खेसारी बदलेगी महिलाओं की किस्मत, बिहार कृषि विवि अभी करा रहा पटना, लखीसराय और गया में खेती, अब इन जिलों में भी होगा
अब भागलपुर और आसपास के जिले के किसानों की तकदीर खेसारी की खेती कर बदलेगी। इसके लिए बिहार कृषि विवि किसानों को प्रोत्साहित कर रहा है। भागलपुर सहित अन्य जिलों को भी जोडऩे की योजना है। इसके लिए कवायद शुरू कर दी गई है।
भागलपुर [ललन तिवारी]। खेसारी की खेती से अब महिलाओं की किस्मत बदलेगी। इसके लिए बिहार कृषि विश्वविद्यालय पिछले दो वर्षों से प्रयास कर रहा है। किसानों के खेतों में खेसारी की नई किस्में लगाकर उन्हेंं उत्साहित किया जा रहा है।
दूसरी ओर इसके मूल्य संवर्धन के लिए कई नए उत्पाद घरेलू स्तर पर बनाने पर पहल की जा रही है। ताकि खेसारी का विकास हो और ग्रामीण महिलाओं को स्वरोजगार भी मिले।
खेसारी के बनाई जाएगी खास्ता नमकीन
ग्रामीण क्षेत्र की महिलाओं का समूह बनाकर विश्वविद्यालय नए उत्पाद बनाने का प्रशिक्षण, उत्पाद के लिए कच्चा माल, छोटे यंत्र और उत्पादित पदार्थों को बाजार उपलब्ध कराने की कार्ययोजना बनाई है। इसके तहत शुरुआती दौर में खेसारी की बरी और खास्ता नमकीन बनाई जाएगी।
बायोटेक किसान हब योजना की शुरुआत दो वर्ष पहले केंद्र सरकार के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय के जैव प्रौद्योगिकी विभाग ने की। बिहार में बीएयू को यह जिम्मेदारी मिली। इसके तहत विलुप्त हो चुके बेहद गुणकारी दलहन फसल खेसारी का विकास करना है। किसानों के उत्साहवर्धन के लिए प्रयोग के तौर पर पटना, लखीसराय और गया में किसानों की खेतों पर इसे लगाया गया है। इसके लिए खेसारी की नई किस्में रतन और प्रतीक किसानों को उपलब्ध कराया गया है। बेहतर उत्पादन हुआ।
भागलपुर सहित अन्य जिलों में भी होगी परियोजना लागू
परियोजना को अन्य जिलों में लागू करने के लिए बीएयू सरकार से पत्राचार करेगा। ताकि यहां की ग्रामीण महिलाओं को भी स्वरोजगार मिले और खेसारी का विकास हो।
घरेलू महिलाएं ऐसे बना सकती हैं बरी और नमकीन
परियोजना के अन्वेषक सीके पांडा कहते हैं कि बरी बनाने के लिए खेसारी की भूसी, उड़द की दाल, पोस्ता दाना नमक, मिक्सचर ग्राइंडर की जरूरत होती है।
उड़द दाल और खेसारी की भूसी को रात भर पानी में भिगोया जाता है। फिर मिक्सचर के माध्यम से बनाया जाता है। इसमें मकई का आटा 70 फीसद, चावल का आटा 10 फीसद, खेसारी का आटा 20 फीसद, नमक और मसाला देकर प्रसंस्करण यूनिट के माध्यम से बनाया जाता है।
दलहन फसल खेसारी के विकास के लिए परियोजना चलाई जा रही है। आने वाले समय में भागलपुर सहित अन्य जिलों में भी विस्तारित किया जाएगा। - डॉ आरके सोहाने, कुलपति बीएयू