Move to Jagran APP

बिहार : जमालपुर में कचरे से बनेगा खाद, न बिजली की जरूरत और न ही मानव बल, 12 बायो कंपोस्टर लगाए जाएंगे

बिहार बेहतर तरीके से खाद बनाने का हुआ काम प्रत्येक वार्ड में लगेगा कंपोस्टर। न बिजली की जरूरत और न ही मानव बल की। 10 स्क़्वायर फीट जमीन की पड़ती है जरूरत। एक बायो में कंपोस्ट में तीन खाने हैं। 1.5 एमटी कचरा रखने की है क्षमता।

By Dilip Kumar ShuklaEdited By: Published: Mon, 27 Jun 2022 11:16 AM (IST)Updated: Mon, 27 Jun 2022 11:16 AM (IST)
बिहार : जमालपुर में कचरे से बनेगा खाद, न बिजली की जरूरत और न ही मानव बल, 12 बायो कंपोस्टर लगाए जाएंगे
बिहार : मुंगेर के जमालपुर में कचरे से बनेगा खाद।

राज सिन्हा, जमालपुर (मुंगेर)। नगर परिषद क्षेत्र में कचरे की दुर्गंध से जहां लोग परेशान होते थे साथ ही बरसात के मौसम में बीमारियों का घर होने की मुख्य वजह था, वही अब खेती के लिए लाभदायक सिद्ध होगा। शहर से निकलने वाले कचरे का स्थायी समाधान निकाल कर नप प्रशासन ने फैसला लिया है लिया है।

loksabha election banner

नगर परषिद ने गीला कचरा से जैविक खाद बनाने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। शहर से निकलने वाले कचरे से जैविक खाद बनाने के लिए बारह एरोबिक बायो कंपोस्टर लगाए गए हैं। इसके लगने से कचरे से जैविक खाद तैयार की जाएगी। किसानों को कम से कम दामों पर खाद उपलब्ध होगा। नगर परिषद प्रशासन का मानना है कि यह प्रयास सफल रहा तो सभी वार्डों में कंपोस्टर लगाए जाएंगे।

कंपोस्टर से जैविक खाद बनाने के लिए न बिजली की जरूरत होगी और न मानव बल की। कंपोस्टर में कचरा रखने के 21 दिन बाद खाद तैयार हो जाएगा। एक कंपोस्टर काे रखने के लिए महज 10 स्क्वायर फीट जमीन की जरूरत है। एक कंपोस्टर लगाने पर दो लाख रुपये का खर्च है।

एक कंपोस्टर से डेढ़ एमटी खाद होगा तैयार

एरोबिक बायो कंपोस्टर में तीन खाने हैं। हरेक खाने की क्षमता 500 क्विंटल है। तीनों खानों में 1.5 एमटी कचरा रखा जाएगा। औसतन एक कंपोस्टर में लगभग दो सौ घरों का गीला कचरा का निष्पादन होगा। गीला कचरे से कंपोस्ट खाद के निर्माण के लिए लगाए गए एरोबिक बायो कंपोस्टर लगाने में ज्यादा जगह की जरूरत नहीं होती है। इससे किसानों को काफी फायदा होगा। उन्हें कम कीमत पर खेतों के लिए खाद उपलब्ध होंगे। नगर परिषद को राजस्व में भी इजाफा होगा।

घर-घर जाकर किया जाएगा जागरूक

एरोबिक बायो कंपोस्टर लगने के बाद हर घर से उठाने वाले कचरे को हाउसहोल्डर से सूखे व गीले कचरे को अलग-अलग डब्बे में रखने के लिए घर-घर जाकर एसएचजी की महिलाएं जागरूक करेंगी। इससे सूखा और गीला कचरा अलग-अलग निष्पादन हो सके। बेहतर तरीके से संचालित करने के लिए नगर परिषद कर्मियों को इसके लिए प्रशिक्षण दिया गया है।

एरोबिक बायो कंपोस्टर लगाने के लिए कर्मियों को प्रशिक्षण दिया गया है। अभी बारह जगहों पर लगाया गया है। शहर के सभी वार्डों में भी लगाने का लक्ष्य है। एक कंपोस्टर पर दो लाख रुपये का खर्च आता है। होल्डिंग धारकों से अपील है कि गीला व सूखे कचरे को अलग-अलग रखें। वहीं वर्तमान एनजीओ का कार्य संतोषप्रद नहीं होने के कारण नए एनजीओ को मौका दिया जा रहा है। - पूजा माला, नगर कार्यपालक पदाधिकारी, जमालपुर नगर परिषद।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.