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राष्ट्रमंडल संसदीय सम्मेलन में बजेगा भागलपुरी सिल्क का डंका

पटना में शनिवार से प्रारंभ हो रहे छठे भारत प्रक्षेत्र राष्ट्रमंडल संसदीय सम्मेलन में भागलपुरी सिल्क व तसर का डंका बजेगा।

By JagranEdited By: Published: Sat, 17 Feb 2018 09:48 AM (IST)Updated: Sat, 17 Feb 2018 09:48 AM (IST)
राष्ट्रमंडल संसदीय सम्मेलन में बजेगा भागलपुरी सिल्क का डंका
राष्ट्रमंडल संसदीय सम्मेलन में बजेगा भागलपुरी सिल्क का डंका

भागलपुर। पटना में शनिवार से प्रारंभ हो रहे छठे भारत प्रक्षेत्र राष्ट्रमंडल संसदीय सम्मेलन में भागलपुरी सिल्क व तसर का डंका बजेगा। सम्मेलन की अध्यक्षता करने आ रहीं लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन भागलपुर सिल्क से तैयार कपड़ों को देखेंगी तथा इसे तैयार करने की विधि की जानकारी लेंगी।

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सम्मेलन में विदेशी मेहमान भी आ रहे हैं जो सिल्क, तसर, कटिया की जानकारी लेंगे। उन्हें यह बताया जाएगा कि पूर्वी भारत में भागलपुर तथा आसपास के क्षेत्र में सिल्क का कारोबार वर्षों से चल रहा है। भागलपुर के बुनकरों को उम्मीद है कि इस सम्मेलन के माध्यम से उनके उत्पाद की मार्केटिंग और ब्रांडिंग विदेशी धरती के अलावा देश के कोने-कोने में फैलेगी।

रेशम बुनकर खादी ग्रामोद्योग संघ के सचिव अलीम अंसारी ने बताया कि विधानसभा अध्यक्ष ने विधानसभा परिसर में भागलपुर सिल्क को लोकप्रिय बनाने के लिए सम्मेलन में स्टॉल लगवाया है। पटना आ रहे विदेशी मेहमानों सहित अन्य जनप्रतिनिधियों को बुनकरों के प्रोडक्ट को देखने को मौका मिलेगा। अंसारी ने बताया कि मेहमानों के लिए विधानसभा परिसर में दो ही स्टॉल लगाए गए हैं।

भागलपुर सिल्क के अलावा उपेंद्र महारथी संस्थान की ओर से पेंटिंग प्रदर्शनी के लिए स्टॉल लगाया गया है। इस प्रदर्शनी सह स्टॉल में बुनकरों द्वारा तैयार तसर साड़ी, सूट, शर्टिंग, लीनन, जूट, तसर कटिया से संबंधित वस्त्र की प्रदर्शनी लगाई गई है। चरखा की भी प्रदर्शनी रहेगी। अंसारी ने बताया कि लोकसभा अध्यक्ष शनिवार को प्रदर्शनी देखने आएंगी। उनसे यह अनुरोध किया जाएगा कि बुनकरों की आर्थिक उन्नति के लिए उन्हें मनरेगा योजना से जोड़ा जाए ताकि इस रोजगार से नए लोग भी जुड़ सकें।

बुनकरों की आर्थिक उन्नति नहीं होगी तो गरीबी की वजह से कई बुनकर इस रोजगार व व्यापार से विमुख हो जाएंगे। अंसारी ने बताया कि हाल ही में पटना में एक अन्य आयोजन में राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने सिल्क कपड़े के तैयार करने की विधि की जानकारी ली थी। उन्हें कोकून की पैदावार से लेकर तैयार वस्त्र तक की जानकारी दी गई थी।


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