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विश्व रक्तदान दिवस : JLNMCH में खून का काला धंधा, यहां बेचा जाता है ब्लड

चिकित्‍सक दलाल नर्स और अस्‍पतालकर्मी की मिलीभगत से जेएलएमसीएच में ब्‍लड का खेल होता है। यहां खून की बिक्री की जाती है।

By Dilip ShuklaEdited By: Published: Fri, 14 Jun 2019 10:46 AM (IST)Updated: Fri, 14 Jun 2019 10:46 AM (IST)
विश्व रक्तदान दिवस : JLNMCH में खून का काला धंधा, यहां बेचा जाता है ब्लड
विश्व रक्तदान दिवस : JLNMCH में खून का काला धंधा, यहां बेचा जाता है ब्लड

भागलपुर [जेएनएन]। जवाहरलाल नेहरू चिकित्‍सा महाविद्यालय अस्‍पताल में खून के सौदागरों का काला धंधा बे-रोकटोक जारी है। पिछले एक वर्ष से इसमें तेजी आई है। एक यूनिट खून की कीमत पांच से 10 हजार रुपये तक लिए जा रहे हैं। अस्पताल प्रशासन द्वारा दलालों पर लगाम लगाने के निर्देश हवा हो गए। शंका यह भी जताई जा रही है कि डोनर कार्ड भी दो से पांच हजार रुपये तक में बेचे जा रहे हैं।

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दो माह में चार मरीजों को बेचा गया खून

मायागंज अस्पताल के विभिन्न विभागों में भर्ती चार मरीजों को खून बेचा गया। सर्जरी विभाग में सबौर थाना के प्रश्स्तडीह निवासी कूलो मंडल को इनडोर सर्जरी विभाग में भर्ती किया गया था। दलाल ने मरीज के परिजन को ब्लड बैंक तक भी नहीं जाने दिया और पांच हजार रुपये लेकर एक यूनिट ब्लड दे दिया। ब्लड बैग ब्लड बैंक जैसा ही है। हड्डी विभाग में भर्ती 60 वर्षीय फूलमणि देवी को एक यूनिट ब्लड देने के एवज में 10 हजार रुपये उसकी पोती ने दिलवाए। जब इसकी जांच होने लगी तो बताया गया कि राशि वापस कर दी गई है। उक्त विभाग में भर्ती जूली कुमारी को ब्लड देने के एवज में चाचा से पांच हजार रुपये लिए गए। 12 जून को ब्लड बैंक द्वारा शंका होने पर पूछताछ की गई तो दलाल को गिरफ्तार करवाया गया।

बिना जांच के नर्स चढ़ा रही रक्त

कई बार खून के दलाल पकड़े जाने पर अस्पताल प्रशासन द्वारा यह निर्देश दिया गया कि मरीज के लिए ब्लड बैंक से खून लेने अस्पताल के कर्मचारी परिजन के साथ आएंगे। खून चढ़ाने के पूर्व नर्स को यह कन्फर्म करना होगा कि खून ब्लड बैंक का ही है लेकिन अस्पताल अधीक्षक का निर्देश रद्दी की टोकरी में चला गया।

चिकित्सक भी हैं धंधे में शामिल

छह ग्राम से कम हीमोग्लोबीन रहने पर मरीज को ब्लड चढ़ाना अनिवार्य होता है। इसके लिए चिकित्सक बीएचटी पर 'अर्जेंट' लिखते हैं, लेकिन जिन मरीजों का हीमोग्लोबीन नौ ग्राम है, उसके बीएचटी पर भी अर्जेंट लिख दिया जाता है। अस्पताल अधीक्षक ने कहा कि ज्यादातर इंटर्न ऐसा करते हैं। ऐसे मरीजों को तुरंत खून नहीं दिया जाता है।

डोनर कार्ड भी बेचा जा रहा

डोनर द्वारा भी कार्ड बेचने की आशंका जताई गई है। बताया गया कि एक यूनिट खून के लिए दो हजार से लेकर पांच हजार रुपये में डोनर कार्ड बेचा जा रहा है। 21 अप्रैल को ब्लड बैंक से यह जानकारी दी गई कि जिन संस्थाओं द्वारा रक्तदान शिविर लगाए जाते हैं, अधिकांश संस्था के पदाधिकारी 70 फीसद रक्त वापस ले लेते हैं। इससे ब्लड बैंक में ब्लड की कमी हो जाती है। तय यह हुआ कि संस्था के अधिकारी को डोनर कार्ड नहीं दिया जाएगा। संस्था के द्वारा जो व्यक्ति रक्तदान करेगा उसे ही डोनर कार्ड मिलेगा।

जूली को नहीं मिला खून
मायागंज अस्पताल के हड्डी रोग विभाग में भर्ती 12 वर्षीय जूली कुमारी को खून नहीं मिला। 12 अप्रैल को एक यूनिट खून देने के बदले पांच हजार रुपये जूली के पिता जोगिंदर मंडल से भाई ने लिया था। डोनर द्वारा एक यूनिट खून भी दिया गया। पूछताछ के दौरान मरीज का नाम नहीं बता पाने पर शंका हुई। दोनों को पुलिस के हवाले किया गया। खून नहीं मिलने की स्थिति में जूली के पिता को भय है कि कही बेटी को चिकित्सक अस्पताल से छुट्टी ना दे दे। जूली का दाहिना पैर फैक्चर है। अस्पताल अधीक्षक ने कहा कि शुक्रवार को ओ पॉजेटिव खून जूली को मिल जाएगा।

डॉ. आरसी मंडल (अधीक्षक, जेएलएनएमसीएच) ने कहा कि विभागाध्यक्षों एवं प्रभारियों की बैठक बुलाकर दलाल अस्पताल में नहीं आए इसकी व्यवस्था की जाएगी।

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