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Bihar Assembly Election 2020: जोकीहाट पर तस्लीमुद्दीन के दो पुत्र आमने-सामने, रोचक हुआ मुकाबला

जोकीहाट में एक बार तेजस्वी यादव की सभा हुई है। वहीं दो बार असुदद्दीन ओवैसी की सभा भी हो चुकी है। तेजेस्वी से ज्यादा ओवैसी की सभा में भीड़ जुटाकर शाहनवाज ने अपने भाई को थोड़ा परेशान जरूर कर दिया है।

By Prateek KumarEdited By: Published: Sat, 07 Nov 2020 06:05 PM (IST)Updated: Sat, 07 Nov 2020 06:05 PM (IST)
Bihar Assembly Election 2020: जोकीहाट पर तस्लीमुद्दीन के दो पुत्र आमने-सामने, रोचक हुआ मुकाबला
जोकीहाट विधानसभा से सीमांचल के गांधी कहे जाने वाले तस्लीमुद्दीन के दो पुत्र चुनाव मैदान में आमने सामने हैं।

अररिया, जागरण संवाददाता। जोकीहाट विधानसभा का चुनाव पर इस बार सभी की नजर टिकी हुई है। यहां सीमांचल के गांधी कहे जाने वाले तस्लीमुद्दीन के दो पुत्र चुनाव मैदान में आमने सामने हैं। तस्लीमुद्दीन के मंझले पुत्र सरफराज आलम चार बार विधायक रहे चुके हैं। वे 2018 में जदयू से इस्तीफा देकर अपने पिता की मृत्यु के बाद लोकसभा उपचुनाव में राजद के टिकट से अररिया के सांसद चुने गये। इसके बाद में 2018 में ही जोकीहाट सीट पर हुए उपचुनाव उनके छोटे भाई शाहनवाज आलम राजद की टिकट से विधायक चुने गए।

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इसके बाद 2019 में हुए लोकसभा चुनाव में सरफराज आलम राजद के टिकट से फिर चुनाव में उतरे लेकिन वे हार गये। हारने के बाद वे लगातार जोकीहाट विधानसभ क्षेत्र में चुनाव की तैयारी लगे रहे। वहीं उनके छोटे भाई भी बतौर विधायक क्षेत्र के लोगों को ये समझाने में लगे थे कि वे ही 2020 में राजद से चुनाव लड़ेंगे। लेकिन राजद की ओर जोकीहाट से सरफराज आलम को ही प्रत्याशी बना दिया गया। ग्रामीणों के साथ बैठक कर शाहनवाज आलम ने भी अपने बड़े भाई के सामने चुनाव मैदान में उतरने का एलान किया और एआइएमआइएम के टिकट लेकर चुनावी समर में कूद गए।

दोनों भाई लगातार चुनावी मैदान में अपनी ताकत दिखाने में लगे हुए है। जोकीहाट में एक बार तेजस्वी यादव की सभा हुई है। वहीं दो बार असुदद्दीन ओवैसी की सभा भी हो चुकी है। तेजेस्वी से ज्यादा ओवैसी की सभा में भीड़ जुटाकर शाहनवाज ने अपने भाई को थोड़ा परेशान जरूर कर दिया है। लेकिन, सरफराज आलम को अपने महागठबंधन के वोट पर भरोसा है और वे भी क्षेत्र में लगातार मतदाताओं से मिल रहे हैं।

इन दोनों भाइयों के बीच भाजपा ने 25 साल बाद अपना प्रत्याशी को भी चुनाव मैदान में उतार दिया है। भाजपा प्रत्याशी रंजीत यादव भी दोनों भाईयों के बीच कमल खिलाने का भरपूर प्रयास कर मुकाबला त्रिकोणीय बना दिया है। हालांकि यहां अब तक हुए 15 बार के चुनाव में नौ बार तस्लीमुद्दीन परिवार का ही कब्जा रहा है। दोनों भाई इस चुनाव में अपने आप को तस्लीमुद्दीन का असली विरासत संभालने वाला बता रहे हैं।


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