में देना पड़ रहा है। मिथलेश ने बताया कि नाथनगर स्थित वस्त्र मंत्रालय के पावरलूम सर्विस सेंटर में डॉबी जकार्ड के खरीदारी से संबंधित विपत्र को फरवरी माह में जमा कर दिया। जबकि विभागीय प्रावधान के अनुरूप 45 माह में सब्सिडी की राशि लाभुक के बैंक खाते में उपलब्ध कराना है। नौ माह बीतने के बाद भी सब्सिडी की राशि नहीं मिली। जबकि पावरलूम सर्विस सेंटर के आदेश पर सारे कागजात उपलब्ध करा दिया गया। मिथलेश समेत छह बुनकरों नौमान, मजहर, इमरान, रिजवान और तनवीर का अनुदान वस्त्र मंत्रालय के स्तर से लंबित है। भुगतान में विलंब को लेकर बुनकरों का मोह भंग होने लगा है। बुनकर बाहुल्य क्षेत्र में तेजी से अफवाह फैल रही है। जबकि गत वर्ष तक दो सौ बनुकरों को योजना का लाभ मिल चुका है।

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विदित हो कि योजना के तहत बुनकरों को पहले अपनी राशि लगाकर पावरलूम को अपग्रेड करना पड़ता है। इन सीटू अपग्रेडेशन ऑफ प्लेन पावरलूम योजना के तहत आठ पावरलूम में डॉबी जकार्ड लगा सकते हैं। प्रति लूम पर अधिकतम 50 हजार की राशि खर्च करने पर ही अनुदान का लाभ मिल सकेगा। बुनकर द्वारा विपत्र जमा करने पर भुगतान की प्रकिया के लिए मंत्रालय को भेजा जाता है। केंद्र और राज्य सरकार अनुसूचित जाति और जनजाति को 95 फीसद अनुदान देती है। जबकि सामान्य और पिछड़ा वर्ग के बुनकर को 90 फीसद का अनुदान मिलता है।

इस संबंध में पावरलूम सर्विस सेंटर के प्रभारी सहायक निदेशक विनय कुमार ने बताया कि पीएससी की ओर से सारी कागजी कार्रवाई कर रिपोर्ट मंत्रालय को भेज दी है। स्मार पत्र भी भेजा गया है। ऑनलाइन पोर्टल तकनीकी गड़बड़ी के कारण भुगतान नहीं हो पाया। इस माह के अंत तक भुगतान करने का मंत्रालय ने आश्वासन दिया है।


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