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बिहार पंचायत चुनाव 2021: वोट देने के लिए टाला पिता का अंतिम संस्‍कार, पहले लगाई अंगुली पर स्‍याही, फ‍िर दी मुखाग्नि

बिहार पंचायत चुनाव 2021 खगडि़या के सदर प्रखंड में आज चुनाव हो रहा था। लाभगांव पंचायत की नोनिया टोला निवासी एक व्‍यक्ति‍ का इसी दिन निधन हो गया। पुत्र से सोचा कि अगर हम दाह संस्‍कार करने जाएंगे तो मतदान छूट जाएगा। इसलिए पहले मतदान किया फ‍िर दाह संस्‍कार।

By Dilip Kumar ShuklaEdited By: Published: Mon, 15 Nov 2021 10:46 PM (IST)Updated: Mon, 15 Nov 2021 10:46 PM (IST)
बिहार पंचायत चुनाव 2021: वोट देने के लिए टाला पिता का अंतिम संस्‍कार, पहले लगाई अंगुली पर स्‍याही, फ‍िर दी मुखाग्नि
खगडिय़ा में मतदान के बाद पिता की अर्थी को कंधा देते चार भाई।

खगडिय़ा [चंदन चौहान]। बिहार में लगातार अभी पंचायत चुनाव चल रहा है। बारी-बारी से हरेक जिलों के विभिन्‍न प्रखंडों में चुनाव हो रहे हैं। मतदान और मतगणना की प्रक्रिया चल रही है। इस बीच मतदान की एक रोचक तस्‍वीर खगडि़या से सामने आ रही है। कहा जा रहा है कि यहां एक युवक ने पहले मतदान किया और बाद अपने पति का अंतिम संस्‍कार किया। उनके पिता का निधन हो गया था।  इस घटना की चर्चा हर ओर हो रही है।

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जानकारी के अनुसार खगडि़या के सदर प्रखंड के लाभगांव पंचायत की नोनिया टोला निवासी 91 वर्षीय कुंवर महतो का निधन रविवार की देर रात हो गया। सोमवार की सुबह गांव की सरकार चुनने के लिए मतदान होना था। स्व. कुंवर महतो के चार बेटे उमा शंकर महतो, रमा शंकर महतो, शिव शंकर महतो और रवि शंकर महतो असमंजस में थे कि एक तरफ मतदान है और दूसरी तरफ पिता का दाह संस्कार करना है।

अगर दाह संस्कार करने गंगा घाट निकलते हैं तो उधर से लौटने में शाम हो जाएगी। जिससे वह गांव की सरकार बनाने के लिए अपने मताधिकार का प्रयोग नहीं कर पाएंगे और पांच सालों तक इसकी टीस बनी रहेगी। परिवार के सभी सदस्यों ने पहले मतदान का फैसला लिया। पहले मतदान केंद्र पर जाकर अपने अपने मताधिकार का प्रयोग किया। उसके बाद पिता के अर्थी को कंधा दिया। इसकी चहुं ओर चर्चा है।

कुंवर महतो के पुत्रों ने बताया कि यह आसान काम नहीं था। लेकिन हमलोगों ने फैसला लिया, पहले गांव की सरकार चुनने जाएंगे। इससे पिताजी की आत्मा को भी शांति मिलेगी। पिताजी खुशहाल गांव देखना चाहते थे। लोगों ने कुंवर महतो के पुत्रों के इस हौसले को सलाम किया है। लाभगांव पंचायत की दिलीप कुमार सिंह ने कहा कि पांच वर्षों में अपने मताधिकार का प्रयोग कर गांव की सरकार चुनने का मौका मिलता है। स्मृति शेष कुंवर महतो के स्वजनों की हिम्मत और निर्णय का स्वागत करते हैं।


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