हर घटना के साथ जीवंत हो रहीं शहीदों की यादें
भागलपुर [शंकर दयाल मिश्रा]। कश्मीर में पाकिस्तान के साथ गोलाबारी में वीरगति को प्राप्त हुए बीए
भागलपुर [शंकर दयाल मिश्रा]। कश्मीर में पाकिस्तान के साथ गोलाबारी में वीरगति को प्राप्त हुए बीएसएफ जवान सुनील मुर्मू का शव शुक्रवार को जमुई पहुंचा। वहां शहीद के सम्मान में पूरा शहर उमड़ पड़ा। अब जरा कटिहार चलिए। यहां 13 फरवरी से सेना भर्ती परीक्षा चल रही है। अब तक 49 हजार 722 युवा इसमें हिस्सा ले रहे हैं। इस बात से बेफिक्र कि हाल के महीनों में बिहार खासकर अंग प्रदेश से जुड़े आधा दर्जन के करीब जवान सीमा पर शहीद हो चुके हैं।
हाल के महीनों में सीमा पर गोलीबारी या आतंकियों से लोहा लेते हुए शहीद होने वालों की सूची में अंग क्षेत्र अपनी छाप छोड़ रहा है। यूं कहें तो जम्मू कश्मीर में यहां के जवान अपनी वीरता की पराकाष्ठा प्रदर्शित कर रहे हैं। इसी महीने की तीन तारीख को खगड़िया जिले के चौथम प्रखंड के ब्रम्हा निवासी किशोर कुमार मुन्ना कश्मीर आतंकियों से लोहा लेते हुए देश पर कुर्बान हो गए। मुन्ना महज 23 वर्ष के थे। इतनी छोटी उम्र में वीरता की जो मिसाल उन्होंने पेश की उससे आज तक इलाका गौरवान्वित है। जब से जमुई के जवान के शहीद होने की जानकारी आई, मुन्ना की यादें फिर से जी उठी है।
यादें..! यादें जीवंत होने के लिए मौके का इंतजार करती हैं! जमुई के जवान की शहादत की सूचना भागलपुर जिले के शहीदों की भी याद दिला रही हैं। भागलपुर के सुल्तानगंज के उदाडीह निवासी शहीद निलेश के मित्र राजा पांडेय अपने मन का भाव कहते हैं कि किसी के शहीद होने पर पहले हुए शहीदों के परिजन के मन में एक टीस तो उठती है। अपनों के खोने का गम कभी भरा नहीं जा सकता पर आसपास के लोगों से शहीद की गौरवगाथा सुनकर यह टीस आन-बान-शान बन जाती है।
2004 में एयरफोर्स में शामिल हुए उदाडीह के निलेश गरुड़ कमांडो के सदस्य थे। बीते वर्ष 11 अक्टूबर वे कश्मीर के हाजिन (बांडीपोर) में आतंकियों से लोहा लेते हुए वीरगति को प्राप्त हुए। इस घटना के महज एक हफ्ते पहले 3 अक्टूबर को भागलपुर जिले के पीरपैंती प्रखंड के ईशीपुर बाराहाट निवासी ब्रज किशोर यादव हमामा एयरपोर्ट श्रीनगर में आतंकियों से लड़ते हुए शहीद हो गए थे। वे 182 बटालियन बीएसएफ में एएसआइ के पद पर थे।
बहरहाल शहीदों की सूची लंबी है। पर हर शहादत पर गौरव कर इससे प्रेरित होने वाले युवाओं की तादाद इससे बहुत बड़ी है। शहीदों के शव को अंतिम विदाई देने वाली भीड़ और कटिहार सेना भर्ती में हर जिले से उमड़ रही युवाओं की भीड़ इसका प्रत्यक्ष प्रमाण है। हालांकि इस बार कटिहार में सेना भर्ती परीक्षा में जमुई जिले के युवाओं को मौका नहीं दिया गया था, पर जमुई में शहीद जवान की विदाई में युवाओं का भावात्मक जज्बा बता रहा था कि वे भी देश के लिए मर-मिटने को आतुर हैं।