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Bhagalpur Lok Sabha : पहले गुटबाजी... अब सीटों के बंटवारे में हारी भाजपा

2010 के बाद भागलपुर भाजपा के खाते में तीन विधायक और एक सांसद थे। उस समय भाजपा का स्वर्णिम युग था। 2014-15 के बाद से भाजपा की झोली में जो भी जनप्रतिनिधि थे वे हारते चले गए।

By Dilip ShuklaEdited By: Published: Thu, 21 Mar 2019 12:49 PM (IST)Updated: Fri, 22 Mar 2019 10:07 AM (IST)
Bhagalpur Lok Sabha : पहले गुटबाजी... अब सीटों के बंटवारे में हारी भाजपा
Bhagalpur Lok Sabha : पहले गुटबाजी... अब सीटों के बंटवारे में हारी भाजपा

भागलपुर [राम प्रकाश गुप्ता]। पिछले पांच वर्षों से भाजपा का प्रतिनिधित्व संसद और विधानसभा में नहीं था। 2014 का लोकसभा चुनाव हारने के बाद संसद में भागलपुर से भाजपा का प्रतिनिधित्व समाप्त हो गया था। ठीक इसके एक वर्ष बाद 2015 में जब विधानसभा का चुनाव हुआ तो इस सदन में भागलपुर जिले का प्रतिनिधित्व ही खत्म हो गया। कार्यकर्ताओं को उम्मीद थी कि 2019 के लोकसभा चुनाव में भागलपुर से भाजपा की आवाज संसद में गूंजेगी। टिकट बंटवारे के बाद इसमें पानी फिर गया। लोकसभा की यह सीट जदयू के खाते में चली गई। अब अगले पांच वर्षों तक संसद में भाजपा का कोई प्रतिनिधि नहीं दिखाई देगा। भाजपा कार्यकर्ता टिकट बंटवारे से न केवल दुखी हैं बल्कि नेतृत्व से नाराज भी हैं।

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लोकसभा चुनाव में भाजपा को सफलता मिले, इसके लिए कार्यकर्ता पिछले छह माह से मेहनत और संगठन को मजबूत करने में लगे थे। भाजपा ने बूथ स्तर तक अपने लिए संगठन तैयार किया था। बूथ, टोला और शक्ति केंद्र स्तर तक कार्यकर्ताओं की फौज तैयार की थी। हाल के दिनों में यहां चार जिले के शक्ति केंद्र प्रभारियों का सम्मेलन भी हुआ था। जिसमें प्रदेश अध्यक्ष नित्यानंद राय और संगठन मंत्री नागेंद्र नाथ सहित अन्य नेता आए थे। पीरपैंती से सुल्तानगंज तक प्रतिदिन संगठन का कोई न कोई कार्यक्रम हो रहा था। जिला प्रभारी और जिला टीम लगातार अपनी सक्रियता दिखा रही थी। भाजपा ने एक और काम किया था। जो रूठे हुए थे, उनको मना लिया था तथा पूर्व के चुनाव में जिन्हें पार्टी से निकाला गया था, उन्हें वापस ले लिया गया था।

भागलपुर में 1998 से भाजपा अकेले लगातार लोकसभा चुनाव लड़ रही है। 1998 में भाजपा ने पहला सांसद प्रभाष चंद्र तिवारी दिया। उसके बाद सुशील कुमार मोदी और शाहनवाज हुसैन को पार्टी ने लोकसभा पहुंचाया। विधानसभा में भागलपुर से अश्विनी कुमार चौबे लगातार करीब 19 वर्षों तक विधायक रहे। 2014 में बक्सर से चौबे के लोकसभा चुनाव जीतने के बाद भाजपा का प्रतिनिधित्व यहां समाप्त हो गया।

2010 के चुनाव में भाजपा को बिहपुर और पीरपैंती में सफलता मिली थी। बिहपुर से कुमार शैलेंद्र और पीरपैंती से अमन कुमार विधानसभा जीते थे। 2010 के बाद भागलपुर भाजपा के खाते में तीन विधायक और एक सांसद थे। उस समय भाजपा का स्वर्णिम युग था। 2014-15 के बाद से भाजपा की झोली में जो भी जनप्रतिनिधि थे, वे हारते चले गए। पहले भाजपा अपनी गुटबाजी से चुनाव हारी। अब भाजपा सीटों के बंटवारे में हारी।


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