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बिहार: लोगों की जातियों पर मुहर नहीं लगा रहे अधिकारी, शादियां तो किसी तरह हो जाती हैं लेकिन जनगणना कैसे होगी? अनोखा मामला

बिहार में जातिगत जनगणना कराने का ऐलान किया जा चुका है लेकिन यहां एक गांव ऐसा है जहां के 30 परिवारों के वंश का जाति खतियान में कोई जाति नहीं है। ऐसा अधिकारियों का कहना है। पढ़ें Unique Case...

By Shivam BajpaiEdited By: Published: Sun, 03 Jul 2022 11:01 PM (IST)Updated: Mon, 04 Jul 2022 11:47 AM (IST)
बिहार: लोगों की जातियों पर मुहर नहीं लगा रहे अधिकारी, शादियां तो किसी तरह हो जाती हैं लेकिन जनगणना कैसे होगी? अनोखा मामला
बिहार में जातिगत जनगणना के ऐलान के बाद सामने आया अनोखा मामला...

उपेंद्र कुमार, परबत्ता (खगड़िया): बिहार में जातिगत जनगणना का ऐलान किया जा चुका है लेकिन उनका क्या जिनकी जाति ही सरकारी रिकार्ड मे न हो? खगड़िया में एक ऐसा ही गांव कज्जलवन है, जीएन तटबंध से सटे इस गांव में 30 बहेलिया परिवार बसते हैं। पिछले एक दशक से इस जाति के लोग प्रमाण पत्र को लेकर दर-दर की ठोकरें खा रहे हैं। जाति प्रमाण पत्र नहीं मिलने के कारण इन्हें कई तरह की परेशानी झेलनी पड़ रही है। इन लोगों का कहना है कि वे अनुसूचित जाति से हैं। अनुसूचित जाति को मिलने वाली योजनाओं का लाभ भी इन्हें नहीं मिल रहा है। लेकिन अधिकारी कहते हैं कि उनका जो वंश है, वो जाति खतियान में किसी जाति को अंकित नहीं करता है।

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यहां के सुरेंद्र राय, नगीना राय, अमीर राय, उगनदेव राय आदि बताते हैं कि 2013 में तत्कालीन परबत्ता सीओ के समय से ही उनलोगों को अनुसूचित जाति का प्रमाण-पत्र देना बंद कर दिया गया था। उस समय के सीओ ने यह कह कर प्रमाण-पत्र देने से इंकार कर दिया कि उनके वंशज की जाति खतियान में नहीं है। जबकि पूर्व में अनुसूचित जाति का प्रमाण पत्र मिलता था। ये कहते हैं- हमलोग अभी भी पासवान जाति में शादी-विवाह करते हैं। जाति प्रमाण पत्र को लेकर यहां के लोगों का संघर्ष जारी है।

तरह-तरह की उठानी पड़ रही है परेशानी

कज्जलवन के दिनेश राय कहते हैं, 'वर्ष 2013 में परबत्ता के तत्कालीन सीओ चितरंजन चौधरी के समय से उनलोगों को जाति प्रमाण पत्र मिलना बंद हो गया है। जबकि हमलोगों के वंशज का खतियान में जाति दुसाध अंकित है। अब जाति प्रमाण पत्र नहीं रहने से कई तरह के योजनाओं के लाभ से वंचित हैं।'

75 वर्षीय ज्योतिष राय ने बताया कि सुमित कुमार वर्ष 2014 में इंटर की परीक्षा पास की। लेकिन जाति प्रमाण पत्र के अभाव में बीए में नामांकन नहीं ले सका। सुदामा कुमार को इसके अभाव में नौकरी नहीं हो सकी।

दूसरी ओर उगनदेव राय के पुत्र अमरेश कुमार को वर्ष 2010 में अनुसूचित जाति का प्रमाण पत्र अंचल कार्यालय से निर्गत किया गया। वर्ष 2011 में भी नगीना राय के पुत्र चिरंजीव कुमार को अनुसूचित जाति का प्रमाण पत्र निर्गत किया गया। इन लोगों के अनुसार वे दुसाध जाति से आते हैं, जिसकी उपजाति बहेलिया है। इसमें अन्य उपजाति मगहिया ढांरी, हाजरा पट्ठवे, कठौतिया आदि शामिल हैं। इस प्रकार से 10 उप जातियां हैं।

  • 10 साल से जाति प्रमाण पत्र के लिए भटक रहे 30 परिवार
  • लोगों का कहना है कि वे अनुसूचित जाति से आते हैं
  • 2013 में तत्कालीन सीओ ने कहा कि इनके वंशज की जाति खतियान में नहीं
  • 2013 से नहीं मिल रहा है जाति प्रमाण पत्र
  • प्रमाण पत्र नहीं मिलने से कई लाभ से हैं वंचित
  • परबत्ता सीओ ने कहा- पुराना मामला है

मामले पर परबत्ता सीओ अंशु प्रसून का कहना है कि बिहार सरकार की जाति की सूची में इन लोगों की जाति अंकित नहीं है। पूर्व से इनका जाति प्रमाण पत्र नहीं बनाया जा रहा है। यह पुराना मामला है। इसकी जांच चल रही है। करीब एक दशक से यह मामला चला आ रहा है। वहीं, गोगरी एसडीओ अमन कुमार सुमन कहते हैं कि मामला जांच में है। मैंने कज्जलवन जाकर लोगों से बात की है। कागजों का अवलोकन किया जा रहा है।


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