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मेडिकल कोर्स में फर्जी नामांकन कराने वाले गिरोह का भंडाफोड़

इस गिरोह में पटना, पूर्णिंया, बख्तियारपुर समेत कई राज्यों के लोग शामिल हैं। इसमें शामिल दो ठगों को पुलिस ने पुणे से गिरफ्तार किया। भागलपुर के भी छात्रों ने बताया निशाना बनाया था।

By Dilip ShuklaEdited By: Published: Wed, 30 Jan 2019 05:19 PM (IST)Updated: Wed, 30 Jan 2019 10:33 PM (IST)
मेडिकल कोर्स में फर्जी नामांकन कराने वाले गिरोह का भंडाफोड़
मेडिकल कोर्स में फर्जी नामांकन कराने वाले गिरोह का भंडाफोड़

भागलपुर [जेएनएन]। महाराष्ट्र के पुणे से मेडिकल कोर्स में फर्जी नामांकन के बदले रुपये ठगने वाले अंतरराज्यीय गिरोह का भंडाफोड़ भागलपुर पुलिस ने किया है। इसमें शामिल दो ठगों को पुलिस ने पुणे से गिरफ्तार किया है। इसमें बेगूसराय के अकबरपुर, संभो गांव निवासी सौरभ कुमार और मटिहानी, सिहमा गांव निवासी एसके सिंह उर्फ सत्यम शामिल है। दोनों के पास से एक मोबाइल और मेडिकल का फर्जी नामांकन फार्म बरामद किया है। इस गिरोह में पटना, पूर्णिंया, बख्तियारपुर, समेत कई राज्यों के लोग शामिल हैं। यह जानकारी एसएसपी आशीष भारती ने प्रेसवार्ता के दौरान दी है।

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पांच जनवरी को डॉक्टर ने दर्ज कराई थी प्राथमिकी

घोघा जानडीह निवासी अमरनाथ सिंह ने पांच जनवरी को बेटे डॉ. अंकित कुमार प्रसून के पीजी एमएस आर्थोपेडिक कोर्स में नामांकन के नाम 35 लाख रुपये ठगी की प्राथमिकी घोघा चौकी में दर्ज कराई थी। ठगों ने भारतीय विद्यापीठ, सांगली, पुणे में नामांकन का आश्वासन दिया था। घटना की जानकारी होते ही एसएसपी आशीष भारती ने इसकी जांच के लिएकहलगांव एसडीपीओ मु. दिलनवाज अहमद के नेतृत्व में एक टीम गठित कर दी।

बगलुरू का रहने वाला राहुल सिंह हैं गिरोह का सरगना

पुलिस के मुताबिक अमरनाथ सिंह का बेटे के नामांकन के लिए बंगलुरू के राहुल कुमार से संपर्क हुआ। वह मूलरूप से पटना जिले के फतुहा का रहने वाला है। उसके पिता शैलेन्द्र सिंह है। राहुल ने डॉक्टर को आदमपुर में पैथोलैब चला रहे बेगूसराय निवासी प्रशांत कुमार उर्फ सोनी से संपर्क करने को कहा। संपर्क करने के बाद प्रशांत ने भी नामांकन का भरोसा दिया।

नब्बे लाख में हुई बात

अमरनाथ सिंह को राहुल और प्रशांत ने तीन वर्ष के कोर्स के लिए 90 लाख रुपये दो किश्तों में देने की बात कही। डील पक्की होने के बाद 31 मई 2018 को राहुल ने डॉक्टर के बेटे अंकित कुमार प्रसून को भारतीय विद्यापीठ, पुणे के परिसर में बुलाया। इसके बाद उससे एक फार्म भरवाकर छह लाख रुपये लिया। रुपये देते समय एसके सिंह उर्फ सत्यम और शिव कुमार साथ था। रसीद की बात पर उन लोगों ने नामांकन के बाद देने की बात कही।

शक होने पर मांगने लगे रुपये

राहुल ने अंकित को नामांकन के लिए पुणे बुलाया। वहां जाने के बाद उसने फिर नामांकन के पूर्व 18 जून एसके सिंह को तीन लाख और 27 जुलाई को राहुल ने पांच लाख रुपये खाते में मंगवाए। इसके बाद अमर नाथ सिंह ने कहा कि शेष राशि नामांकन के बाद लेने की बात कही। कुछ दिन बाद एसके सिंह और राहुल ने रुपये के लिए दबाव बनाना शुरू कर दिया। इन लोगों की बातचीत और रुपये मांगने के तरीके पर अमर नाथ को शक हुआ। जब इन्होंने रुपये वापस करने को कहा तो इन लोगों ने रुपये लौटाने से इंकार कर दिया। जब पुलिस से शिकायत की धमकी दी तो इन लोगों ने भारतीय विद्यापीठ सांगली द्वारा निर्गत 15 लाख रुपये की नामांकन रसीद दिया। मोबाइल पर एसएमएस भिजवाया। जांच के बाद पता चला कि रसीद और एसएमएस फर्जी है।

पुलिस ने बिछाया जाल

पुलिस इनकी गिरफ्तारी के लिए लगातार फिराक में थी। एसएसपी ने बताया कि एसके सिंह ने पूछताछ में बताया कि वह पुणे के तलेगांव में बावर्ची नाम का रेस्टोरेंट चलाता है। गिरोह में पूर्णियां का शिव कुमार, दीपक कुमार और सूरज शामिल हैं। राहुल का मोबाइल सौरभ के पास से मिला है। पूछताछ में ठगों ने बताया कि वे लोग वाट्सएप से आपस में बातचीत करते थे। वे लोग पुलिस से बचने के लिए ग्रुप वीडियो कॉल भी करते थे। गिरोह के अन्य सदस्यों के गिरफ्तारी के लिए छापेमारी कर रही है।


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