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बिहार के भागलपुर में दिलफेंक दारोगा बाबू को लगी शक की बीमारी, पत्‍नी को घर में बंद कर जाते हैं ड्यूटी

बिहार के भागलपुर में तैनात एक दारोगा के इश्क के चर्चे सबकी जुबान पर है पर सबने जुबान पर ताला लगा रखा है। दारोगा बाबू दिलफेंकी में माहिर हैं। उनकी जुबान से अपशब्‍द भी उतनी ही तेज निकलती है। पत्‍नी को भी प्रताडित करते हैं।

By Dilip Kumar ShuklaEdited By: Published: Thu, 17 Jun 2021 10:35 AM (IST)Updated: Thu, 17 Jun 2021 11:12 AM (IST)
बिहार के भागलपुर में दिलफेंक दारोगा बाबू को लगी शक की बीमारी, पत्‍नी को घर में बंद कर जाते हैं ड्यूटी
भागलपुर के दारोगा को शक की बमारी लगी।

जागरण संवाददाता, भागलपुर। भागलपुर जिले के ग्रामीण इलाके में तैनात एक दारोगा बाबू के इश्क के चर्चे इनदिनों महकमे में सबकी जुबान पर है, पर सबने जुबान पर ताला लगा रखा है। ऐसा इसलिए कि दारोगा बाबू दिलफेंकी में जितने माहिर हैं, उनकी जुबान से गालियां भी उतनी ही तेज निकलती। इन दिनों वह अपने तीन कमरे वाले आवासीय परिसर के मुख्य द्वार पर ताला जड़ कर ड्यूटी पर जाने लगे हैं। सर्वाधिक सुरक्षित क्षेत्र में उनका आवासीय परिसर है लेकिन शक्‍की स्वभाव के दारोगा बाबू प्रवेश द्वार पर ताला लगा कर ही ड्यूटी पर जाते हैं। सप्ताह में एक दिन ग्रामीण इलाके से अपने आवास पर आते और परिवार का राशन-सब्जी खरीद कर चले जाते।

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इस दौरान आवासीय परिसर में ही पत्नी और बच्चे चक्कर लगा कर रह जाते। आवासीय परिसर से कोई बाहर नहीं जा सकता। पड़ोस में रहने वाले 2008 बैच के एक पुलिसकर्मी ने एक बार रविवार को दारोगा जी के आवास के द्वार पर खड़ी हो कुछ जरूरी संवाद कर ही रही थी कि दारोगा जी अचानक ड्यूटी से लौट प्रकट हो गए। फिर तो कोहराम मच गया। काफी बवाल किया। शकी दारोगा ने उक्त पुलिसकर्मी पर गालियों की बौछार कर दी। दो महिला पुलिसकर्मी के बीच-बचाव पर वह पिटाई खाने से बच गया था। यह तो बाहर की बानगी थी। अपने आवास में अंदर प्रवेश करते ही दारोगा बाबू ने महाभारत मचा दी। पत्नी की बेरहमी से पिटाई कर डाली।

बात वरीय पुलिस अधिकारियों तक नहीं पहुंचे इसके लिए कुछ देर बाद ही सामान्य होने का दिखावा करने के लिए बच्चे के साथ आवास से बाजार ले गए। दारोगा बाबू के आचरण और व्यवहार-विचार के कारण अबतक प्रोन्नति पर ग्रहण लगा हुआ है। उनके बैच के अन्य दारोगा प्रोन्नत होकर दूसरे जगहों पर तैनाती का सुख भोग रहे हैं। शकी स्वभाव के दारोगा जी को आज तक थानेदारी नहीं मिली है। इनके साथी इनके इस स्वभाव के कारण दूरी बनाकर रहने लगे हैं।


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