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Bihar Elections 2020: कोसी का अपना मिजाज है साहब...

Bihar Elections 2020 कोसी में हमेशा से लोगों की अपेक्षा के उलट परिणाम आता है। यही स्वभाव इस माटी के जनमानस में परिलक्षित होता रहा है। इस बार भी लोग कुछ इसी तरह के कयास लगा रहे हैं।

By Abhishek KumarEdited By: Published: Sun, 08 Nov 2020 11:14 PM (IST)Updated: Sun, 08 Nov 2020 11:14 PM (IST)
Bihar Elections 2020: कोसी का अपना मिजाज है साहब...
कोसी इलाके के मतदाताओं को रुख हमेशा से अलग रहा है।

सुपौल [भरत कुमार झा]। कोसी का अपना मिजाज है साहब। कभी लहरों को मोड़ देती है तो कभी सुरक्षा घेरों को तोड़ देती है। इसलिए तो अल्हड़, मदमस्त आदि विशेषणों से अलंकृत है। यही स्वभाव इस माटी के जनमानस में परिलक्षित होता रहा है। तभी न 2014 का लोकसभा चुनाव जब पूरे देश में भाजपा और मोदी की लहर मानी गई तो यहां के जनमानस ने उन लहरों को भी नकार दिया था और कांग्रेस की रंजीत रंजन को जनादेश दिया था। जबकि मैदान में भाजपा, जदयू और कांग्रेस तीनों के प्रत्याशी जमे थे।

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अधिकांश समय सत्ता के विपरीत चली धारा

भारतीय लोकतंत्र के इतिहास को पलटते हैं तो 1952 और 57 में जब कांग्रेस को बहुमत मिला तो कोसी ने भी उनका साथ दिया था। लेकिन 1962 के चुनाव में देश की जनता ने कांग्रेस को ही जनादेश दिया और कोसी ने लहरों के विपरीत प्रजा सोशलिस्ट पार्टी को अपना मत दिया और भूपेंद्र नारायण मंडल विजयी रहे। 1967 के चुनाव में भी देश ने कांगेस को जनादेश दिया और कोसी के लोगों ने संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी के गुणानंद ठाकुर को अपना समर्थन दे विजयी दिलाया। 1971 में भी देश में कांग्रेस को ही बहुमत मिला और कोसी के लोगों ने इस चुनाव में कांग्रेस का ही साथ दिया। 1977 में जनता पार्टी की लहर चली और कोसी भी लहरों के ही साथ रही। 1980 में फिर कांग्रेस को बहुमत मिला और कोसी ने भी कांग्रेस को ही अपना समर्थन दिया। 1984 में भी इस इलाके से कांग्रेस को ही जीत मिली थी। 1989 के चुनाव में भी कांग्रेस ही बड़ी पार्टी बनकर सामने आई थी लेकिन सरकार जनता दल की बनी थी और कोसी से भी जनता दल के ही प्रत्याशी विजयी रहे थे। 1991 में भी कांग्रेस की ही सरकार बनी लेकिन कोसी के लोगों ने जनता दल के प्रत्याशी को सांसद चुना। 1996 भारतीय लोकतंत्र का ऐसा काल रहा जब बहुमत किसी पार्टी को नहीं मिला और कोसी से जनता दल के उम्मीदवार जीते। 1998 में भाजपा की सरकार बनी और कोसी से राजद की झोली में सीट गई। 1999 में भाजपा नीत गठबंधन की सरकार बनी और कोसी से जदयू को लोगों ने अपना समर्थन दिया। 2004 में यूपीए गठबंधन की सरकार बनी और कोसी की जनता ने लोजपा को अपना समर्थन दिया। 2009 में कांग्रेस की सरकार बनी लेकिन कोसी के लोगों ने जदयू के पक्ष में अपना बहुमत दिया। 2014 में भाजपा की सरकार पूर्ण बहुमत से बनी और कोसी के लोगों ने कांग्रेस के उम्मीदवार को अपना समर्थन दिया।

विधानसभा चुनाव को ही देखते हैं तो सुपौल विधानसभा क्षेत्र से 1952 में लहटन चौधरी कांग्रेस से विजयी हुए तो 1957 में परमेश्वर कुमर को पीएसपी से लोगों ने चुना। 1962 के चुनाव में फिर परमेश्वर कुमर को पीएसपी से ही लोगों ने मौका दिया।

1967 के चुनाव में कांग्रेस के उमाशंकर ङ्क्षसह को लोगों ने चुना। 1972 के चुनाव में फिर लोगों ने उमाशंकर ङ्क्षसह को ही मौका दिया। 1977 में अमरेन्द्र कुमार ङ्क्षसह जनता पार्टी से विधायक चुने गए। 1980 में फिर यहां के लोगों ने उमाशंकर ङ्क्षसह को ही मौका दिया। 1985 में कांग्रेस के प्रमोद कुमार ङ्क्षसह चुने गए। 1990 के चुनाव में बिजेन्द्र प्रसाद यादव जनता दल से चुनाव जीते । 1995 में भी लोगों ने इन्हीं के सर सेहरा बांध दिया। और अब तक उन्हीं पर अपना भरोसा जताया है। इस चुनाव भी लोगों ने अपना मत डाल दिया है किस सीट से किसको दी है जवाबदेही, बस पिटारा खुलने का है इंतजार।  


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