मुखिया-सरपंच के मानदेय का मामला सदन में गूंजा, सदस्यों ने गिनाए कहां-कहां हो रही परेशानी
Bihar Politics पंचायत प्रतिनिधियों को समय पर वेतन नहीं मिलने का मामला विधान परिषद में गूंजा है। एमएलसी डॉ दिलीप कुमार जायसवाल ने इस ओर सरकार का ध्यान आकृष्ट कराया है। साथ ही इसकी समस्याओं से अवगत कराया है।
संवाद सहयोगी, किशनगंज। बिहार विधान परिषद में बुधवार को विधान परिषद सदस्य डॉ. दिलीप कुमार जायसवाल ने पंचायती राज के जनप्रतनिधियों के मानदेय भुगतान का मुद्दा उठाया। उन्होंने सदन के माध्यम से सरकार से मांग करते हुए कहा कि पंचायती राज व्यवस्था को सुचारू रूप से चलाने के लिए चुने हुए जनप्रतिनिधियों के लिए मानदेय का प्रावधान किया गया है। लेकिन वर्षाें से मुखिया, सरपंच, पंचायत समिति सदस्य, जिला परिषद सदस्य, वार्ड सदस्य आदि को मानदेय नहीं मिल पा रहा है। इनके जल्द भुगतान का प्रयास किया जाय।
विधान पार्षद सह भाजपा के प्रदेश कोषाध्यक्ष ने खासकर पूर्णिया, अररिया व किशनगंज जिले के जनप्रतिनिधियों को भुगतान का मामला उठाया। उन्होंने कहा कि सरकार के द्वारा जिला में राशि भेज दी जाती है। जब सरकार या मंत्री के द्वारा दबाब बनाया जाता है तो डीडीसी व संबंधित पदाधिकारी उस पैसे को प्रखंड में भेजते हैं। इसके बाद फिर मामला ठंडे बस्ते में डाल दिया जाता है। स्थिति यह है कि 2014-15 का भुगतान आज तक नहीं हो पाया है। जबकि उस वक्त के जनप्रतिनिधियों का कार्यकाल भी पूरा हो चुका है। वर्तमान में भी यही स्थिति है। ऐसे में जब जनप्रतिनिधि स्वयं भूखे रहेंगे तो विकास का काम तेजी से कैसे हो पाएगा। जिला स्तर से लेकर प्रखंड स्तरीय पदाधिकारियों की लापरवाही की वजह से मानदेय का भुगतान नहीं होना गंभीर मामला है। इसपर संज्ञान लिया जाना चाहिए। उन्होंने प्रखंड वार किस किस तिथि में भुगतान किया गया है, इसकी सदन में मांग की।
जिसपर विभागीय मंत्री सम्राट चौधरी ने कहा कि पूर्णिया जिले में 54 महीने का मानदेय स्थानांतरित किया जा चुका है। मात्र छह माह का भुगतान बाकी है। इसी तरह अररिया जिले में 52 माह का स्थानांतरित किया गया है, आठ माह का बाकी है। वहीं किशनगंज मेंं भी 54 माह का स्थानांतरित किया जा चुका है, यहां भी छह माह का बाकी है। विलंब से भुगतान करने वाले संबंधित पदाधिकारियों की लापरवाही पर दंडित करने का निर्देश दिया गया है।