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बिहार की लचर स्वास्थ्य व्यवस्था, जेएलएनएमसीएच में पेट दर्द से तड़प-तड़प कर बच्चे ने तोड़ा दम

स्वास्थ्य विभाग की लचर व्यवस्था के कारण जेएलएनएमसीएच में एक बच्चे की मौत हो गई। पेट दर्द से छटपटा रहे छह वर्ष के बच्चे को चिकित्सक ने अस्पताल के इमरजेंसी में भर्ती नहीं कर उसे पटना ले जाने के लिए कहा। वहीं...

By Abhishek KumarEdited By: Published: Mon, 20 Sep 2021 09:18 PM (IST)Updated: Mon, 20 Sep 2021 09:18 PM (IST)
बिहार की लचर स्वास्थ्य व्यवस्था, जेएलएनएमसीएच में पेट दर्द से तड़प-तड़प कर बच्चे ने तोड़ा दम
स्वास्थ्य विभाग की लचर व्यवस्था के कारण जेएलएनएमसीएच में एक बच्चे की मौत हो गई।

जागरण संवाददाता, भागलपुर। जवाहरलाल नेहरू चिकित्सा महाविद्यालय अस्पताल (जेएलएनएमसीएच) में हर दिन मानवता दम तोड़ रही है। पेट दर्द से छटपटा रहे छह वर्ष के बच्चे को चिकित्सक ने अस्पताल के इमरजेंसी में भर्ती नहीं कर उसे पटना ले जाने के लिए कहा। मां अपने कलेजे के टुकड़े को भर्ती करने के लिए चिकित्सक का पैर पकड़कर गुहार लगाती रही, लेकिन फिर भी उसका दिल नहीं पसीजा। अंतत: पटना ले जाने के दौरान ही बच्चे की लखीसराय के समीप ही मौत हो गई।

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जवाहरलाल नेहरू चिकित्सा महाविद्यालय अस्पताल की घटना, मुंगेर जिला के तारापुर मकवा जोरारी का था बच्चा

- बच्चे की मां पैर पकड़कर भर्ती करने के लिए गिड़गिड़ाती रही पर नहीं पसीजा चिकित्सक का दिल

- अधीक्षक ने कहा- मामला गंभीर है, होगी कार्रवाई

मुंगेर जिला के जोरारी निवासी विनय कुमार ङ्क्षसह अपने छह वर्षीय पुत्र आदर्श कुमार को रविवार की रात करीब 11.40 बजे अस्पताल के इमरजेंसी में लेकर पहुंचे। उनका पुत्र पेट दर्द से तड़प रहा था। उस वक्त शिशु विभाग के पीजी छात्र डा. दिनेश पासवान ड्यूटी पर थे। उन्होंने कहा कि यहां इलाज की सुविधा नहीं है। इसलिए बच्चे को पटना ले जाएं। बच्चे की मां भर्ती करने के लिए पैर पकड़कर गिडगिड़ाती रही, फिर भी उसे भर्ती नहीं किया गया। अंतत: पटना ले जाने के दौरान रास्ते में ही बच्चे की मौत हो गई।

शिशु विभाग के अध्यक्ष डा. केके सिन्हा ने कहा कि मामला सर्जरी विभाग का था। उस वक्त ड्यूटी कर रहे शिशु विभाग और सर्जरी के डाक्टरों को आपस में बात करनी चाहिए थी। शिशु विभाग में उस वक्त डा. दिनेश की ड्यूटी थी। बच्चे को भर्ती करना चाहिए था। वहीं, इसकी जानकारी मिलने पर सुल्तानगंज के पार्षद दीपांकर प्रसाद ने अस्पताल अधीक्षक से इस लापरवाही पर बात की। उन्होंने कहा कि इस मामले की छानबीन के लिए अस्पताल अधीक्षक को आवेदन भी दिया जाएगा।

मामला गंभीर है। पहले बच्चे को भर्ती करना चाहिए था। सर्जरी और शिशु विभाग के विभागाध्यक्ष से इस मामले की जानकारी ली जाएगी। साथ ही उस रात इमरजेंसी में ड्यूटी करने वाले सर्जरी और शिशु विभाग के डाक्टरों से भी स्पष्टीकरण पूछा जाएगा। - डा. असीम कुमार दास, अधीक्षक, जेएलएनएमसीएच  


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