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बिहार कृषि विश्वविद्यालय परिसर बना रणक्षेत्र, आपस में भिड़े शिक्षक व कर्मी, नोकझोंक व धक्कामुक्की

बिहार कृषि विश्वविद्यालय परिसर में हड़ताली शिक्षकों और प्रबंधन के बीच नोकझोंक व धक्कामुक्की हुई। पिछले कई दिनों से नौकरी में प्रोन्नति की मांगो को लेकर शिक्षक और विज्ञानी रिले भूख हड़ताल पर बैठे हैं। शिक्षकों ने कहा नियमों को ताक पर रख हो रहा काम।

By Dilip Kumar ShuklaEdited By: Published: Wed, 01 Dec 2021 10:34 PM (IST)Updated: Wed, 01 Dec 2021 10:34 PM (IST)
बिहार कृषि विश्वविद्यालय परिसर बना रणक्षेत्र, आपस में भिड़े शिक्षक व कर्मी, नोकझोंक व धक्कामुक्की
बिहार कृषि विश्वविद्यालय में वार्ता कराते डीएसपी।

संवाद सहयोगी, भागलपुर। बिहार कृषि विश्वविद्यालय परिसर बुधवार को कुछ देर के लिए रणक्षेत्र में तब्दील हो गया। आंदोलनकारी शिक्षक और विश्वविद्यालय प्रबंधन के बीच पहले तू-तू मैं-मैं शुरू हुआ। मामला धीरे-धीरे बढ़ता गया। नौबत हाथापाई व नोकझोंक तक पहुंच गया। हालात बिगड़ता देख विवि प्रबंधन को स्थिति संभालने के लिए पुलिस बुलानी पड़ी। तब जाकर डीएसपी की पहल के बाद मामला शांत हुआ। यहां बता दें कि पिछले कई दिनों से नौकरी में प्रोन्नति की मांगो को लेकर शिक्षक और विज्ञानी रिले भूख हड़ताल पर बैठे हैं। इसी दौरान बुधवार को उन्हें सूचना मिली कि आंदोलन के वजह से शिक्षकों का नवंबर माह का वेतन नो-वर्क-नो पे के आधार पर रोकने का विश्वविद्यालय प्रशासन कवायद कर रहा है। इस बात की भनक मिलते ही शिक्षकों का एक दल प्रभारी कुलपति से मिलने गए। लेकिन कुलपति कार्यालय के बाहर मौजूद कुछ अधिकारियों ने कुलपति से मिलने से शिक्षकों को रोक दिया। उसके बाद भी शिक्षकों का दल ने काफी अनुरोध किए। लेकिन, मौके पर मौजूद प्रशासनिक निदेशक डा. रेवती रमन सिंह जो स्थानीय निवासी हैं, उन्होंने अपने स्थानीय होने का रौब दिखाते हुए शिक्षकों के साथ बदतमीजी करने लगे। इतना ही नहीं वे धमकी भरे लहजे में कहा कि तुम लोगों को बर्बाद कर दूंगा। मेरा पहुंच बहुत ऊपर तक है, उन्होंने शिक्षकों को अपशब्द बातें कही। इतना के बावजूद भी उनका मन नहीं भरा तो स्थानीय होने के चलते पीटवाने व डराने का प्रयास किया गया। शिक्षकों ने उनके द्वारा किए गए इस व्यवहार के आपत्ति जताई है।

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विश्वविद्यालय प्रशासन को बुलानी पड़ी पुलिस

हंगामा बढ़ता विश्वविद्यालय प्रशासन ने स्थिति को संभाल के लिए पुलिस को घटना की जानकारी दी। इधर सूचना मिलते ही विधि व्यवस्था पुलिस उपाधीक्षक डा. गौरव कुमार दल-बल के साथ मौके पर पहुंचे। उन्होंने विश्वविद्यालय प्रशासन एवं आंदोलनरत शिक्षकों के बीच मध्यस्थता कर वार्ता करवाई। वार्ता के दौरान अपना पक्ष रखते हुए संघ के सचिव डा. एच मीर ने कहा कि विगत 15 वर्षों से यहां शिक्षकों को कोई प्रोन्नति नहीं मिली है। प्रभारी कुलपति निरंकुश होकर काम कर रहे हैं। ये नियुक्ति एवं 18 करोड़ के नये फर्नीचर खरीद में अपनी सारी ऊर्जा लगा रहे हैं। विश्वविद्यालय को शीघ्र स्थायी कुलपति मिले। इसके पूर्व महिला विज्ञानी डा. सरिता और डा. रूबी रानी ने शिक्षकों के साथ हुए अन्याय एवं इसके कारणों पर विस्तार से बताया। कहा कि विश्वविद्यालय का एक्रिडिटेशन रुका हुआ है। उसकी वजह से इस वर्ष आइसीएआर से विद्यार्थियों को पीजी में नामांकन पर रोक लगा दी गई है।

इन पर भी लगाया आरोप

आंदोलनकारियों ने कहा कि कुलपति द्वारा सेवानिवृत्त अधिकारियों को संविदा पर बहाल किया गया है। जो सरकार के सामान्य प्रशासन विभाग एवं कृषि विभाग के सचिव के पत्र का उल्लंघन है। संविदा पर बहाल अधिष्ठाता कृषि डा. रेवती रमन स‍िंह, निदेशक प्रशासन एवं अध्यक्ष कृषि प्रसार विभाग के अतिरिक्त प्रभार में भी हैं। उन्हें वित्तीय शक्ति भी प्रदान किया गया है जो सरकार के नियम का घोर उल्लंघन है।

वित्त नियंत्रक के महत्वपूर्ण पद पर भी सरकार के निर्देश को ताक पर रखकर सेवानिवृत्त विजयमल प्रसाद सिंह को संविदा पर बहाल किया गया है। इसके अलावा अशोक कुमार सुमन, सेवानिवृत्त निदेशक प्रशासन, जो पूर्व में पे माइनस पेंशन के आधार पर विश्वविद्यालय में 65 वर्ष से अधिक समय तक संविदा पर नियोजित थे। उन्हें पुन: अपने व्यक्तिगत लाभ के लिए एवं निजी स्वार्थ सिद्धि हेतु विश्वविद्यालय में अधिवक्ता के रूप में सूचीबद्ध किया गया एवं उनको सरकारी सुविधा देकर विश्वविद्यालय पर अतिरिक्त वित्तीय भार लाद दिया गया है।

वार्ता के क्रम में प्रभारी कुलपति डा. अरुण कुमार ने बताया कि हमलोग जल्द इसका समाधान करने का प्रयास करेंगे। जरूरी हुआ तो पटना जाकर कृषि विभाग या वित्त विभाग एवं राजभवन से शिक्षकों के मांगों को पूरा करने का प्रयास किया जाएगा।


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