प्याज को खरपतवार से बचाने के लिए बीएयू ने बनाया घोल, जानिए... इससे कैसे बढ़ेगी उत्पादकता Bhagalpur News
देश में यह अपनी तरह की पहली तकनीक है। BAU ने इसे जारी कर दिया है। अब राज्य व राष्ट्रीय फलक पर इसे रिलीज कराने की तैयारी है। खरपतवार के चलते प्याज की फसल को काफी नुकसान पहुंचता है।
भागलपुर [ललन तिवारी]। प्याज के खेतों में निकल आने वाले निकोनी खरपतवार से छुटकारा दिलाने के लिए बिहार कृषि विश्वविद्यालय (बीएयू) सबौर ने तकनीक विकसित की है। इसमें दो रसायनों का प्रयोग होता है। इसके घोल के छिड़काव से खरपतवार नष्ट हो जाते हैं। देश में यह अपनी तरह की पहली तकनीक है। बीएयू ने इसे जारी कर दिया है। अब राज्य और राष्ट्रीय फलक पर इसे रिलीज कराने की तैयारी है।
खरपतवार के चलते प्याज की फसल को काफी नुकसान पहुंचता है। इसे एक-एक कर निकालना होता है। यह बड़ा मेहनत का काम है। मजदूर लगाने पर खेती का खर्च भी बढ़ जाता है। बीएयू के पीआरओ डॉ. आरके सोहाने का कहना है कि इस घोल के दो बार छिड़काव से खरपतवार नियंत्रित हो जाएगा। विश्वविद्यालय के अधीन कृषि अनुसंधान संस्थान पटना की विज्ञानी डॉ. संगीता ने अपने तीन वर्ष के सफल अनुसंधान में इस तकनीक को विकसित किया है। मोकामा आदि कई क्षेत्रों में किसान इसे अपना कर प्याज की खेती से अच्छी आय प्राप्त कर रहे हैं।
क्या है तकनीक
डॉ. संगीता ने बताया कि प्याज रोपाई के तीन दिन के अंदर रसायन पेंडिमेथलीन एक किलोग्राम प्रति हेक्टेयर और 30 दिन के करीब ऑक्सीफलोरफेन 250 ग्राम प्रति हेक्टेयर घोल छिड़काव करने से खरपतवार नियंत्रित हो जाता है। इससे कम खर्च में उत्पादन बढ़ाया जा सकता है।
डॉ. अजय कुमार सिंह (कुलपति बीएयू, सबौर) ने कहा कि प्याज उत्पादन करने वाले किसानों के लिए यह तकनीक मिल का पत्थर साबित होगी। इसे देश स्तर पर रिलीज कराने की पहल की जा रही है। इससे किसान समृद्ध बनेंगे।