बिहार पंचायत चुनाव 2021: मुखिया की तरह होगा सरपंच का भी दिलचस्प मुकाबला, बढ़ी भूमिका
बिहार पंचायत चुनाव 2021 बिहार में पहले मुखिया पद के लिए मारामारी होती थी। अब सरपंच पद भी अहम हो गया है। विकास कार्यों में भी होगी सरपंच की भूमिका पूर्व में सरपंच की नहीं थी दखलंदाजी। पहले होती थी मुखिया पद के लिए मारामारी अब सरपंच पद भी अहम।
जागरण संवाददाता, सुपौल। पंचायती राज व्यवस्था के तहत ग्राम कचहरी के सरपंच के अधिकारों में सरकार ने इजाफा क्या किया कि आसन्न पंचायत चुनाव में इस पद के लिए उम्मीदवारों की बाढ़ सी आ गई है। कोई ऐसी पंचायत नहीं जहां सरपंच की उम्मीदवारी में पहले से इजाफा देखी नहीं जा रही है जबकि इससे पूर्व के पंचायत चुनाव में मुखिया का ही पद अहम माना जाता था। इसकी वजह थी कि पंचायत में मुखिया का रुतबा और उनको सरकार द्वारा अधिकार भी दिए गए थे जिसके कारण मुखिया पद के लिए सबसे ज्यादा मारामारी होती थी। इस बार पंचायती राज में बदलाव और सरपंच के शक्तियों में की गई बढ़ोतरी के कारण इस पद को लेकर भी लोगों में खासी दिलचस्पी दिख रही है।
दरअसल सरकार ने आसन्न पंचायत चुनाव की अधिसूचना जारी करने से ठीक पहले पंचायती राज में बड़ा बदलाव का एलान किया जिसमें ग्राम कचहरी के सरपंच के शक्तियों में इजाफा किया गया। कई तरह के विकास कार्यों में भी सीधे तौर पर इनकी भूमिका सुनिश्चित कर दी गई है जिससे इस चुनाव में सरपंच का पद भी अब महत्व पूर्ण हो चुका है। इससे पूर्व सरपंच की दखलंदाजी विकास कार्यों में नहीं थी, न्याय व्यवस्था तक ही सीमित रहने के कारण सिर्फ गिने-चुने लोग ही इस पद के लिए उम्मीदवारी देते थे। लोगों का मानना था कि आखिर सरपंच बन ही गए तो इससे 5 वर्ष में मिलने वाला ही क्या है। अपने घर की दाल रोटी खाकर दिन भर लोगों के बीच के विवादों को सिर्फ सुलझाना उसमें भी अधिकार सीमित होने के कारण बड़ा फैसला भी नहीं ले सकते। अब इनकी शक्तियों को बढ़ाए जाने के कारण इस पद के लिए लोगों की दिलचस्पी बढऩे लगी है। परिणाम है इस बार मुखिया की तरह सरपंच पद का मुकाबला भी काफी दिलचस्प होने वाला है।
सरपंच की शक्तियों में किया गया है इजाफा
इससे पहले सरपंच को ग्राम कचहरी के माध्यम से गांव के छोटे-मोटे झगड़ा को सुलझाने तक की शक्ति मिली हुई थी। अब सरपंच के इस अधिकार में इजाफा किया गया है अब इनके जिम्मे सड़कों के रखरखाव से लेकर ङ्क्षसचाई की व्यवस्था, पशुपालन व्यवसाय को बढ़ाने जैसी जिम्मेवारी रहेगी। इसके अलावा ग्राम सभा और पंचायतों की बैठक बुलाने के अलावा पंचायतों के विकास कार्यों के लिए दी गई राशि की निगरानी करने के साथ-साथ ग्राम पंचायत के विकास कार्य योजना बनाने एवं प्रस्ताव को लागू करने की जिम्मेदारी भी इनके जिम्मे होगी। ग्राम पंचायत की अन्य योजनाओं पर भी ध्यान रखने की शक्ति इन्हें प्रदान की गई है।
वार्ड सदस्य बनने को भी मची है होड़
इस बार के पंचायत चुनाव में मुखिया और सरपंच के बाद किसी पद को लेकर मारामारी है तो वह है वार्ड सदस्य। दरअसल गत पंचवर्षीय काल में सरकार ने अपनी ड्रीम योजना हर गली पक्की सड़क योजना में वार्ड सदस्यों की भूमिका सीधे तौर पर सुनिश्चित की थी। इसमें वार्ड क्रियान्वयन समिति के माध्यम से योजना को पूरा किया जाना था। वार्ड सदस्यों को मिले इस अधिकार से इस चुनाव में वार्ड सदस्य बनने को लेकर भी काफी होड़ मची हुई है। एक तो निर्वाचन क्षेत्र छोटा होने के कारण इस चुनाव को लडऩे में खर्च भी कम पड़ता है और योजना में सीधे-सीधे हस्तक्षेप रहने के कारण कमाई भी अच्छी खासी हो जाती है परिणाम है कि वार्ड सदस्य बनने के लोगों में होड़ मची हुई है।