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Bihar Assembly Elections 2020 : दलीय आस्था में अंदर ही अंदर बड़ा भूचाल, जानें... भागलपुर की राजनीतिक उठापटक

Bihar Assembly Elections 2020 बिहार विधानसभा चुनाव के दूसरे चरण में भागलपुर के पांच विधानसभा सीटों पर चुनाव होगा। इस कारण यहां बड़े-बड़े नेताओं का दौरा हो रहा है। लेकिन यहां के सभी प्रत्‍याशी ब‍ागियों को लेकर परेशान हैं।

By Dilip Kumar ShuklaEdited By: Published: Sun, 01 Nov 2020 11:20 AM (IST)Updated: Sun, 01 Nov 2020 11:20 AM (IST)
Bihar Assembly Elections 2020 : दलीय आस्था में अंदर ही अंदर बड़ा भूचाल, जानें... भागलपुर की राजनीतिक उठापटक
भागलपुर में दूसरे चरण में पांच विधानसभा सीटों पर तीन नवंबर को चुनाव होंगे।

भागलपुर, जेएनएन। Bihar Assembly Elections 2020 : विधानसभा चुनाव के लिए भागलपुर जिले में बिहार विधानसभा चुनाव के दूसरे चरण में तीन नवंबर को पीरपैंती, भागलपुर, नाथनगर, बिहपुर और गोपालपुर में मतदान होने हैं। पहले चरण में 28 अक्‍टूबर को इस जिले के सुल्‍तानगंज और कहलगांव विधानसभा क्षेत्र में चुनाव हो गया है। लेकिन इस बार दलीय आस्था के बड़े बंटवारे ने भाजपा, कांगे्रस, राजद, जदयू में अंदर ही अंदर भूचाल खड़ा कर दिया है। शनिवार को नीतीश कुमार और सुशील कुमार मोदी के दौरे में यह बात कमोवेश सामने आ गई। जगदीशपुर और गोपालपुर में नीतीश कुमार की सभा में जहां जदयू और भाजपा कार्यकर्ताओं में अंदर ही अंदर दूरी साफ नजर आई। जगदीशपुर में मंच और उसके इर्दगिर्द कई कद्दावर युवा जदयू नेता नजर नहीं आए। नवगछिया वाली सभा में भी वही स्थिति नजर आई। इन जगहों पर जहां जिस दल का प्रत्याशी है वहां गठबंधन के दूसरे साथी दलों के कार्यकर्ताओं की पूछ सीमित हो चुकी है। जिसका असर भी सामने आने लगा है।

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पीरपैंती में सुशील कुमार मोदी इस खाई को देख भड़क गए। एक सांसद को खरी-खोटी सुनाते हुए सार्वजनिक बयान दिया। यही नहीं भाजपा के एक पूर्व विधायक को पहले विधायक बनाने के बाद उनकी गोवा में मौज-मस्ती का किस्से भी सुना डाला। दलीय आस्था की डोर से बंधे दर्जनों पुराने कार्यकर्ता जिनकी इलाके में पैठ है। वह अंदर ही अंदर उपेक्षा के कारण कुपित हैं। कुछ ने खुद को घरों में कैद कर रखा है तो कुछ ने आस्था बदल दूसरे प्रत्याशियों के समर्थन में वोट मांग रहे हैं। दूसरे दलों के प्रत्याशी भी उनकी दुखती रग पर हाथ रखते हुए उन्हें तमाम सुविधाएं मुहैया करा रखी है। पूछ और सेवा भाव देख अब वह दूसरे दल के प्रत्याशियों के लिए वोट की जुगाड़ में लग गए हैं। ऐसे रसूख वाले पुराने कार्यकर्ता यह भी कह रहे हैं कि उन्हें सम्मान मिल रहा है। जहां सम्मान मिल रहा है वहां पर्ची तक घर-घर बांटने में गुरेज नहीं कर रहे हैं। यह स्थिति सबसे अधिक भागलपुर, नाथनगर और पीरपैंती विधानसभा क्षेत्र में देखने को मिल रही है। भागलपुर में एक बड़े दल से ही टिकट नहीं मिलने पर दूसरे दल का दामन थामने वाले नेता के समर्थन में दर्जनों कार्यकर्ता काम कर रहे हैं। उन्हें मनाने का दौर भी चल रहा है। लेकिन उन कार्यकर्ताओं को हिलने नहीं देने की भी तगड़ी लामबंदी है। बड़े दल से ही आस्था बदल पूर्व में शिकस्त दिलाने वाले प्रत्याशी के साथ भी कई कार्यकर्ता घूम रहे हैं।

सुशील कुमार मोदी के रोड शो बाद उन कार्यकर्ताओं की भी खबर ली गई। उन्हें खास संस्कार की याद दिलाई जा रही है। इसके लिए प्रांत की एक टीम भी सक्रिय है। बड़े दलों के पुराने और दमखम वाले समर्पित कार्यकर्ताओं के आस्था बदलने का फायदा भागलपुर,  नाथनगर और पीरपैंती में कही दूसरे दल तो कहीं निर्दलीय प्रत्याशी उठाने में लगे हैं। भागलपुर और पीरपैंती में इस दलीय आस्था के भूचाल का असर साफ दिखने लगा है। अपनी-अपनी स्थिति मजबूत करने के लिए भाजपा, कांग्रेस, लोजपा ने पूरी ताकत झोंक रखी है। रालोसपा, प्लूरल्स पार्टी भी पूरी ताकत से मजबूत स्थिति बनाने में लगी हैं। अब जिनके पास कार्यकर्ताओं की मजबूत फौज तीन नवंबर की सुबह से इलाके में वोटरों को घरों से निकाल कर बूथ तक ले जाने में लगेगी। उनकी ताकत वोट में तब्दील हो सकेगी। क्योंकि इस बार जितनी सक्रियता नेताओं की दिख रही है, वोटरों की प्रतिक्रिया नगण्य है।


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