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Bihar Assembly Elections 2020 : जनता के सवालों से चाचू को आ रहा पसीना

Bihar Assembly Elections 2020 पूर्व बिहार की 16 विधानसभा सीटों पर पहले चरण में चुनाव होने हैं। वहां जनप्रतिनिधि और नेताओं का चुनावी दौरा शुरू हो गया है। इस दौरान जनता से पूछे सवालों का वे जवाब देने से कतरा रहे हैं।

By Dilip ShuklaEdited By: Published: Wed, 14 Oct 2020 01:00 PM (IST)Updated: Wed, 14 Oct 2020 01:00 PM (IST)
Bihar Assembly Elections 2020 : जनता के सवालों से चाचू को आ रहा पसीना
जनता कोरोना काल के दौरान जनप्रतिनिधियों की उदासीनता से दु:खी

भागलपुर [संजय सिंह]। Bihar Assembly Elections 2020 : पिछले साल के मुकाबले इस बार ठंड जल्दी आने वाली है, लेकिन चाचू (विधायक जी) को इस मौसम में भी पसीना आ रहा है। उनके आसपास के लोग बताते हैं कि यह ठंड चुनावी है। जब ठंड गिरनी शुरू होगी तो चाचू को अधिक ठंड नहीं लगेगी। पांच साल तक जनता से दूरी बनाने का यह नतीजा है कि अब जनता के सवाल चाचू को पसीने से तर-बतर कर रहे हैं।

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कई विधायक जी तो एसी गाड़ी में चलने के बावजूद बाहर जनता जनार्दन से सामना होते ही घबरा जाते हैं। युवा वोटर इतने सजग हो गए हैं कि  विधायक फंड की 10 करोड़ की राशि का हिसाब मांग रहे हैं। सबसे ज्यादा सवालों का जवाब सत्तापक्ष के जनप्रतिनिधियों से पूछे जा रहे हैं। गरीब तबके के मतदाता कोविड काल में जनप्रतिनिधियों की उदासीनता पर सवाल उठा रहे हैं। लोगों की शिकायत है कि राशन वितरण में बड़े पैमाने पर गड़बड़ी की गई है। इसी तरह के सवाल कुछ वोटर आवास योजना को लेकर भी उठा रहे हैं। उनका कहना है कि अधिकारियों की मनमर्जी के कारण कई अमीरों के नाम आवास योजना में डाल दिए गए हैं। जमुई जिले के मतदाता बरनार व कुंडघाट जैसी सिंचाई की लंबे समय से अटकीं योजनाओं को लेकर अपने-अपने क्षेत्र के प्रत्याशियों से सवाल पूछ रहे हैं। अधिकांश जनप्रतिनिधियों को इन सवालों का जवाब नहीं सूझ पा रहा है। जमुई के परमानंद केसरी कहते हैं कि यहां राज्य ट्रांसपोर्ट की बसें नहीं के बराबर चलती हैं। ऐसे में यात्रियों को काफी परेशानी होती है। मुंगेर की भी स्थिति कमोवेश यही है। यहां के युवा मतदाता रोजगार को लेकर जनप्रतिनिधियों के सामने सवाल खड़े कर रहे हैं। युवाओं का कहना है कि जमालपुर रेल कारखाना, आइटीसी, बंदूक फैक्ट्री का निर्माण तो यहां ब्रिटिश काल में हुआ। आजादी के इतने वर्षों के बाद कोई उद्योग लगाने का प्रयास क्यों नहीं किया गया! हवेली खडग़पुर के परमेश्वर तूरी के इस सवाल का जवाब वोट मांगने गए नेता नहीं दे पाए। यही हाल पूर्व बिहार के अधिकांश इलाकों का है। भागलपुर में अकबरनगर के पथ की बदहाली किसी से छिपी नहीं है। यहां पर रोज जाम लगता है। इस ओर भी जनप्रतिनिधियों का ध्यान नहीं है। अकबरनगर के राजेश तांती बताते हैं कि यहां नई सड़क बनाने की बात हो रही है, लेकिन तब तक पुरानी सड़क की मरम्मत पर तो ध्यान दिया जाना चाहिए। यह सड़क भागलपुर को पूर्व बिहार के बांका, जमुई, मुंगेर, लखीसराय आदि जिलों के अलावा पटना को भी जोड़ती है। अक्सर इस जाम में फंसकर लोगों को काफी परेशानी होती है।

मेडिकल कॉलेज आने वाली एंबुलेंसें भी कई बार इस जाम में फंस जाती हैं। घोरघट पुल का हाल भी बेहाल है। बांका में चांदन नदी का पुल टूट गया है। इसकी मरम्मत की दिशा में भी कोई कदम नहीं उठाया गया है। पुल टूटने के कारण वहां के लोगों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। एक तरह से यह पुल उस इलाके की लाइफलाइन माना जाता है। लखीसराय में कजरा थर्मल पावर योजना के लिए जमीन अधिग्रहण के अलावा कोई काम नहीं हो पाया है। शाहकुंड के रवि मिश्रा बताते हैं कि चुनाव के पूर्व तक तो विकास मुद्दा बनता है, लेकिन अधिकांश लोग जाति के नाम पर ही वोट करते हैं। ऐसी हालत में चुने गए जनप्रतिनिधि भी जब चुनकर विधानसभा जाते हैं तो विकास के नाम पर उनका ध्यान अपने खास वर्ग के वोटरों पर अधिक रहता है। सिर्फ जनप्रतिनिधियों को दोषी ठहराकर हम अपनी जवाबदेही से नहीं बच सकते हैं।


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